पानी से नही धुलेगा ग्रीनपार्क का कोई मैच, मैदान का ड्रेनेज सिस्टम सुधारने का प्रयास
ड्रेनेज सिस्टम खराब होने के कारण दलीप ट्राफी मैच में हुई ग्रीनपार्क की किरकिरी के बाद अब मैदान की खामियों को दूर करने की कवायद चल रही है।
कानपुर। ड्रेनेज सिस्टम खराब होने के कारण दलीप ट्राफी मैच में हुई ग्रीनपार्क की किरकिरी के बाद अब मैदान की खामियों को दूर करने की कवायद चल रही है। मैदान की आउट फील्ड को नए सिरे से तैयार किया जा रहा है, ड्रेनेज सिस्टम को भी नए सिरे से तैयार किया जा रहा है। काम पूरा होने के बाद जब मैदान तैयार हो जाएगा तब बारिश होने के 20 मिनट बाद ही मैच शुरू हो जाएगा।
भविष्य में होने वाले एकदिवसीय, टी-20 व टेस्ट मैच को देखते हुए ग्रीनपार्क में रिनोवेशन का काम चल रहा है। इसमें पूरे मैदान को सैंड बेस्ड करने के साथ-साथ घास और पुराने पवेलियन की अभ्यास विकेटों को भी दुरुस्त करने का काम भी एक के बाद एक करने की तैयारी चल रही है। मैदान को एक एक तरफ से खोदकर सैंड बेस्ड का काम किया जा रहा है। पिछले वर्ष सैंड बेस्ड तकनीक की कमी के चलते सितंबर में इंडिया ग्रीन व इंडिया ब्लू का दिलीप ट्राफी का मैच धुल गया था। मैदान में डायरेक्टर पवेलियन से लेकर सी बालकनी तक जमकर जल भराव हो गया था। इसमें बारिश के कारण मैदान कम सैंड के चलते सूख नहीं सका और मैच ड्रा रहा।
मैदान को नए सिरे से तैयार करने का काम यूपीसीए के चीफ पिच क्यूरेटर शिव कुमार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पूरे मैदान में कोररियेटर मशीन से मैदान में कोरिंग की जा रही है। इसमें कोरिंग के दौरान हुए छेद में बालू को फैलाकर भरा जा रहा है। इससे बारिश होने पर यह पानी को सोखने का काम करेगी। इसके अलावा विशेष खाद व केमिकल को भी मैदान में डाला जा रहा है। इससे मैदान बारिश के दिनों में पानी की क्षमता को दुगनी तेजी से सुखाने का काम करेगा।
80 यार्ड का हो जाएगा पूरा मैदान
आइपीएल के 11वें संस्करण में ग्रीनपार्क के खाते में एक भी मैच नहीं आया। इस अंतराल में मैदान खाली है। इसलिए मैदान के रिनोवेशन का काम किया जा रहा है। रिनोवेशन के दौरान पूरे मैदान की बाउंड्री बड़ी करके उसे 80 यार्ड का कर दिया जाएगा। अभी यह 70 और 75 यार्ड की है। यूपीसीए के डायरेक्टर एसके अग्रवाल ने बताया कि मैदान में जो भी छोटी बड़ी समस्याएं थी इस खाली समय में उन्हें दूर कर दिया जाएगा।