शशांक मनोहर ने श्रीनिवासन के साथ समझौता करने से इनकार किया
बीसीसीआइ अध्यक्ष पद को लेकर चल रहे गठजोड़ की राजनीति में उस समय मोड़ आया जब पूर्व अध्यक्ष शशांक मनोहर ने कहा कि वे तमिलनाडु क्रिकेट संघ के अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन के साथ कभी समझौता नहीं करेंगे।
कोलकाता। बीसीसीआइ अध्यक्ष पद को लेकर चल रहे गठजोड़ की राजनीति में उस समय मोड़ आया जब पूर्व अध्यक्ष शशांक मनोहर ने कहा कि वे तमिलनाडु क्रिकेट संघ के अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन के साथ कभी समझौता नहीं करेंगे।
बीसीसीआइ अध्यक्ष पद को लेकर चल रही राजनीति में दो दिन पहले उस समय माहौल गरमा गया था जब नागपुर में दो कट्टर प्रतिद्वंद्वियों शरद पवार और एन. श्रीनिवासन की मुलाकात हुई थी। मनोहर को शरद पवार गुट का अहम व्यक्ति माना जाता है। इस बैठक के बारे में पूछे जाने पर मनोहर ने कहा- मुझे नहीं मालूम की पवार और श्रीनिवासन के बीच क्या बातचीत हुई। जहां तक मेरा मामला है, मैं श्रीनिवासन के साथ कभी भी गठजोड़ नहीं करूंगा।
मनोहर ने कहा- मैं हमेशा से ही श्रीनिवासन और उनकी कार्यशैली का विरोधी रहा हूं। उन्होंने बीसीसीआइ की छवि को नुकसान पहुंचाया है और मैं किसी भी परिस्थिति में उनके साथ हाथ नहीं मिलाऊंगा। यदि परिस्थिति में बदलाव आया तब भी मेरा नजरिया यही रहेगा।
मनोहर के इस सख्त रूख से श्रीनिवासन और पवार के बीच कथित गठजोड़ की खबरों को धक्का पहुंचेगा। मनोहर एनसीपी प्रमुख शरद पवार के मुख्य सिपहसालार है और श्रीनिवासन से संबंधों के चलते वे मनोहर को नाराज नहीं करेंगे। राजीव शुक्ला को बीसीसीआइ अध्यक्ष बनने से रोकने के लिए पवार और श्रीनिवासन करीब आ रहे हैं।
श्रीनिवासन गुट को 8 इकाइयों का समर्थन हासिल है, लेकिन गुरुवार को बेंगलुरू में हुई बैठक में उसके मात्र 6 सदस्य ही शामिल हुए। यह श्रीनि गुट के दबदबे में आ रही गिरावट को दिखाता है। पवार गुट के पास 10-12 वोट है, लेकिन पवार इसके बावजूद मनोहर को नाराज करना नहीं चाहेंगे। केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा 7-8 वोटों को प्रभावित कर सकती है। इस समय स्थिति ऐसी है कि तीनों गुट - पवार, श्रीनिवासन, अनुराग ठाकुर - अपने दम पर अध्यक्ष पद के लिए जरूरी वोट नहीं हासिल कर सकते हैं। इसके लिए कम से कम किसी भी दो गुट का एकसाथ आना आवश्यक है। अनुराग ठाकुर को भाजपा दिग्गज अरूण जेटली का समर्थन प्राप्त है और वे राजीव शुक्ला को अध्यक्ष बनाना चाहते हैं। वैसे इस राजनीति के चलते शुक्ला ने कहा था कि वे अब बीसीसीआइ अध्यक्ष नहीं बनना चाहते।