बस देखते जाइए, जल्द प्रतिभा को नष्ट करने का रिकॉर्ड बनाएगा भारतीय क्रिकेट!
(शिवम् अवस्थी), नई दिल्ली। सभी का बचपन इस सवाल के साथ जरूर गुजरता है कि आखिर आसमान में तारा टूटता कैसे है, कैसे एक चमचमाती चीज आकाश से टपक कर अचानकर गुम सी हो जाती है, फिर धीरे-धीरे हम इस सवाल को भूल जाते हैं और कुछ ही लोग जीवन में ये जान पाते हैं कि आखिर तारा टूटना होता क्या है.. ऐसा ही कुछ हमारे देश के क्रिकेट की
(शिवम् अवस्थी), नई दिल्ली। सभी का बचपन इस सवाल के साथ जरूर गुजरता है कि आखिर आसमान में तारा टूटता कैसे है, कैसे एक चमचमाती चीज आकाश से टपक कर अचानक गुम सी हो जाती है, फिर धीरे-धीरे हम इस सवाल को भूल जाते हैं और कुछ ही लोग जीवन में ये जान पाते हैं कि आखिर तारा टूटना होता क्या है.. ऐसा ही कुछ हमारे देश के क्रिकेट की दास्तां है, यहां प्रतिभा आती हैं, चमचमाती हैं, और एक दिन कहीं ओझल हो जाती है, हम देखते तो हैं लेकिन बस उन्हीं टूटते तारों की कहानी की तरह इसको भी भूल जाते हैं, अभी कुछ ही दिन पहले हमनें आपको अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि कैसे प्रवीण तांबे, वसीम जाफर और अमोल मजूमदार जैसे खिलाड़ियों को बूढ़ा होने के लिए छोड़ दिया गया, लेकिन यह सफर अभी थमा नहीं हैं, कल फिर कुछ ऐसा ही हुआ..
पढ़ें: ऑस्ट्रेलिया सीरीज के लिए भारतीय टीम का एलान
यह भारतीय क्रिकेट की वो दास्तां है जो शायद आने वाले समय में युवा क्रिकेट खिलाड़ियों को इस खेल से मुंह मोड़कर डॉक्टर, इंजीनियर या कुछ और बनने के लिए मजबूर कर दे क्योंकि ऐसा भविष्य भला कौन प्रतिभावान खिलाड़ी पचा पाएगा। जब भारतीय चयनकर्ताओं ने सोमवार को ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच जल्द शुरू होने वाली वनडे सीरीज के लिए टीम का ऐलान किया तो पूरे देश में एक ही चीज का जश्न मना कि युवराज सिंह को टीम में दोबारा जगह मिल गई, जाहिर है कि युवी जैसे खिलाड़ी का लौटना किसी भी भारतीय के लिए खुशी का लम्हा होगा लेकिन उनका क्या, जो अच्छा प्रदर्शन करके भी सिर्फ टकटकी लगाए चयनकर्ताओं की तरफ उम्मीद लगाए देख रहे थे। हम बात कर रहे हैं परवेज रसूल और मोहित शर्मा की। दोनों ही खिलाड़ियों को ऐसे नजरअंदाज किया गया मानों चयनकर्ताओं ने हर बार कुछ अलग और हैरतअंगेज करने की कसम खा ली है। अपनी पिछली रिपोर्ट में हमनें आपको बताया था कि कैसे प्रवीण तांबे (42 वर्ष), वसीम जाफर (35 वर्ष) और अमोल मजूमदार (38 वर्ष) जैसे शानदार खिलाड़ियों को चयनकर्ताओं ने सिर्फ घरेलू मैदान पर बूढ़ा होने के लिए छोड़ दिया है, आइए अब इस फेहरिस्त के दो नए खिलाड़ियों पर भी नजर डाल लीजिए, जो शायद आने वाले समय में विलुप्त खिलाड़ियों की श्रेणी में आ जाएंगे, क्योंकि भारतीय क्रिकेट अधिकारियों ने तो जैसे कसम खा ली है कि प्रतिभा नष्ट करने का रिकॉर्ड बनाए बिना वे दम नहीं लेंगे।
1. परवेज रसूल:
यह खिलाड़ी जम्मू-कश्मीर की वादियों से अंतरराष्ट्रीय व प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उगती हुई इस राज्य की पहली उम्मीद की किरण थी। जब वह पहली बार जनवरी 2013 में इंग्लैंड के खिलाफ होने वाले अभ्यास वनडे मैच के लिए इंडिया-ए टीम के लिए चुने गए तो सबकी नजरें उन्हीं पर थीं। रसूल ने भी निराश नहीं किया और देखते-देखते बोर्ड प्रेसिडेंट इलेवन टीम से खेलते हुए मैच में सात विकेट लेकर सुर्खियां बटोरनी शुरू कर दीं। फिर आया वो मौका जब पुणे वॉरियर्स टीम ने ठीक कुछ ही हफ्तों में इस खिलाड़ी को आइपीएल खेलने का मौका दे डाला। हालांकि यहां उन्हें दो ही मैच खेलने का मौका मिला। फिर आया वो सन्नाटा जो अब युवा खिलाड़ियों के लिए आम सा हो गया है..