34वें जन्मदिन पर विशेष : धोनी को क्यों चाहते हैं क्रिकेट फैंस
भारतीय क्रिकेट टीम में अब तक के सबसे सफलतम कप्तान महेंद्र सिंह धोनी आज अपना 34वां जन्मदिन मना रहे हैं।
मल्टीमीडिया डेस्क। प्यार करो या नफरत, आप उन्हें नजरअंदाज नहीं कर सकते। भारतीय क्रिकेट टीम में अब तक के सबसे सफलतम कप्तान महेंद्र सिंह धोनी आज अपना 34वां जन्मदिन मना रहे हैं।
धोनी के जन्मदिन के मौके पर हमने फैसला किया कि आखिर उन छह क्रिकेट कारणों का पता किया जाए जिससे पता चले कि वे प्रशंसकों के चहेते क्यों है। आईए जानते है वो छह प्रमुख कारण-
1 वन-डे में धोनी ने सबकुछ जीता
एमएस धोनी वन-डे क्रिकेट के राजा है। उन्होंने 2007 में आईसीसी वर्ल्ड टी-20, 2011 आईसीसी विश्व कप और 2013 चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब जीता। क्रिकेट के इतिहास में धोनी एकमात्र कप्तान हैं जिन्होंने तीनों प्रमुख आईसीसी टूर्नामेंट जीते। कोई अन्य कप्तान इसके पास नहीं आता।
2 वन-डे के सदाबहार महान फिनिशर है धोनी
2015 विश्व कप में जिम्बाब्वे के खिलाफ ऑकलैंड में जीत के बाद धोनी के मैच फिनिशर का अंदाज भारत को उपलब्धियां जरूर दिलाता है। भारतीय टीम में धोनी ने जब कदम रखा तो टीम ने 141 मैच में लक्ष्य का पीछा करते हुए 82 जीत हासिल की। लक्ष्य का पीछा करते समय धोनी की औसत 109.19 है।
3 श्रीलंका और पाक के लिए धोनी का प्यार
धोनी के विशेषता के कारण श्रीलंका और पाकिस्तान लंबे समय तक सहमे हुए रहे। इन दोनों देशों के लिए धोनी ने गजब की पारियां खेली। जयपुर में 183 रन की मैच विजेता पारी या फिर 2011 विश्व कप का फाइनल और या फिर वेस्टइंडीज में त्रिकोणीय सीरीज में एक ओवर में 15 रन बनाना।
धोनी ने श्रीलंका को हमेशा परेशान किया। पाकिस्तान के खिलाफ पहला प्रमुख वन-डे और टेस्ट में खेली 148 रन की पारी हो या फिर 29 रन पर पांच विकेट गिरने के बाद सातवें विकेट के लिए अश्विन के साथ 125 रन की रिकॉर्ड साझेदारी। धोनी ने इन दोनों देशों को जमकर परेशान किया है और उन्हें धोनी के जाने से निश्चित की राहत मिलेगी।
4 चोटिल होने के बाद और खतरनाक हो जाना
पोर्ट ऑफ स्पेन में श्रीलंका के खिलाफ त्रिकोणीय सीरीज के फाइनल में भारतीय टीम हार की कगार पर थी। 202 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत ने 182 रन पर नौ विकेट गंवा दिए थे। धोनी हेमस्ट्रिंग की चोट से परेशान थे। उन्होंने अपना समय लिया और आखिरी ओवर में 15 रन ठोंक दिए।
शमिंडा इरंगा की पहली गेंद खाली जाने के बाद धोनी ने अगली तीन गेंदों पर छक्का, चौका और छक्का जमाया। तीन गेंदों में उन्होंने मुकाबले का समीकरण ही बदल दिया। इससे धोनी ने दुनिया को अंतिम ओवरों में 'कैसे खेलना है' कि सीख दे दी।
5 जोखिम उठाना माही की पसंद
धोनी को जोखिम उठाने के लिए जाना जाता है। कुछ लोग इसे भाग्य का सहारा मिलना कहते है, लेकिन अन्य लोग इसे शानदार बताते हैं। 2007 टी-20 विश्व कप के फाइनल में जोगिंदर शर्मा से आखिरी ओवर कराने की चर्चा आज भी सुनने को मिल जाती है।
2011 विश्व कप में श्रीलंका के खिलाफ फाइनल मुकाबले में चौथे नंबर पर आकर बल्लेबाजी करना धोनी के जोखिम उठाने की आदत को और पुख्ता करता है। इसके साथ ही 2013 चैंपियंस ट्रॉफी में ईशांत शर्मा से आखिरी ओवर कराना उनकी महानता को दर्शाता है। भारत ने बड़े स्तर के इन सभी टूर्नामेंटों में खिताबी जीत दर्ज की।
6 छक्के के साथ मैच समाप्त करना पसंद
2011 विश्व कप खिताब और 2013 त्रिकोणीय सीरीज की जीत किस लिए याद है? कई अन्य अंतरराष्ट्रीय या आईपीएल मुकाबले से लोग आज भी क्यों जुड़े हुए हैं? क्योंकि धोनी ने इन सभी मैचों का अंत छक्के के साथ किया है। 2011 विश्व कप में धोनी का यादगार छक्का लोगों के जहन में बसा हुआ है। जब भी दुनिया धोनी को याद करेगी तो हमेशा छक्के के साथ मैच समाप्त करने की उनकी आदत भी उसमें शुमार होगी।
(साभार : नई दुनिया)