VIDEO: कपिल देव के नेतृत्व में भारत ऐसे बना था पहली बार विश्व विजेता
1983 में जब तीसरा विश्व कप शुरू हुआ तो किसी को इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि भारतीय टीम इस बार विश्वचैंपियन बनने वाली है।
नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय क्रिकेट के लिए 25 जून का दिन बहुत ही एतिहासिक है ये वह तारीख है जब भारतीय टीम पहली बार विश्वविजेता बनी थी। क्रिकेट का यह तीसरा महाकुंभ था जो इंग्लैंड में आयोजित किया गया था। आज से ठीक 35 साल पहले कपिल देव के नेतृत्व में भारतीय टीम ने वो कारनामा कर दिखाया था जिसका अंदाजा उस समय शायद किसी भी क्रिकेट पंडित को नहीं था। यह वो दिन था जब भारत ने पूरी दुनिया को चौंकाते हुए लॉर्ड्सत के ऐतिहासिक मैदान में पहली बार विश्व कप हासिल किया था।
साल 1983 में जब तीसरा विश्व कप के शुरू हुआ तो किसी ने इस बात का अंदाजा भी नहीं लगाया होगा कि भारतीय टीम इस बार विश्वचैंपियन बनने वाली है। यहां तक कि तत्कालीन सट्टा बाजार में भी भारत का भाव 1 के मुकाबले 66 रखा गया था। इसके पहले कैरेबियाई टीम लगातार दो विश्वकप जीतकर तीसरे के फाइनल में ताल ठोंक रही थी। ऐसे में कपिल देव और उनके जांबाजों ने वो कारनामा कर दिखाया जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी।
1983 के विश्वकप में लीग मैचों से ही भारत ने अपने अभियान की शुरुआत 2 बार की विश्वविजेता रही वेस्टइंडीज को हराकर की थी इसके बाद जिम्बॉब्वे के खिलाफ अकेले कपिल देव ही भारी पड़े जब उन्होंने 175 रनों की पारी खेलकर भारत को जीत दिलाई थी और इस अभियान की ओर एक कदम और बढ़ाया था। जब भारत ने सेमीफाइनल में मेजबान इंग्लैंड को हराया तब भी किसी ने यह उम्मीद नहीं की थी कि भारत विश्वकप जीत लेगा, क्योंकि फाइनल में भारत का मुकाबला क्लाइव लॉयड की मजबूत टीम से था जो कि विश्वकप के पहले दोनों खिताब जीत चुकी थी।
25 जून को लॉर्ड्सव के मैदान पर कपिल देव टॉस हार गए और कैरेबियाई टीम ने उन्हें बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया। पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम कैरेबियाई गेंदबाजों की धारदार गेंदों के आगे 54.4 ओवरों में 183 रनों पर सिमट गई थी। इतने कम स्कोर के बाद भारतीय क्रिकेट फैंस निराश हो गए और स्टेडियम से घरों की ओर जाने लगे। 184 रनों के छोटे से लक्ष्य का पीछा करने उतरी सशक्त कैरेबियाई टीम असफल हो जाएगी ऐसी तो कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था, लेकिन कपिल देव और उनकी टीम के इरादे तो कुछ और ही थे जिसको शायद कैरेबियाई टीम नहीं पढ़ सकी।
184 रन के छोटे से लक्ष्य का पीछा करने के लिए जब कैरेबियाई टीम मैदान पर आई तो गॉर्डन ग्रीनिज डेसमेंड हेंस की जोड़ी सामने थी। अभी वेस्टइंडीज का स्कोर मात्र 5 रन ही था कि बलविंदर संधू ने गॉर्डन ग्रीनिज को मात्र 1 रन के निजी स्कोर पर क्लीन बोल्ड कर दिया इसके बाद बल्लेबाजी करने आए सर विवियन रिचर्ड्स ने तेजी से रन बनाए और वो मैच को जल्दी खत्म करने मूड में दिखाई दे रहे थे। उन्होंने भारतीय गेंदबाजों की जमकर खबर ली लेकिन 33 रन के निजी स्कोर मदन लाल की गेंद पर कपिल देव ने मिडविकेट पर लपक लिया। इस कैच को पकड़ने के लिए कपिल देव लगभग 20 कदम उल्टा दौड़कर पीछे की ओर भागे थे। यही वो कैच था जिसने इस मैच की दिशा बदल दी और भारत को विश्वचैंपियन बनने का रास्ता दे दिया।
देखते ही देखते कैरेबियाई टीम ने 76 रन के स्कोर पर 6 विकेट गवां दिए अब क्रीज पर विकेट कीपर बल्लेबाज जैफ डुजोन (25) और मैल्कम मार्शल (18) क्रीज थे। इन दोनों के जम जाने पर एक बार तो लगने लगा था कि अब मैच अब भारत की पकड़ से दूर जा रहा है, लेकिन मोहिंदर अमरनाथ ने दोनों बल्लेबाजों को आउट कर एक बार फिर से भारत मैच पर अपनी पकड़ बनाने में सफल हो गया। इसके बाद मार्शल को भी अमरनाथ ने आउट कर दिया। अब भारत विश्वविजेता बनने से मात्र 2 विकेट की दूरी पर था।
कपिल देव ने एंडी रॉबर्ट्स को आउट कर यह दूरी एक कदम और कम कर दी। इसके बाद जैसे ही अमरनाथ की गेंद पर माइकल होल्डिंग के लिए एलबीडब्ल्यू की अपील की गई अंपायर की अंगुली उठने से पहले ही मैदान में सैकड़ो भारतीय क्रिकेट फैंस एकसाथ उमड़ पड़े। भारत विश्वविजेता बन चुका था कपिल के धुरंधर कैरेबियाई टीम को 140 रन पर समेटते हुए इतिहास रच दिया था और देश के लिए इस तारीख को स्वर्णि अक्षरों में अंकित कर दिया।
साभार यूट्यूब