वो अपने मौके का इंतजार करते रहे और आखिर अगस्त में उन्हें जिंबॉब्वे दौरे के लिए भारतीय वनडे टीम में शामिल किया गया लेकिन हैरत तब हुई जब भारत इस टूर्नामेंट में पूरी तरह से हावी होते हुए सभी पांच मैच जीती लेकिन इस स्थिति में भी रसूल ने पूरी सीरीज सिर्फ पवेलियन की शोभा बढ़ाई और अंत तक उन्हें खेलने का मौका नहीं दिया गया। वो बस फ्लाइट से जिंबॉब्वे गए और पांच मैच देखकर फ्लाइट से भारत लौट आए। इसको लेकर खूब हल्ला मचा और देखते-देखते फिर सन्नाटा छा गया। इसके बाद चयनकर्ताओं ने इस खिलाड़ी को अभी कुछ ही दिनों पहले वेस्टइंडीज-ए टीम के खिलाफ होने वाले गैर आधिकारिक टेस्ट मैचों में इंडिया-ए का हिस्सा बनने का मौका दिया, और रसूल ने एक बार फिर खुद को साबित किया और उन्होंने एक कठिन पिच पर सभी को चौंकाते हुए एक पारी में पांच विकेट झटके..लेकिन जब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ होने वाली सीरीज के लिए भारतीय टीम का कल ऐलान हुआ तो एक बार फिर इस खिलाड़ी का कहीं नामोनिशान नहीं था। आपको बता दें कि रसूल एक बेहतरीन ऑलराउंडर हैं लेकिन ऑलराउंडर्स के लिए तरसने वाली इस भारतीय टीम में भी उनके लिए कोई जगह नहीं बनाई गई। घरेलू क्रिकेट में भी इस खिलाड़ी ने बार-बार खुद को साबित किया है और प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनके नाम 17 मैचों में 46 विकेट भी हैं।
2. मोहित मिश्रा:
25 वर्षीय हरियाणा का यह तेज गेंदबाज आइपीएल से सुर्खियों में आया, चेन्नई सुपरकिंग्स की तरफ से सीजन-6 में खेलते हुए इस खिलाड़ी ने 15 मैचों में 20 विकेट हासिल किए और दुनिया की निगाहें अपनी ओर खींच लीं। जाहिर है कि ऐसे में उनको टीम में लेने का दबाव था, तो चयनकर्ताओं ने उन्हें अगस्त में जिंबॉब्वे दौरे पर जाने का मौका दे दिया। अब अंदाजा लगाइए इस बात का, कि एक खिलाड़ी ने विदेशी धरती पर अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर का आगाज किया और सबकी उम्मीदों पर खरा उतरते हुए अपने पहले ही मैच में वह शानदार गेंदबाजी करते हुए मैन ऑफ द मैच भी बने, जिससे संदीप पाटिल (जो कि खुद इस समय मुख्य चयनकर्ता हैं) के बाद ऐसा करने वाले वो दूसरे भारतीय क्रिकेटर भी बने, लेकिन नतीजा आपके सामने है, इस खिलाड़ी को उड़ान देने के बजाय, उसके पर कतर दिए गए..ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दौरे के लिए उनका चयन भी नहीं हुआ।
ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए टीम में रोहित शर्मा हैं, जिनका प्रदर्शन आए दिन गोते लगाता रहता है, टीम में इशांत शर्मा हैं, जिनके पास धार तो है लेकिन हर मैच में बमुश्किल फिसड्डी बल्लेबाजों के एक-दो विकेट हाथ आते हैं, टीम में विनय कुमार हैं जिनकी रफ्तार की धार बिल्कुल प्रवीण कुमार जैसी ही है जो धीरे-धीरे ढलती जा रही है और बल्लेबाज उन्हें आसानी से पढ़ रहे हैं लेकिन उसके बावजूद 25 वर्षीय रसूल और मोहित को उनके क्रिकेट करियर के अहम समय में मौका ना देते हुए उन्हें सिर्फ घरेलू क्रिकेट में पसीना बहाने के लिए छोड़ दिया जा रहा है। बेशक टीम में जगह सीमित है और सब खिलाड़ियों को तो शामिल नहीं किया जा सकता, लेकिन अच्छे प्रदर्शन के ठीक बाद किसी को बाहर बिठाना किस हद तक जायज है इसका फैसला आप खुद करें।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर