कप्तानी छोड़ने से पहले धौनी ने दिखाया नया रंग, तो दोस्त ने दिखाया अपना पुराना रूप
कुछ वजह और भी थीं जिसने सबका ध्यान नागपुर की ओर आकर्षित किया।
(शिवम् अवस्थी), नई दिल्ली। नागपुर में हुए रणजी ट्रॉफी के दिलचस्प सेमीफाइनल मुकाबले में बुधवार को चौथे दिन ही गुजरात ने झारखंड को 123 रन से हराकर फाइनल में जगह बना ली है। यूं तो ये मैच इसलिए ऐतिहासिक बन गया क्योंकि झारखंड इतिहास में पहली बार रणजी सेमीफाइनल खेलने उतरा था वहीं, गुजरात की टीम ने रणजी ट्रॉफी के 83 साल के इतिहास में दूसरी बार ही फाइनल में जगह बनाई है....लेकिन कुछ वजह और भी थीं जिसने सबका ध्यान नागपुर की ओर आकर्षित किया।
- दिखा माही का नया रंग
महेंद्र सिंह धौनी ने बुधवार रात अचानक वनडे और टी20 की कप्तानी छोड़ दी लेकिन पिछले कुछ दिनों में वो अलग ही अंदाज में नजर आ रहे थे। वो झारखंड की रणजी टीम का हिस्सा तो नहीं थे लेकिन उनको इस बार टीम का मार्गदर्शक (मेंटर) बनाया गया था। सेमीफाइनल मैच में माही को समय मिला तो वो आ गए अपने राज्य की टीम का हौसला बढ़ाने। इस दौरान इस सफल कप्तान को पहली बार 'कोच' के रूप में लोगों ने देखा।
कभी वो खिलाड़ियों को सलाह देते दिखे तो कभी कप्तान सौरभ तिवारी को समझाते हुए। कभी डगआउट में खड़े होकर बल्लेबाजी का पाठ पढ़ाते नजर आए तो कभी खिलाड़ियों को बुलाकर चर्चा की। कप्तान के तौर पर ऐसा करते उन्हें कई बार देखा गया लेकिन बेंच पर बैठकर उनका ये रूप दिलचस्प रहा।
- दोस्त ने दिखाया पुराना रूप
वहीं, दूसरी तरफ धौनी के करीबी दोस्त माने जाने वाले आरपी सिंह ने धौनी की ही टीम को बेबस कर दिया। लंबे समय से भारतीय टीम से बाहर रहने वाले उत्तर प्रदेश के इस 31 वर्षीय गेंदबाज ने इस मैच में अपना पुराना जलवा दिखाया।
पहली पारी में आरपी ने 90 रन देकर 6 विकेट लिए जबकि दूसरी पारी में 25 रन देकर 3 विकेट झटके। दूसरी पारी में 29 रन देकर 6 विकेट लेने वाले जसप्रीत बुमराह से वो मैन ऑफ द मैच की रेस में पीछे तो रह गए लेकिन 1950-51 के बाद अब जाकर गुजरात को रणजी फाइनल में पहुंचाने में उनका बड़ा योगदान रहा। अब धौनी अपनी टीम की हार से दुखी होंगे या अपने दोस्त की वापसी से खुश, ये तो माही ही जानें।