EXCLUSIVE: IPL 2019 के लिए तैयारी करके आए थे वार्नर : वीवीएस लक्ष्मण
IPL 2019 वीवीएस लक्ष्मण ने कहा कि अभी भी हैदराबाद के पास प्लेऑफ में पहुंचने की संभावना है।
आइपीएल के मौजूदा सत्र में सनराइजर्स हैदराबाद ने अच्छा खेल दिखाया है लेकिन नतीजे उसके हिसाब से नहीं रहे हैं। आलम ये है कि टीम के प्लेऑफ में पहुंचने की संभावनाओं को लेकर कई सवाल खड़े हो चुके हैं। टीम की संभावनाओं और आगामी मुकाबलों की रणनीतियों को लेकर अभिषेक त्रिपाठी ने सनराइजर्स के मेंटर और पूर्व भारतीय क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण से खास बातचीत की। पेश है उस बातचीत के प्रमुख अंश :
सनराइजर्स हैदराबाद के प्लेऑफ में पहुंचने की संभावनाओं को लेकर बचे हुए मैच कितने अहम हैं और क्या आपकी टीम दूसरों की पार्टी खराब करने के बारे में सोच रही है?
-देखिए हमारे पास अभी भी प्लेऑफ में पहुंचने की संभावनाएं हैं। हम एक समय में एक ही मुकाबले पर ध्यान लगाएंगे और वाकई में हम प्लेऑफ में पहुंचने के लिए खेलेंगे। मुझे उम्मीद है कि अगर हमारी टीम बचे हुए मुकाबलों में अपनी क्षमताओं पर खेली तो हम निश्चित तौर पर प्लेऑफ में पहुंचेंगे।
विश्व कप की वजह से कई विदेशी खिलाड़ी वापस जा रहे हैं। क्या इससे आपकी टीम पर कोई असर पड़ेगा ?
-नीलामी के समय हमें पता था कि ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसी टीमों के खिलाड़ी विश्व कप से पहले तैयारियों के लिहाज से बीच में ही लौट जाएंगे। इन सभी बातों को ध्यान में रखकर हमने उनके बैकअप की तैयारी की थी। अच्छी बात यह है कि टीम के पास अच्छे विकल्प मौजूद हैं। मनीष पांडे को रन बनाते देखकर अच्छा लगा। क्योंकि इससे दूसरे खिलाडि़यों को भी खुद को साबित करने का मौका मिलता है। हमारे पास ऐसी परिस्थिति से निपटने के लिए रणनीति है और हम इसके लिए तैयार हैं।
दीपक हुड्डा और युसूफ पठान ने पिछले साल अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन इस साल उन्हें ज्यादा मौके मिले नहीं और अगर मिले भी तो वह क्यों कुछ खास नहीं कर पाए ?
-यह बात सही है कि इन्हें बहुत ज्यादा मौके नहीं मिले हैं। डेविड वार्नर और जॉनी बेयरस्टो जैसे शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों ने ही ज्यादातर गेंदें खेली हैं। ऐसे में यह कहना गलत होगा कि मध्य क्रम फॉर्म में नहीं है या रन नहीं बना रहा। क्योंकि जब उन्हें बल्लेबाजी करने का मौका ही नहीं मिलेगा तो हम कैसे उनके प्रदर्शन का आकलन कर सकते हैं। मध्य क्रम के बल्लेबाजों को आखिरी ओवरों में ही बल्लेबाजी करने के मौके मिले हैं जिसमें उन पर तेज गति से रन बनाने का दबाव रहा है और वह बड़े शॉट लगाने के चक्कर में आउट हुए हैं। कुल मिलाकर मध्य क्रम को बल्लेबाजी करने का बहुत कम मौका मिला है। ऐसे में चिंता की कोई बात नहीं है। अहम बात यह है कि वह नेट्स पर कैसी बल्लेबाजी कर रहे हैं। मुझे लगता है कि पूरी टीम अच्छी लय में है।
मौजूदा सत्र में हैदराबाद ने अच्छा खेल दिखाया है लेकिन इसका असर अंक तालिका में दिखाई नहीं दे रहा। आखिर ऐसा क्यों है ?
-हम कुछ नजदीकी मुकाबले हारे हैं। इस सत्र में हमने केवल एक मुकाबला मुंबई इंडियंस के खिलाफ खराब खेला है जहां हमारी बल्लेबाजी बिखर गई थी लेकिन इसके अलावा हमने अच्छी क्रिकेट खेली है और विरोधी टीमों को कड़ी टक्कर दी है। चेन्नई के खिलाफ मुकाबला आखिरी गेंद तक गया था। किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाफ भी हम आखिरी गेंद तक मुकाबला लेकर गए। कोलकाता में भी हम अच्छी स्थिति में थे लेकिन आंद्रे रसेल हमारे हाथ से जीत छीनकर ले गए थे। टी-20 क्रिकेट में ऐसा होता है। अच्छा खेलने के बावजूद नतीजा आपके पक्ष में नहीं होता है। हालांकि कुल मिलाकर मैं टीम के प्रदर्शन से खुश हूं। आप देखें तो हमने जीतने भी मुकाबले जीते हैं उसमें से ज्यादातर को हमने एकतरफा बनाया है। हैदराबाद में राजस्थान रॉयल्स, आरसीबी और केकेआर के खिलाफ हमने अपना दबदबा बनाए रखा। दरअसल कभी-कभी अंक तालिका आपके प्रदर्शन को सत्यापित नहीं कर पाता।
वार्नर बेहतरीन फॉर्म में हैं। क्या आपको लगता है कि वह कुछ अलग करने या फिर खुद को साबित करने का प्रयास कर रहे हैं ?
