केपटाउन में बदला लेने वाली न्यूलैंड की पिच
जब दक्षिण अफ्रीकी टीम भारत गई थी तो बीसीसीआइ ने भी स्पिन गेंदबाजों की मुफीद पिच पर उसका कुछ ऐसा ही हाल किया था।
अभिषेक त्रिपाठी, सेंचुरियन। पांच नवंबर 2015 को भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच मोहाली में चार टेस्ट मैचों की सीरीज का पहला मुकाबला शुरू हुआ। दक्षिण अफ्रीकी स्पिनर इमरान ताहिर और पार्टटाइम स्पिनर डीन एल्गर ने भारत की पहली पारी सिर्फ 68 ओवर में 201 रनों पर ऑलआउट कर दी। एल्गर ने इस पारी में चार विकेट लिए। 43 मैच खेलने वाले एल्गर इस पारी के अलावा कभी भी एक साथ चार विकेट नहीं ले पाए हैं।
भारत की दूसरी पारी 200 रनों पर ऑलआउट हो गई। हालांकि इसके बावजूद भारतीय स्पिनरों ने दक्षिण अफ्रीका को पहली पारी में 184 और दूसरी पारी में सिर्फ 109 रनों पर ऑलआउट करके तीसरे दिन ही मैच 108 रनों से जीत लिया। दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाज दूसरी पारी में 40 ओवर भी बल्लेबाजी नहीं कर सके थे। दक्षिण अफ्रीका चार मैचों की यह सीरीज 0-3 से हारा था वह भी इसलिए क्योंकि बेंगलुरु टेस्ट में बारिश हो गई थी। तब भारत के रविचंद्रन अश्विन, रवींद्र जडेजा और अमित मिश्रा जैसे स्पिनरों और भारतीय पिच क्यूरेटर ने मेहमान बल्लेबाजों का जीना मुहाल कर रखा था।
बिलकुल ऐसी ही स्थिति भारतीय बल्लेबाजों के साथ दक्षिण अफ्रीका में हो रही है। फर्क इतना है कि यहां पर उधड़ी हुई पिचों की जगह तेज व घसियाली पिचें हैं, स्पिनरों की जगह तेज गेंदबाज और हारने वाली टीम भारत है। केपटाउन के न्यूलैंड्स स्टेडियम में पहले टेस्ट मैच में ही भारतीय टीम को 72 रनों से पराजय का सामना करना पड़ा। भारत पहली पारी में 209 तो दूसरी पारी में सिर्फ 135 रन बना सका। इस मैच में गिरे 40 में से 37 विकेट तेज गेंदबाजों ने लिए। अब 13 तारीख से सेंचुरियन में होने वाले दूसरे टेस्ट में भी उसके बल्लेबाजों की कब्रगाह तैयार की जा रही है।
और तेज होगी पिच
अब तक के सबसे बड़े सूखे से ग्रस्त केपटाउन के न्यूलैंड्स स्टेडियम की पिच पर बल्लेबाजों और खासकर भारतीय बल्लेबाजों का ऐसा बुरा हाल हुआ था तो उससे भी तेज और हरी सेंचुरियन की सुपर स्पोर्ट्स पार्क की पिच पर क्या होगा? निश्चित तौर पर सुपर स्पोर्ट्स पार्क की पिच को न्यूलैंड्स स्टेडियम की पिच से ज्यादा तेज माना जाता है और इस बार दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट बोर्ड किसी भी कीमत पर दुनिया की नंबर वन भारतीय टीम को छोड़ना नहीं चाहता है।
दो साल पहले जब दक्षिण अफ्रीकी टीम भारत गई थी तो बीसीसीआइ ने भी स्पिन गेंदबाजों की मुफीद पिच पर उसका कुछ ऐसा ही हाल किया था। उस सीरीज का तीसरा टेस्ट नागपुर में हुआ था। तीन दिन में खत्म हुए टेस्ट को भारत ने 124 रन से जीता था। इस मैच में दक्षिण अफ्रीका की पहली पारी तीन स्पिनरों के सामने सिर्फ 33.1 ओवर में 79 रनों पर ऑलआउट हो गई थी। इस मैच में तेज गेंदबाज के तौर पर सिर्फ इशांत शर्मा खेले थे जिन्होंने पहली पारी में सिर्फ दो ओवर ही फेंके थे। अब दक्षिण अफ्रीका अपने घर में तेज गेंदबाजों की मुफीद पिच बनाकर मेहमानों के सामने संकट खड़ा कर रहा है।
दक्षिण अफ्रीकी कप्तान फाफ डु प्लेसिस, कोच ओटिस गिब्सन ही नहीं भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली भी अगले दो टेस्ट मैचों में ऐसी ही पिच मिलने की उम्मीद जता चुके हैं। गिब्सन तो डेल स्टेन के चोटिल होने के बावजूद चार तेज गेंदबाजों को लेकर उतरने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। उम्मीद है कि दूसरे टेस्ट में वह कैगिसो रबादा, वर्नोन फिलेंडर और मोर्नी मोर्केल के अलावा तेज गेंदबाजी करने वाले ऑलराउंडर क्रिस मॉरिस को लेकर उतरें। गिब्सन पहले ही कह चुके हैं कि हम अपने घर में अपनी मजबूती के साथ उतरना चाहते हैं। अगर हमारे पास तेज गेंदबाजों की फौज है तो उसे यहां क्यों न उतारें।
हो सकता है कि अगले मैच में दक्षिण अफ्रीकी टीम अपने स्पिनर केशव महाराज को भी अंतिम एकादश में न खिलाए क्योंकि उन्हें पहले मैच में सिर्फ 10 ओवर फेंके थे और एक भी विकेट नहीं मिला था। सुपर स्पोर्ट्स पार्क में भी उनके लिए करने को कुछ खास नहीं होगा। हालांकि महाराज ने हाल में दक्षिण अफ्रीका के लिए बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है और उन्हें इस देश का अब तक का सबसे प्रतिभाशाली स्पिनर माना जा रहा है।
टीम इंडिया की चिंता
घरेलू सीरीज में स्पिन ट्रैक का बचाव करने वाले भारतीय कप्तान कोहली के साथ समस्या यह है कि वह यहां की तेज पिचों पर कोई सवाल नहीं उठा सकते इसलिए पहला टेस्ट मैच खत्म होने के बाद उन्होंने केपटाउन की पिच को 'बेहतरीन' बताया था। अगले दो टेस्ट में इसी तरह की दो 'बेहतरीन' पिचें उनका और उनकी टीम के बाकी सदस्यों का इंतजार कर रही हैं।
अब उन्हें बेहतरीन बल्लेबाजी का मुजाहिरा करना होगा क्योंकि उसके बिना यहां से जीतकर जाना बेहद मुश्किल काम होगा। अब देखना यह होगा कि कोहली अगले मैच में किस संयोजन के साथ उतरते हैं। वह अगले मैच में भी रविचंद्रन अश्विन या रवींद्र जडेजा के रूप में एक स्पिनर को अंतिम एकादश में मौका देते हैं या एक अतिरिक्त बल्लेबाज के साथ उतरते हैं।