सौरव गांगुली को टीम इंडिया से हटाए जाने के खिलाफ जमकर बोले थे प्रणब मुखर्जी
2006 में जब सौरव गांगुली को भारतीय क्रिकेट टीम से बाहर कर दिया गया था तब पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी इसके खिलाफ जमकर बोले थे।
विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता। दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भले फुटबॉल के शौकीन थे और क्रिकेट में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन 2006 में जब सौरव गांगुली को भारतीय क्रिकेट टीम से बाहर कर दिया गया था, तब वह इसके खिलाफ जमकर बोले थे।
यह वह दौर था, जब टीम इंडिया के तत्कालीन कोच ग्रेग चैपल और सौरव के बीच का विवाद खुलकर सामने आ गया था। सौरव को भारतीय टीम से हटाए जाने को लेकर कोलकाता की सड़कों पर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया था। उस समय रक्षा मंत्री रहे प्रणब मुखर्जी भी सौरव के समर्थन में आए थे। उन्होंने कहा था-'सौरव निश्चित रूप से भारतीय टीम में जगह पाने के हकदार हैं। मेरा मानना है कि क्रिकेट या किसी भी खेल में कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। सौरव अच्छे खिलाड़ी हैं। उन्हें टीम में जगह मिलनी चाहिए।' प्रणब ने आगे कहा था कि खेल प्रत्येक समुदाय और समाज के लिए महत्वपूर्ण है। यह राष्ट्रीय अखंडता, गर्व और मित्रता की भावना को बढ़ाता है।
गौरतलब है कि चैपल के साथ विवाद के कारण सौरव को नवंबर, 2005 में वनडे टीम की कप्तानी से हटाकर राहुल द्रविड़ को उनकी जगह कप्तान नियुक्त किया गया था। उन्हें वनडे टीम से बाहर का रास्ता भी दिखा दिया गया था । उसके अगले साल जनवरी में सौरव को टेस्ट टीम से भी हटा दिया गया था। सौरव गांगुली को टीम का कप्तान उस वक्त बनाया गया था जब टीम इंडिया मैच फिक्सिंग के आरोपों की वजह से अपनी साख खो बैठी थी।
गांगुली ने उस मुश्किल घड़ी में एक नई टीम खड़ी की और टीम को विदेशों में भी जीतना सिखाया। गांगुली की कप्तानी में टीम इंडिया ने 2002 में इंग्लैंड के लॉर्ड्स में हराकर नेटवेस्ट ट्रॉफी में जीत दर्ज की थी तो वहीं 2003 वनडे विश्व कप के फाइनल में भी पहुंची थी। गांगुली ने टीम को युवराज सिंह, वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह जैसे खिलाड़ी दिए जो विश्वविजेता साबित हुए थे। फिलहाल गांगुली बीसीसीआइ के अध्यक्ष हैं।