युवराज, सहवाग, गंभीर, लक्ष्मण जैसे सीनियर खिलाड़ियों को नहीं मिला सम्मान- सुरेश रैना
Raina angry on selectors सुरेश रैना ने कहा कि भारतीय चयनकर्ताओं सीनियर खिलाड़ियों को लेकर गंभीर नहीं हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय क्रिकेट टीम में युवराज सिंह, गौतम गंभीर, वीवीएस लक्ष्मण व वीरेंद्र सहवाग समेत कई बेहतरीन खिलाड़ी थे जिन्हें उनके करियर के अंतिम पड़ाव पर वो सम्मान नहीं मिला जिसके वह हकदार थे। अब इस कड़ी में नया नाम सुरेश रैना का भी जुड़ गया है। रैना इंस्टाग्राम लाइव चैट पर वो चयनकर्ताओं से नाराज दिखे और साफ कहा कि चयनकर्ता सीनियर खिलाड़ियों को लेकर गंभीर नहीं थे।
बायें हाथ के बल्लेबाज रैना ने 2019 विश्व कप के पहले की बात करते हुए कहा कि एनसीए में युवराज सिंह और मैंने यो-यो टेस्ट दिया। मैंने यो-यो टेस्ट सिर्फ पास नहीं किया बल्कि अच्छे नंबर भी लाए। इसके बाद विश्व कप टीम में चयन नहीं हुआ। इसके पीछे क्या कारण है मुझे नहीं बताया गया। मेरा मानना है कि चयनकर्ता सीनियर खिलाडि़यों को लेकर गंभीर नहीं दिखे।
उन्होंने कहा कि चयनकर्ताओं को हमारी गलतियां बतानी चाहिए, जिससे हम आगे वह गलती में सुधार कर सकें, लेकिन अगर हमें टीम में नहीं चुने जाने का कारण ही नहीं पता लगेगा तो कैसे काम करेंगे। हम देश के लिए इतना खेले हैं तो सच जानने के लिए काबिल तो होना चाहिए। समझ नहीं आता है कि जब हम लाइन में ही नहीं थे तो फिर कैसा यो-यो टेस्ट।
रैना ने एनसीए का किस्सा याद करते हुए कहा कि रणजी ट्रॉफी चल रही थी और हम सीनियर खिलाड़ी एनसीए में बैठे थे। राहुल द्रविड़ पहुंचे तो उन्होंने कहा कि तुम लोग रणजी नहीं खेल रहे हो? द्रविड़ ने कहा कि तुम्हें यहां रणजी ट्रॉफी खेलनी चाहिए थी। तुम सीनियर खिलाड़ी हो, थोड़ा खेलते तो खुद पूरी तरह से फिट हो जाते।
रैना ने आगे कहा कि जब आप खेलेगो तभी आपको अच्छा लगेगा, उसके अलावा जिम, ट्रेनिंग, नेट कुछ भी कर लो जो निखार आप में असल मैच खेलकर आएगा वह कहीं नहीं आएगा। जब गेंद आपके बल्ले से मिडिल होगी, तब अच्छा लगेगा। जब आप गेंद के पीछे दौड़ते हुए खुद को आजमाओगे तब पता चलेगा। उन्होंने कहा कि हमने टेस्ट पास किया लेकिन चयनकर्ताओं ने कोई जवाब नहीं दिया। कल को हम जब चयनकर्ता बनेंगे तो चयनकर्ता के नाते मैं उन्हें बताऊंगा कि यह गलती थी। असल में कमी क्या है पता चलनी चाहिए।
रैना ने कहा कि पिछले कुछ समय से रणजी ट्रॉफी बदल चुकी है। रणजी ट्रॉफी में कोई मैच नहीं देखने आता, कोई अहमियत नहीं देता है। फिर आइपीएल का इंतजार करते हैं। जब फ्रेंचाइजी पैसे दे रही है तो आपको प्रदर्शन करना होता है। पहले में अगर आपको दो करोड़ मिले हैं तो अगर आप अच्छा नहीं करोगे तो अगले ही साल आपको 200 रुपये भी नहीं मिलेंगे। कई खिलाडि़यों के साथ ऐसा हुआ है। टी-20 आसान नहीं है। 40 ओवर का बड़ा मैच होता है। सोचने का समय नहीं रहता है। आपको यात्रा, मीडिया से बातचीत, शूट आदि करना होता है। आइपीएल की दो महीने पहले से तैयारी करनी शुरू करते हैं।