आइपीएल की विश्व स्तरीय साख में इजाफा हुआ है: शुक्ला
भारत में क्रिकेट का बड़ा बाजार है और लोग इससे किसी न किसी तरीके से जुड़ना चाहते हैं।
नई दिल्ली,[अभिषेक त्रिपाठी़]। स्टार इंडिया ने इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) के अगले पांच साल के प्रसारण अधिकार 16347.50 करोड़ रुपये में खरीद लिए हैं, लेकिन इसके साथ ही बीसीसीआइ के अंदर से सवाल उठने लगे हैं कि इसका असर अगले साल भारतीय टीम के घरेलू मैचों के प्रसारण अधिकारों से मिलने वाली रकम पर पड़ सकता है। इन सभी मुद्दों पर आइपीएल चेयरमैन राजीव शुक्ला से अभिषेक त्रिपाठी ने बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश-
बोर्ड के कुछ पदाधिकारियों का कहना है कि महंगे आइपीएल के कारण भारतीय टीम के मैच सस्ते हो सकते हैं?
-मुझे ऐसा नहीं लगता। आइपीएल के प्रसारण के करार से मिलने वाला धन भी बीसीसीआइ के पास ही जाता है। जो प्रसारणकर्ता आइपीएल के अधिकार लेने से चूक गए हैं, वे भारतीय टीम के घरेलू मैचों के अधिकार पाने की कोशिश करेंगे। टीम इंडिया के मैचों के लिए कम धन मिलने का विचार काल्पनिक है। इससे पहले ओप्पो टीम इंडिया और वीवो आइपीएल का मुख्य प्रायोजक बना तब भी बीसीसीआइ को अच्छी-खासी रकम मिली। आगे भी जो ज्यादा बोली लगाएगा उसे टीम इंडिया के मैचों के करार मिलेंगे।
स्टार ने आइपीएल में इतना धन खर्च कर दिया है तो उसके भारत के मैचों में ज्यादा धन नहीं खर्च करने के संकेतों के बीच बाकी चैनल क्यों ज्यादा धन खर्च करेंगे?
-मुझे नहीं लगता कि ऐसा होगा। भारत में क्रिकेट का बड़ा बाजार है और लोग इससे किसी न किसी तरीके से जुड़ना चाहते हैं। जो आइपीएल से नहीं जुड़ पाए वो भारतीय टीम से जुड़ने की कोशिश करेंगे। अगले साल भारत के मैचों के प्रसारण की नीलामी से बीसीसीआइ को पहले से ज्यादा धन मिलेगा।
-पूर्व आइपीएल चेयरमैन ललित मोदी कह रहे हैं कि बीसीसीआइ को बहुत कम रकम मिली है। आपका क्या कहना है?
-मुझे लगता है कि यह रकम बहुत संतुलित है। इससे आइपीएल की विश्व स्तरीय साख में इजाफा हुआ है। बड़ी-बड़ी कंपनियों ने इतनी महंगी बोली लगाई और पारदर्शी प्रक्रिया के तहत उनमें से एक का चयन हुआ, यह आसान काम नहीं था। कहीं किसी किस्म की कोई शिकायत नहीं आई। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति के प्रतिनिधि भी इस प्रक्रिया के दौरान मौजूद रहे। इससे विश्व में भारतीय क्रिकेट का बोलबाला बढ़ेगा जो अच्छा है। जहां तक ललित मोदी की बात है तो उनकी टिप्पणी को महत्व देने की जरूरत नहीं है। मैं उन पर कोई कमेंट नहीं करना चाहूंगा।
-आप पारदर्शिता की बात कर रहे हैं तो ई-ऑक्शन से परहेज क्यों?
-सीओए के सामने ई-ऑक्शन के जरिये नीलामी का प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन सीओए ने कहा था कि अभी तक इसकी कोई तैयारी नहीं हुई है। आगे जब इस पर व्यवस्था होगी तो उसे आगे लागू किया जाएगा। वर्तमान टेंडर प्रक्रिया भी पारदर्शी है और इससे बीसीसीआइ को फायदा भी हो रहा है।
-आइपीएल के मुख्य कार्यक्रम में सब थे, लेकिन उनके चेयरमैन ही मौजूद नहीं थे?
-कुछ लोगों ने सवाल उठाया था। हालांकि उनमें कोई सच्चाई नहीं थी, लेकिन फिर भी मैंने खुद को इस प्रक्रिया से दूर रखने का फैसला किया क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि मुझ पर या आइपीएल पर जरा भी प्रश्नचिन्ह लगे।
-इस भारी भरकम रकम से भारतीय क्रिकेट को इसका क्या फायदा होगा?
-बीसीसीआइ को मिलने वाला धन भारतीय क्रिकेट के ही काम आता है। बोर्ड से राज्य संघों को धन मिलता है। क्रिकेटरों, अंपायर और अन्य सहयोगी स्टाफ को धन मिलता है। जूनियर क्रिकेटरों को फायदा मिलता है। निश्चित तौर पर बोर्ड इस दिशा में और कदम उठाएगा।