आखिरकार विराट को मिला सही टीम संयोजन, 38 टेस्ट के बाद नहीं किया अंतिम एकादश में बदलाव
विराट कोहली साढ़े तीन साल में 38 टेस्ट मैचों के बाद पहली बार किसी मुकाबले में बिना बदलाव के साथ उतरे।
अभिषेक त्रिपाठी, साउथैंप्टन। 2014 में ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर महेंद्र सिंह धौनी की जगह भारतीय टेस्ट टीम की कप्तानी संभालने वाले विराट कोहली साढ़े तीन साल में 38 टेस्ट मैचों के बाद पहली बार किसी मुकाबले में बिना बदलाव के साथ उतरे। टीम जीत रही हो या हार रही हो, उन्होंने हर बार अंतिम एकादश में परिवर्तन किया। हालांकि इसमें कई बार खिलाडि़यों का चोटिल होना भी वजह रहा। पिछले मैच के बीच में रविचंद्रन अश्विन के अनफिट होने के कारण इस बार भी यह सवाल बना हुआ था कि क्या टीम में बदलाव होगा, लेकिन बुधवार को विराट ने कहा कि सब फिट हैं और गुरुवार को वह इंग्लैंड के खिलाफ पांच मैचों की सीरीज के चौथे मुकाबले में उसी टीम के साथ उतरे जिसने ट्रेंट ब्रिज में जीत दिलाई थी।
स्मिथ के नाम है रिकॉर्ड : कोहली कप्तान के तौर पर सबसे ज्यादा टेस्ट मैचों तक अलग-अलग एकादश खिलाने के दक्षिण अफ्रीकी कप्तान ग्रीम स्मिथ के रिकॉर्ड को नहीं तोड़ पाए। विराट ने गुरुवार को अपनी कप्तानी में खेले गए 39वें टेस्ट में पहली बार अंतिम एकादश में बदलाव नहीं किया। लगातार सबसे ज्यादा मैचों तक अंतिम एकादश बदलने का रिकॉर्ड स्मिथ के नाम हैं। स्मिथ ने 2003 से 2007 के बीच दक्षिण अफ्रीकी कप्तान के तौर पर 43 टेस्ट मैचों में अलग-अलग अंतिम एकादश उतारी थी। इसके अलावा एक मैच में वह आइसीसी विश्व एकादश के भी कप्तान रहे। इसमें भी अलग एकादश थी।
सही टीम संयोजन की तलाश : विराट की कप्तानी में अधिकतर समय टीम इंडिया ने भारत और उपमहाद्वीप में मैच खेले। इसके बावजूद उन्हें लगातार बदलाव करने पड़े। 2015-16 के घरेलू सत्र में भारत में उन्होंने लगातार न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज जीतीं, लेकिन बदलाव का क्रम जारी रहा। कभी मुरली विजय या शिखर धवन जैसे ओपनरों के चोटिल होने तो कभी स्पिनरों में सामंजस्य बिठाने के लिए अंतिम एकादश में परिवर्तन हुए। कभी शानदार प्रदर्शन करने वाले स्पिनर जयंत यादव को बाहर किया गया तो कभी चेन्नई में इंग्लैंड के खिलाफ 300 रन बनाने के तुरंत बाद करुण नायर को टीम से बाहर किया गया। यही नहीं जिन अजिंक्य रहाणे को खिलाने के लिए नायर को 300 रनों की पारी खेलने के तुरंत बाद बाहर होना पड़ा। उसके बाद से करुण एक भी टेस्ट मैच नहीं खेल पाए हैं।
इस साल की शुरुआत में विराट और टीम प्रबंधन पर सवाल उठना चालू हुए क्योंकि टीम चयन की गलतियों के कारण भारत को दक्षिण अफ्रीका में शुरुआती दोनों मैच गंवाने पड़े। सेंचुरियन टेस्ट में हार के बाद इसको लेकर विराट और पत्रकारों में गर्मागर्मी भी हुई। यह विराट की कप्तानी का पहला कठिन विदेशी दौरा था। इंग्लैंड के खिलाफ चल रही पांच टेस्ट मैचों की सीरीज के शुरुआती तीनों मुकाबलों में भी उन्होंने अलग-अलग टीम खिलाई। वह शुरुआती तीन टेस्ट में अलग-अलग एकादश के साथ उतरे। मुख्य कोच रवि शास्त्री ने तीसरे टेस्ट से पहले चयन में गड़बड़ी को स्वीकार किया, लेकिन नॉटिंघम के ट्रेंट ब्रिज स्टेडियम में मिली 203 रनों की जीत के बाद विराट की सही टीम संयोजन की तलाश एक हद तक पूरी हो गई। यही कारण है कि साउथैंप्टन में उन्होंने कोई बदलाव नहीं किया।
कप्तान के तौर पर विराट
टेस्ट, जीत, हार, ड्रॉ
39, 22, 7, 9