Move to Jagran APP

भारत में किसी भी मैच में डोप टेस्ट ले सकेगा नाडा, राहुल जौहरी और सबा के फैसले से अधिकारी और पदाधिकारी भी परेशान

राहुल जौहरी और बीसीसीआइ के जीएम सबा करीम के खेल मंत्रालय के सामने घुटने टेकने से बीसीसीआइ के पदाधिकारी ही नहीं बल्कि अधिकारी भी नाराज हैं।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Fri, 09 Aug 2019 08:49 PM (IST)Updated: Fri, 09 Aug 2019 09:48 PM (IST)
भारत में किसी भी मैच में डोप टेस्ट ले सकेगा नाडा, राहुल जौहरी और सबा के फैसले से अधिकारी और पदाधिकारी भी परेशान
भारत में किसी भी मैच में डोप टेस्ट ले सकेगा नाडा, राहुल जौहरी और सबा के फैसले से अधिकारी और पदाधिकारी भी परेशान

अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति के आधीन काम कर रहे बीसीसीआइ के सीईओ राहुल जौहरी और बीसीसीआइ के जीएम (क्रिकेट ऑपरेशंस) सबा करीम के खेल मंत्रालय के सामने घुटने टेकने से बीसीसीआइ के पदाधिकारी ही नहीं बल्कि अधिकारी भी नाराज हैं।

loksabha election banner

हालत यह है कि, इन दोनों के राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) को लिखित में आश्वासन देने के बाद अब यह एजेंसी भारतीय सरजमीं पर होने वाले किसी भी क्रिकेट टूर्नामेंट में डोप टेस्ट कर सकती है। बीसीसीआइ के एक पदाधिकारी ने कहा कि बोर्ड के ये दोनों अधिकारी क्या करके आएं हैं ये इनको पता ही नहीं है। नाडा के अंतर्गत आने वाला कोई भी राष्ट्रीय खेल संघ (एनएसएफ) इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) की तरह टूर्नामेंट का आयोजन नहीं करता है। आइपीएल में देश के साथ-साथ न्यूजीलैंड, वेस्टइंडीज, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड सहित कई देशों के क्रिकेटर खेलते हैं।

आइपीएल हमारा घरेलू टूर्नामेंट है और ऐसे में नाडा को इन विदेशी क्रिकेटरों के भी डोप टेस्ट लेने का अधिकार होगा। ऐसे में वे क्रिकेटर आइपीएल में खेलने से इन्कार कर सकते हैं। ये दोनों पृथ्वी शॉ के डोप टेस्ट मामले को भी सही तरह से हैंडल नहीं कर पाए और जिसका खामियाजा अब भारतीय क्रिकेट को भुगतना होगा। बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि जितना मुझे मालूम है कि अब नाडा भारतीय धरती पर किसी भी टूर्नामेंट दलीप ट्रॉफी, रणजी ट्रॉफी, कूच विहार ट्रॉफी, आइपीएल, किसी भी द्विपक्षीय अंतरराष्ट्रीय सीरीज के दौरान डोप टेस्ट ले सकता है। यह बीसीसीआइ की सबसे बड़ी भूल है।

जहां चाहेंगे जब चाहेंगे टेस्ट ले सकेंगे : जुलानिया

भारत के खेल सचिव राधेश्याम जुलानिया ने कहा कि बीसीसीआइ नाडा के अंतर्गत आने के लिए तैयार हो गया है। अब सभी क्रिकेटरों का नाडा टेस्ट ले सकेगा। जुलानिया ने कहा कि स्वीडन की डोप टेस्टिंग मैनेजमेंट (आइडीटीएम) संस्था एक बाहरी एजेंसी है जिसे बीसीसीआइ ने सैंपल लेने के लिए नियुक्त किया था। अब यह एजेंसी नाडा होगी। मैंने बीसीसीआइ को विस्तार से बताया कि आप कानून से अलग नहीं हो सकते हैं। कानून सभी के लिए समान हैं। सभी खेल संघ एक कानून के अंतर्गत हैं। आपको एक करार पर हस्ताक्षर करने की जरूरत है। हम उन्हें बारी-बारी से बताते रहे हैं, इसके लिए एमओयू की जरूरत नहीं है, कानून सभी पर लागू होते हैं।

