पहले दौरे में ही सचिन में नजर आ गया था कमिटमेंट
उसे क्रिकेट के प्रति जुनून ही कहा जा सकता है। छोटी सी उम्र में तेज गेंदबाजों के सामने हिम्मत के साथ खड़े रहना। वह भी इमरान खान, वसीम अकरम और वकार युनूस जैसे गेंदबाजों के खिलाफ। फिर उनके छक्के छुड़ा देना। उस उम्र में ये काम कोई असाधारण खिलाड़ी ही कर सकता था।
मुंबई। उसे क्रिकेट के प्रति जुनून ही कहा जा सकता है। छोटी सी उम्र में तेज गेंदबाजों के सामने हिम्मत के साथ खड़े रहना। वह भी इमरान खान, वसीम अकरम और वकार युनूस जैसे गेंदबाजों के खिलाफ। फिर उनके छक्के छुड़ा देना। उस उम्र में ये काम कोई असाधारण खिलाड़ी ही कर सकता था। चोट लगने के बाद भी सचिन तेंदुलकर को मैदान से हटना गवारा नहीं था। 24 वर्ष पूर्व सचिन के अंदर क्रिकेट के प्रति जो कमिटमेंट देखी उसने उसे आज महान बना दिया। क्रिकेट के प्रति उसका जुनून ही था जिसने उसे 200 टेस्ट मैच खेलने की उपलब्धि के करीब पहुंचा दिया।
शुरू से ही असाधारण था सचिन
बात 1989 फैसलाबाद टेस्ट की है। पाकिस्तान के खिलाफ पहला टेस्ट कराची में ड्रॉ होने के बाद दूसरा टेस्ट 23 नवंबर से शुरू हुआ। 101 रन पर भारत के चार विकेट गिर चुके थे। तब नन्हा सचिन मैदान में खेलने आया। उसने पूरी एकाग्रता के साथ चार घंटे बल्लेबाजी की और 59 रन बनाए। पांचवें विकेट के लिए उसने मांजरेकर के साथ 133 रनों की साझेदारी निभा कर पाकिस्तानी गेंदबाजों को खूब परेशान किया। उसकी ये पारी आज भी सभी को याद है। चौथा टेस्ट सियालकोट में खेला गया। ड्रॉ रहे इस टेस्ट में भी सचिन ने 35 एवं 57 रनों की उम्दा पारियां खेली थी।
नहीं डरता था तेज गेंदबाजों से
उस समय इमरान खान और वसीम अकरम विश्व स्तर के तेज गेंदबाजों में शुमार थे। उनकी गेंदबाजी से विश्व के बल्लेबाज खौफ खाते थे। 16 वर्ष का ये लड़का किसी इमरान और अकरम से मतलब नहीं रखता था। उसे बल्लेबाजी के दौरान सिर्फ गेंद से ही मतलब होता था। फैसलाबाद और लाहौर के दर्शकों ने तूफानी गेंदबाजी की धज्जियां उड़ते हुए देखीं।
मैंने भी उसी सीरीज में अपने करियर की शुरुआत की थी। बचपन से ही सचिन की बल्लेबाजी एक परिपक्व बल्लेबाज की तरह थी। जब वह मैदान पर खेलने जाता था तब दर्शक सोचते थे की यह बच्चा यहां के तूफानी गेंदबाजों का किस तरह मुकाबला कर पाएगा। जब सचिन इमरान और अकरम की गेंद को सीमारेखा के बाहर मारता था तब दर्शक भी हैरत में पड़ जाते थे। हमेशा दिमाग में रहता था, टीम को हारने नहीं देना है। उस उम्र में उसकी बल्लेबाजी अद्भुत थी।
जब नाक से खून बहा
वनडे मैच में अकरम की एक गेंद सचिन की नाक में लग गई। नाक से खून बहने लगा। हम उसे गोद में उठाकर बाहर लेकर आ गए। लेकिन उसने जिद कर ली कि वह आगे भी खेलेगा, वरना टीम हार जाएगी। वह दोबारा बल्लेबाजी करने गया, लेकिन बिना कोई रन बनाए वकार की गेंद पर आउट हो गया।
बचपन में ही थे महानता के गुण
क्रिकेट के प्रति उसके अंदर जबर्दस्त कमिटमेंट था। उस उम्र में ही उसके पास क्रिकेट के सभी शॉट थे। तभी तो इमरान और अकरम जैसे गेंदबाज उसे हल्के में नहीं लेते थे। पहली टेस्ट सीरीज से ही पता चल गया था कि यह बल्लेबाज एक दिन विश्व क्रिकेट में छा जाएगा।
खूब हंसी मजाक करता था
हालांकि बाद में सचिन कुछ गंभीर हो गए। पाकिस्तान में अपने करियर की पहली सीरीज के दौरान वह काफी हंसी मजाक किया करता था। ड्रेसिंग रूम में वह किसी खिलाड़ी के पास बिना झिझक चला जाता था। सबके साथ जमकर हंसी मजाक करता। उसे इस बात से कोई मतलब नहीं था कि इनमें से कई काफी सीनियर खिलाड़ी हैं। साथी खिलाड़ी भी उस छोटे बच्चे के साथ खूब इंज्वाय करते थे।
[पूर्व टेस्ट क्रिकेटर विवेक राजदान की कामरान हाशमी से बातचीत पर आधारित)
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