-मुझे लगता है कि वह केवल अपना वास्तविक खेल खेलना चाहते हैं और अपने खेल का लुत्फ उठाना चाहते हैं। जब मैंने पहली बार इस साल हैदराबाद में वार्नर को देखा तो मुझे सबसे ज्यादा उनकी लय ने प्रभावित किया क्योंकि वह करीब एक साल तक उच्च स्तर की क्रिकेट नहीं खेल पाए थे। जब आप लगातार प्रथम श्रेणी की क्रिकेट नहीं खेलते हैं तो आपकी लय के खोने का डर रहता है लेकिन वार्नर हमारे पहले अभ्यास सत्र से ही लय में दिखाई दिए जो बहुत खास था। इससे साबित होता है कि उन्होंने आइपीएल में आने के लिए भी अच्छी तैयारी की थी। वह एक ऐसे शख्स हैं जो ना सिर्फ मैदान पर बल्कि मैदान से बाहर भी सनराइजर्स के लिए बहुत कुछ करते हैं। वह टीम के युवा खिलाडि़यों की मदद करते हैं। आइपीएल के लगातार पांच सत्र में 500 से ज्यादा रन बनाने अविश्वसनीय है। वह लगातार रन बनाते रहते हैं और उनके द्वारा बनाए गए रन अक्सर उपयोगी साबित होते हैं।
आइपीएल में खेल रहीं लगभग सभी टीमों के पास प्रमुख कोच विदेशी हैं। आइपीएल में भारतीय कोचों की कमी क्यों है ?
-मेरे हिसाब से आइपीएल में भारतीय कोचों की संख्या भी अच्छी है। जो भारतीय टीम के कोच हैं, वे बीसीसीआइ के नियमों के हिसाब से आइपीएल टीमों के साथ नहीं जुड़ सकते हैं। मेरे ख्याल में यह मसला निरंतरता बनाए रखने की है। टॉम मूडी जब से सनराइजर्स हैदराबाद आइपीएल खेल रही हैं तब से वह हमारी टीम के साथ हैं। आप देखें तो आशीष नेहरा आरसीबी के साथ हैं, श्रीराम किंग्स इलेवन पंजाब के साथ हैं, रॉबिन सिंह और जहीर खान मुंबई इंडियंस के साथ हैं। तो ऐसा नहीं है कि ज्यादा भारतीय कोच आइपीएल में नहीं हैं। यह पूरा मसला निरंतरता का है। एक बार अगर कोई कोच टीम के साथ घुलमिल गया और उसने टीम को अच्छे नतीजे दे दिए तो अक्सर टीमें उसे बदलती नहीं हैं। दिल्ली ने कई कोच बदले और अब रिकी पोंटिंग के साथ सौरव गांगुली भी हैं जिनके मार्गदर्शन में दिल्ली कैपिटल्स की टीम अच्छा प्रदर्शन कर रही है। एक बार अगर कोच ने अपनी टीम को पहचान लिया और उसकी अपेक्षाओं को समझ लिया तो यह मसला नहीं रह जाता कि वह देसी है या विदेशी। क्योंकि आप टीम में एक ऐसे इंसान को चाहते हैं जो सबसे अच्छा हो और टीम की जरूरतों को समझता हो।
आइपीएल समेत दुनिया की जितनी भी लीग होती हैं उनमें घरेलू क्रिकटरों को ही ज्यादा तवज्जो दी जाती है। यह कितना सही है ?
-देखिए आइपीएल की हर टीम को 25 खिलाडि़यों को अपने साथ रखने का अधिकार है और नियमों के हिसाब से केवल चार विदेशी खिलाड़ी ही अंतिम ग्यारह में शामिल किए जा सकते हैं और सात भारतीय खिलाड़ी होने चाहिए। पूरी टीम में केवल आठ विदेशी खिलाड़ी होते हैं। आइपीएल एक ऐसा मंच है जहां युवा खिलाड़ी अनुभवी भारतीय और विदेशी खिलाडि़यों से बहुत कुछ सीख सकते हैं। रेयान पराग को ही देख लीजिए। वह एक प्रतिभावान खिलाड़ी हैं और अब उन्हें हजारों दर्शकों के बीच में अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिल रहा है। 17 साल के पराग की कहानी कई युवा खिलाडि़यों को प्रभावित करेगी। मेरे ख्याल में युवा खिलाडि़यों के लिए आइपीएल एक बहुत बड़ा मंच है। यह पहले ही कई भारतीय क्रिकेटरों को जन्म दे चुका है जो इस समय भारतीय टीम में चमक बिखेर रहे हैं।