इस वजह से शरद पवार ने छोड़ा मुंबई क्रिकेट संघ का अध्यक्ष पद
शरद पवार ने शनिवार को मुंबई क्रिकेट संघ (एमसीए) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।
मुंबई, जेएनएन। बीसीसीआइ की सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा समिति की सुधार के आदेश को रोकने के खिलाफ लड़ाई को तब करारा झटका लगा जब अनुभवी नेता शरद पवार ने शनिवार को मुंबई क्रिकेट संघ (एमसीए) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।
आइसीसी और बीसीसीआइ के पूर्व अध्यक्ष पवार बीसीसीआइ प्रशासकों में एक बड़ा नाम है। उन्होंने लोढ़ा समिति द्वारा बताए गए 70 साल के आयु संबंधित नियम का पालन करते हुए अपना पद छोड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि वह इस सोच से ‘आहत’ है, जिसमें वे समझते हैं कि लोग बीसीसीआइ में इसलिए बने हुए हैं क्योंकि यह ‘लुभावना’ पद है।
उन्होंने संघ की आपात प्रबंध समिति बैठक के दौरान अपना इस्तीफा सौंपा। एनसीपी सुप्रीमो ने एमसीए को इस्तीफा देने वाले पत्र में कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला लिया है कि 70 साल के उम्र के अधिकारियों को क्रिकेट संस्थाओं में बरकरार नहीं रहना चाहिए। यह फैसला मुझ पर भी लागू होता है। इसीलिए मैं एमसीए अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहा हूं और मैं आपसे (सचिव) से इसे स्वीकार करने का आग्रह करता हूं।’
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एमसीए प्रबंध समिति के संयुक्त सचिव पीवी शेट्टी ने कहा कि समिति जल्द ही बैठक कर फैसला करेगी कि इसे स्वीकार किया जाए या नहीं। समिति के एक अन्य सदस्य विनोद देशपांडे ने पवार द्वारा सौंपे गए पत्र को मीडिया में पढ़कर सुनाया। पवार एमसीए अध्यक्ष पद में अपनी दूसरी पारी खेल रहे थे, उन्हें पिछले साल दो साल के कार्यकाल के लिए चुना गया था। वह 2001-02 और 2010-11 के बीच एमसीए अध्यक्ष रह चुके हैं।
यह लिखा है पत्र में :
एमसीए को लिखे पत्र में पवार ने कहा ‘क्रिकेट के संबंध में फैसला लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अधिकारियों को 70 साल की उम्र से ज़्यादा का नहीं होना चाहिए और उन्होंने इन पदों को ‘लुभावना’ करार किया था, जिसने मुझे बहुत दुखी कर दिया। इसलिए मैं और काम नहीं करना चाहता। सच्चाई में ये पद लोकतांत्रिक तरीकों से भरे जाते हैं। क्योंकि ये नियुक्तियां लोकतांत्रिक तरीकों से की गई थीं, इसलिए मैं उस पद पर काम करने में खुश था। अपने कार्यकाल के दौरान मैंने कोई भत्ता या किसी भी तरह का वित्तीय लाभ नहीं लिया।’