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बीसीसीआइ के सुधार में रोड़ा बन रहे हैं ये दो पूर्व दिग्गज

लोढ़ा समिति की सिफारिशों पर अगली सुनवाई 14 जुलाई को होनी है। इस रिपोर्ट में कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी की तारीफ की गई है जो सुधार लागू करने के लिए प्रयासरत हैं।

By Pradeep SehgalEdited By: Published: Thu, 13 Jul 2017 12:00 PM (IST)Updated: Thu, 13 Jul 2017 01:21 PM (IST)
बीसीसीआइ के सुधार में रोड़ा बन रहे हैं ये दो पूर्व दिग्गज
बीसीसीआइ के सुधार में रोड़ा बन रहे हैं ये दो पूर्व दिग्गज

नई दिल्ली, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त क्रिकेट प्रशासकों की समिति (सीओए) ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट में कहा है कि निरंजन शाह और एन श्रीनिवासन जैसे अयोग्य पदाधिकारी अपने निजी हितों के चलते लोढ़ा समिति के सुधार लागू करने में बाधा पैदा कर रहे हैं।

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सीओए ने सुप्रीम कोर्ट में जमा अपनी चौथी स्टेटस रिपोर्ट में यह सब बातें कहीं। इससे पहले उन्होंने 27 फरवरी, 17 मार्च और सात अप्रैल को भी अपनी स्टेटस रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को दी थी। लोढ़ा समिति की सिफारिशों पर अगली सुनवाई 14 जुलाई को होनी है। इस रिपोर्ट में कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी की तारीफ की गई है जो सुधार लागू करने के लिए प्रयासरत हैं। इसमें श्रीनिवासन के विश्वासपात्र कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी पर मूक दर्शक बने रहने का आरोप लगाया गया है।

सीओए ने प्रदेश इकाइयों में सहमति बनाने में भी असमर्थता जताई। रिपोर्ट के सातवें बिंदु में कहा गया है कि तीसरी रिपोर्ट जमा करने के बाद से तीन महीने के भीतर सीओए ने बीसीसीआइ की सदस्य इकाइयों में नया संविधान लागू करने के लिए सहमति बनाने की हरसंभव कोशिश की। सीओए की उनके साथ दो बैठकें छह मई और 25 जून को हो चुकी हैं, लेकिन सहमति बनाने के तमाम प्रयास विफल रहे। नौवें बिंदु में कहा गया कि बीसीसीआइ के पूर्व अध्यक्ष श्रीनिवासन और सचिव शाह रोड़े अटका रहे हैं। इसमें कहा गया कि 26 जून की एसजीएम में कई लोगों ने भाग लिया जो बीसीसीआइ के पदाधिकारी पद से अयोग्य करार दिये जा चुके हैं, इनमें श्रीनिवासन और निरंजन शाह शामिल हैं। इनके निहित स्वार्थ हैं जिसके चलते ये लोढ़ा समिति की सिफारिशें लागू नहीं होने दे रहे।

सीओए ने एक ऑडियो फाइल जमा की है, जिसमें संकेत है कि 26 जून की बैठक में कुछ अयोग्य सदस्यों ने बाधा डालने की कोशिश की। सीओए ने यह भी कहा कि प्रदेश इकाइयां अयोग्य लोगों को किसी तरह भीतर घुसाने के तरीके तलाश रही हैं। क्योंकि न्यायालय के फैसले में अयोग्य पदाधिकारियों को बीसीसीआइ बैठकों से ही बाहर रखने की बात कही गई है। शाह जैसे लोग बिना किसी पद के हालात का फायदा उठा रहे हैं, क्योंकि बीसीसीआइ एसजीएम में साधारण सदस्य के भाग लेने के बारे में कोई परिभाषा नहीं दी गई है। शाह को विशेष समिति का सदस्य होने के कारण एसजीएम में विशेष आमंत्रण मिला था। सीओए ने यह भी कहा कि बीसीसीआइ ने सितंबर, 2016 से अभी तक किसी लोकपाल की नियुक्ति नहीं की है।

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