डोपिंग की व्हेयर एबॉउट धारा पर खेल सचिव ने कहा कि हां, नाडा जब चाहेगी और जहां चाहेगी टेस्ट ले सकती है। विश्व डोपिंग रोधी संस्था (वाडा) की धारा 5.2 नाडा को यह इजाजत देती है कि वह अपनी धरती पर कभी भी अपने खिलाडि़यों का टेस्ट ले सकती है। भारतीय मूल के सभी खिलाड़ी और जिनके पास भारत की नागरिकता है। सभी नाडा के कानून के अंतर्गत आते हैं। खेल मंत्रालय ने भारतीय क्रिकेट बोर्ड के डोपिंग प्रोग्राम को लेकर काफी आलोचना की थी। वाडा के मुताबिक सिर्फ डोपिंग रोधी संस्था जिनके पास टेस्ट की स्वीकृति है, वहीं एथलीटों का टेस्ट ले सकते हैं, लेकिन जब से बीसीसीआइ ने नाडा के साथ हाथ नहीं मिलाए थे, तो खेल मंत्रालय लगातार बीसीसीआइ से कहता रहा कि उन्हें डोप टेस्ट लेने का अधिकार नहीं है। बीसीसीआइ की ओर से 2018 में 215 सैंपल नाडा की प्रयोगशाला में भेजे गए, जिसमें से पांच टेस्ट पॉजीटिव रहे। इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि पॉजीटिव पाए गए एथलीटों से कैसे निपटा गया।

नया बीसीसीआइ नहीं मानेगा नाडा को

हालिया घटनाक्रम से बीसीसीआइ के पदाधिकारी नाराज हैं और कुछ ने कहा कि यह फैसला सरकार के दबाव में लिया गया है। इसे बोर्ड अपनी स्वायत्तता का अधिकार खो देगा। एक वरिष्ठ बीसीसीआइ अधिकारी ने कहा कि सीईओ राहुल जौहरी या सीओए को कोई अधिकार नहीं है कि वह इस तरह का नीतिगत फैसला लें। बोर्ड के तीनों पदाधिकारियों अध्यक्ष सीके खन्ना, सचिव अमिताभ चौधरी और कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी को भी इस बारे में नहीं बताया गया। यह नीतिगत फैसला है और बीसीसीआइ की आम सभा से इसकी अनुमति नहीं ली गई इसलिए चुनाव के बाद जैसे ही नया बीसीसीआइ आएगा वह नाडा से डोप टेस्ट नहीं करवाएगा।

बोर्ड के पदाधिकारी ने कहा कि सीओए और सीईओ को बीसीसीआइ चलाना नहीं आता है। इन लोगों ने देश के क्रिकेट को बर्बाद कर दिया है। बीसीसीआइ की वर्किंग कमेटी के एक पूर्व सदस्य ने कहा कि जिस तरह से युवा बल्लेबाज पृथ्वी शॉ का डोप मामला संभाला गया उससे बीसीसीआइ का संकट बढ़ गया। शॉ का अप्रैल में लिया गया टेस्ट फेल हो गया था, जिसके बाद वह आइपीएल में खेलते और राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी में अभ्यास करते हुए देखा गया था। नाडा को दूर रखने के लिए आपका खुद का सिस्टम मजबूत होना चाहिए लेकिन इन लोगों ने हद ही कर दी। हमने देखा कि शॉ को डोप टेस्ट में फेल होने के बावजूद आइपीएल में खेलने की इजाजत दी गई और जब सब कुछ कागजों में था तो वह राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी की सुविधाएं ले रहा था।

एक अन्य अधिकारी ने कहा कि सीईओ ने खुद की गलतियों को छिपाने के लिए सरकार को खुद पर हावी होने का मौका दिया। यह फैसला सीओए के क्षेत्र में नहीं आता था। उन पर प्रबंधन चलाने की जिम्मेदारी है। यह फैसला बोर्ड के चुनाव के बाद जनरल बॉडी को लेना चाहिए था। मैं सीओए प्रमुख विनोद राय को एक समझदार इंसान समझता था, लेकिन क्या वह जीएम और अन्य कानूनी टीम से सलाह ले रहे हैं? अगर इस करार पर हस्ताक्षर हो गए हैं तो चुनाव के बाद बीसीसीआइ की जनरल बॉडी भी इस करार को तोड़ नहीं सकती है।

एक अन्य अधिकारी ने पूछा कि अब आरटीआइ के अंतर्गत आने के लिए कितना समय लगेगा? यह तीन महीने में नहीं हो सकता, लेकिन एक वर्ष में हो सकता है। कौन इसकी जिम्मेदारी लेगा? आज की बैठक में ये दोनों पूरी तरह से तैयार नहीं थे। खेल सचिव ने इन दोनों को दबाव में लिया और इन्होंने अंडरटेकिंग दे दी। हालांकि इनकी अंडरटेकिंग के कोई मायने नहीं हैं क्योंकि राहुल जौहरी को बीसीसीआइ से ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है। अगर उन्होंने ऐसा किया भी है तो यह उनकी निजी अंडरटेकिंग मानी जाएगी।

अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.