ऐसे ही नहीं दिखी वो विदाई पारी, मीडिया की नजर से दूर ये किया था सचिन ने..
यह कहा जाता है कि सचिन तेंदुलकर क्रिकेट को दीवानों की तरह चाहते हैं, तो यकीनन यह उनकी मैचों की तैयारी में दिखता है। विश्वास न हो तो मुंबई के पूर्व भारतीय स्विंग गेंदबाज पारस महांब्रे से पूछिए, जिन्होंने उनकी विदाई सीरीज की तैयारी करवाई। प्रैक्टिस के लिए बांद्रा-कुर्ला कांप्लेक्स को चुना गया था, जो मीडिया की नजरों से दूर और शांत था।
क्लेटन मुर्जेलो (मिड-डे) मुंबई। यह कहा जाता है कि सचिन तेंदुलकर क्रिकेट को दीवानों की तरह चाहते हैं, तो यकीनन यह उनकी मैचों की तैयारी में दिखता है। विश्वास न हो तो मुंबई के पूर्व भारतीय स्विंग गेंदबाज पारस महांब्रे से पूछिए, जिन्होंने उनकी विदाई सीरीज की तैयारी करवाई। प्रैक्टिस के लिए बांद्रा-कुर्ला कांप्लेक्स को चुना गया था, जो मीडिया की नजरों से दूर और शांत था।
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41 वर्षीय महांब्रे सचिन के दोस्त हैं। दोनों रमाकांत आचरेकर के शिष्य हैं। महांब्रे ने 2003 में अपनी कप्तानी में मुंबई को रणजी चैंपियन बनाने के बाद प्रथम श्रेणी क्रिकेट से संन्यास लेकर कोचिंग शुरू कर दी थी। हालांकि महांब्रे सचिन के मामले में कोच शब्द से एतराज करते हैं। उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि इसके लिए कोच सही शब्द है। हम दोस्त हैं और दोस्त के नाते आप दूसरे शख्स की चिंता करते हैं। सारा मामला यह था कि वह अपनी तैयारी का लुत्फ उठाएं और अच्छा प्रदर्शन करे।'
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उन्होंने कहा कि यह तैयारी सिर्फ दो टेस्ट मैचों के लिए थी। सारा जोर इस बात पर था कि पिछले सुनहरे 24 सालों का दारोमदार इन दस दिनों पर है। इसके लिए सुबह जिम में फिटनेस शिड्यूल से लेकर बॉडी कंडीशनिंग तक सभी सर्वश्रेष्ठ स्तर पर चाहिए था। क्योंकि वेस्टइंडीज के पास कुछ अच्छे तेज गेंदबाज थे इसलिए सचिन ने रबड़ की बॉल भिगोकर गेंदबाजों से कहा कि वे 18 गज से गेंदबाजी करें। इससे उन्हें पेस और बाउंस को खेलने में मदद मिली। हमने बुनियादी तकनीक पर भी काम किया, जिसमें गेंद को लगातार हिट करना, ड्राइव करना और संतुलन शामिल था। इस बात का अभी आकलन किया गया कि गेंदबाज उन्हें किस तरह की गेंद डालेंगे। उन्होंने कहा कि पिछले साल इंग्लैंड के खिलाफ निराशाजनक घरेलू सीरीज के कारण भी इस बार सचिन थोड़ा सतर्क थे।
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महांब्रे याद करते हैं कि टेस्ट सीरीज शुरू होने से एक महीना पहले ही सचिन ने अपनी तैयारी शुरू कर दी थी। उनका दिन सुबह 6.30 बजे शुरू होता था। वह मैच के समय तक अपने शरीर और बल्लेबाजी को पूरी तरह लय में चाहते थे। हम रोजाना सुबह और दोपहर में आउटडोर नेट करते थे। जब बारिश होती थी तो इंडोर नेट किया जाता था। उन्होंने कहा कि इसका असर 15 नवंबर को वानखेड़े स्टेडियम में दिखा जब सचिन ने 74 रन की बेहतरीन पारी खेली। महांब्रे ने कहा, 'उस दिन हमने पुराने तेंदुलकर को देखा। जाहिर है हम सब यही चाहते थे।'
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