सुप्रीम कोर्ट ने बताया, कैसे मामलों पर विचार नहीं करेगी लोढ़ा समिति
शीर्ष अदालत ने दो जनवरी के आदेश में कहा था कि सीओए मुख्य कार्यकारी अधिकारी के माध्यम से बीसीसीआइ के प्रशासन की निगरानी करेगी।
नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) में सुधार के बारे में सिफारिशें करने वाली न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा समिति को ऐसे किसी भी अनुरोध पर विचार नहीं करना चाहिए जो उसके पास शीर्ष अदालत ने नहीं भेजा है।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब लोढ़ा समिति के वकील ने उससे स्पष्टीकरण चाहा कि क्या उसे 'चुनिंदा मामलों में' शिकायतों पर विचार करना चाहिए। पीठ ने कहा, 'हमारी सुविचारित राय और दो जनवरी के आदेश के मद्देनजर न्यायमूर्ति लोढ़ा समिति को अब ऐसे किसी भी प्रतिवेदन पर विचार नहीं करना चाहिए जो उसके पास शीर्ष अदालत ने न भेजा हो।'
शीर्ष अदालत ने दो जनवरी के आदेश में कहा था कि प्रशासकों की समिति (सीओए) मुख्य कार्यकारी अधिकारी के माध्यम से बीसीसीआइ के प्रशासन की निगरानी करेगी।
‘सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रहे अमिताभ’
आइपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले के याचिकाकर्ता आदित्य वर्मा ने प्रशासकों की समिति (सीओए) को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि बीसीसीआइ के कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं। सीओए के प्रमुख विनोद राय को लिखे पत्र में बिहार क्रिकेट संघ (सीएबी) के सचिव वर्मा ने कहा, 'अमिताभ चौधरी ने शीर्ष कोर्ट को सौंपे पत्र में कहा था कि उन्होंने जेएससीए के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है और वह सुधारों का कार्यान्वयन सुनिश्चित कराएंगे। इसके बावजूद, जमशेदपुर के बिस्तुपुर की स्टेट बैंक ऑफ इंडिया शाखा ने माना है कि चौधरी का यहां जेएससीए के हस्ताक्षर से अकाउंट अभी भी चालू है।'