कभी कर रहा था कमेंटेटर बनने का प्रयास, फिर बन गया आइपीएल का 'बॉस'
आज से करीब दस साल पहले हर्ष भोगले की ही तरह जोरदार कमेंटेटरों की तलाश के लिए एक टीवी चैनल द्वारा चलाए गए टैलेंट हंट रियलिटी शो में भाग लेने पहुंचे सुंदर रमन कमेंटेटर तो नहीं बन सके, लेकिन आज वह आइसीसी चेयरमैन एन श्रीनिवासन के बाद क्रिकेट जगत के
रूपेश रंजन सिंह, नई दिल्ली। आज से करीब दस साल पहले हर्ष भोगले की ही तरह जोरदार कमेंटेटरों की तलाश के लिए एक टीवी चैनल द्वारा चलाए गए टैलेंट हंट रियलिटी शो में भाग लेने पहुंचे सुंदर रमन कमेंटेटर तो नहीं बन सके, लेकिन आज वह आइसीसी चेयरमैन एन श्रीनिवासन के बाद क्रिकेट जगत के सबसे शक्तिशाली अधिकारियों में से एक हैं।
43 वर्षीय रमन ने एक मीडिया प्लानर की हैसियत से कॉर्पोरेट वल्र्ड में प्रवेश किया और तेजी से सफलता की सीढिय़ां चढ़ते हुए माइंडशर इंडिया के प्रबंध निदेशक (एमडी) बन गए। इस दौरान रमन आइपीएल के पहले चेयरमैन ललित मोदी के संपर्क में आए जिन्होंने उन्हें आइपीएल की संचालन टीम में शामिल कर लिया।
जब बीसीसीआइ द्वारा मोदी पर प्रतिबंध लगाया तब मोदी से अच्छे संबंध की वजह से रमन का भी आइपीएल से बाहर जाना तय माना जाने लगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। इसके उलट रमन ने श्रीनिवासन का विश्वास जीतते हुए अपनी स्थिति और भी मजबूत कर ली और धीरे-धीरे बीसीसीआइ में उनकेबाद सबसे अधिक प्रभावशाली व्यक्ति बन बैठे।
कहने को तो रमन के पास कोई बड़ा पद नहीं है, लेकिन पिछले तीन सालों में बीसीसीआइ के अंदर उनकी हैसियत और भी बढ़ी है। हर कागज एक बार उनकी नजर से होकर जरूर गुजरता है। हर नई बहाली पर उनकी सहमति जरूरी होती है। किसी को बाहर करने में भी रमन की बड़ी भूमिका होती है।
किसी भी द्विपक्षीय सीरीज में कमेंटेटरों की नियुक्ति से पहले आधिकारिक प्रसारणकर्ताओं को रमन की हामी लेनी पड़ती है, क्योंकि बीसीसीआइ टीवी के पास इसके सारे निर्माण अधिकार होते हैं। इतना ही नहीं श्रीनिवासन की छाया कहे जाने वाले रमन आइसीसी की इंटीग्र्रिटी वर्किंग पार्टी में बीसीसीआइ का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये बातें साफ करती हैं कि आखिर क्यों मुद्गल समिति की रिपोर्ट में रमन पर अंगुली उठने के बावजूद बीसीसीआइ उनके समर्थन में मजबूती से खड़ा है।