MS Dhoni की फिल्म के अंपायर शाहिद मिर्जा की अनटोल्ड स्टोरी, घर में खाने को लाले पड़े
MS Dhoni की जीवनी पर बनी फील्ड में अंपायर की छोटी सी भूमिका निभाने वाले शाहिद मिर्चा के घर में खाने के लाले पड़े हैं।
संजीव रंजन, रांची। MS Dhoni: The Untold Story: द अनटोल्ड स्टोरी का वो सीन क्रिकेट प्रेमियों को जरूर याद होगा, जिसमें एक बच्चा स्कूल में जाकर कहता है, माही मार रहा है। रील लाइफ में उस मैच में अंपायरिंग करने वाले रांची जिला क्रिकेट संघ के अंपायर शाहिद मिर्जा इन दिनों मुफलिसी के दौर से गुजर रहे हैं। लॉकडाउन ने उनकी कमर तोड़ दी है। आर्थइक तंगी ने जीवन का गणित कुछ इस हद तक बिगाड़ दिया है कि राशन-पानी तक पर आफत। बस कुछ जान पहचान वालों की दरियादिली और जुगाड़ के सहारे जिंदगी कट रही है। पूरी तरह अंपायरिंग की फीस पर निर्भर उनकी आजीविका लॉकडाउन के इस संक्रमण काल में पूरी तरह से लॉक हो गई है।
पिछली सदी के अंतिम दशक में रांची जिला क्रिकेट लीग में भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफल कप्तान कहे जाने वाले महेंद्र सिंह धौनी के साथ खेल चुके शाहिद मिर्जा रांची जिला क्रिकेट संघ के लीग मैचों में अंपायरिंग करते हैं। स्कूल लीग, बी डिवीजन, ए डिवीजन व सुपर डिवीजन मैचों में अंपायरिंग के एवज में प्रति मैच एक मैच महज 300 रुपए मिलते है। अब देश जबकि महामारी के दौर से गुजर रहा है, इस अल्प राशि पर भी संकट के बादल घिर आए हैं।
पिछले दस वर्षो से सैकड़ों मैचों की अंपायरिंग कर चुके मिर्जा पिछले तीन महीनों से अन्य लोगों की ही तरह घर में कैद हैं। संकट के इस दौर में रांची जिला क्रिकेट संघ की ओर से मदद तो दूर की कौड़ी है, संघ के पदाधिकारियों ने आश्वासन के दो बोल तक नहीं बोले। हालांकि इस वर्ष जितने भी मैच हुए, उसके फीस अंपायरों को दिए जा चूके हैं, लेकिन जमा पूंजी आखिर कब तक रही है।
अब जबकि मैच का आयोजन बिल्कुल ही बंद है, जीवन की गाड़ी खींचना चुनौती बन गई है। पिछले दिनों कुछ सामाजिक संगठनों ने कुछ अंपायरों को अनाज जरूर मुहैया कराया था, परंतु जीवन के लिए इतना ही काफी नहीं है। बुझे मन से मिर्जा कहते हैं, एमएस धौनी : द अनटोल्ड स्टोरी में अंपायरिंग करने के लिए 30 अंपायरों में से मेरा चयन हुआ था। खैर वो तब की बात है और यह आज की। वह रील लाइफ थी और यह रियल लाइफ।
जिला क्रिकेट संघ के ही एक अन्य अंपायर दिलीप कुमार के शब्दों में, लॉकडाउन ने घर के अर्थतंत्र को बड़ा झटका दिया है। मार्च से ही मैच नहीं हो रहे, ऐसे में अंपायरिंग पर हमारी निर्भरता ने हमें बीच मझधार में लाकर खड़ा कर दिया है।