Move to Jagran APP

चार चयनकर्ता सहवाग को नहीं चुनना चाहते थे टीम में: मदनलाल

बीसीसीआइ के पूर्व चयनकर्ता मदनलाल ने यह राज उजागर किया कि उन्हें 1999 में वीरेंद्र सहवाग को टीम में शामिल करवाने के लिए जोर लगाना पड़ा था, क्योंकि अन्य चयनकर्ता उनके पक्ष में नहीं थे।

By sanjay savernEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2015 05:32 PM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2015 05:39 PM (IST)
चार चयनकर्ता सहवाग को नहीं चुनना चाहते थे टीम में: मदनलाल

हरित एन. जोशी, मुंबई। बीसीसीआइ के पूर्व चयनकर्ता मदनलाल ने यह राज उजागर किया कि उन्हें 1999 में वीरेंद्र सहवाग को टीम में शामिल करवाने के लिए जोर लगाना पड़ा था, क्योंकि अन्य चयनकर्ता उनके पक्ष में नहीं थे।

loksabha election banner

वीरेंद्र सहवाग ने 1999 में 1 अप्रैल को पाकिस्तान के खिलाफ मोहाली में पदार्पण किया था, लेकिन स्थितियां उनके लिए इसके पहले से ही अनुकुल नहीं थी। सहवाग चयनकर्ताओं की पहली पसंद नहीं थे, लेकिन एक चयनकर्ता मदनलाल द्वारा जोर दिए जाने के कारण उन्हें टीम में चुना गया था। इस त्रिकोणीय सीरीज में भारत और पाकिस्तान के अलावा श्रीलंका की टीम ने हिस्सा लिया था।

मदनलाल ने कहा- मैं जानता था कि वीरू नैसर्गिक प्रतिभा के धनी क्रिकेटर हैं। मैंने उन्हें कई बार बल्लेबाजी करते हुए देखा था और उनका आत्मविश्वास देखकर बहुत प्रभावित हुआ था। मैं किसी भी खिलाड़ी के नजरिए और टेम्परामेंट को भी ध्यान में रखता हूं। वो शुरू से ही बेखौफ बल्लेबाजी करते थे, उन्हें इतना विश्वास रहता था कि वे बाउंड्री पर खड़े फील्डर को पार कर देंगे। उन्हें थोड़े सहारे की आवश्यकता दी थी जो मैंने दिया।

पहले मैच में सातवें क्रम पर बल्लेबाजी करते हुए सहवाग मात्र 1 रन बनाकर शोएब अख्तर की गेंद पर एलबीडब्ल्यू हुए। इसके बाद उन्हें अगले मैच के लिए 20 महीनों तक इंतजार करना पड़ा। बीसीसीआइ के तत्कालीन सचिव जयवंत लेले ने बताया कि किस तरह मदनलाल ने उन्हें चयन समिति प्रमुख चंदू बोर्डे को सहवाग को टीम में लेने के लिए राजी किया।

लेले ने क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया में मार्च 2013 में एक समारोह में बताया था - 'मदन हमेशा चंदू बोर्डे की अध्यक्षता वाली चयन समिति की बैठक में सहवाग का नाम सुझाते थे, लेकिन कभी उनके नाम पर विचार नहीं किया गया। मदन जानते थे कि मेरे और बोर्डे के अच्छे संबंध है, इसलिए उन्होंने मुझसे अनुरोध किया कि मैं सहवाग को एक मौका देने के लिए बोर्डे को राजी करूं। चंदू बोर्डे इस बात पर राजी हुए कि यदि मीडिया ने इस बारे में सवाल किया तो मैं इसका सामना करूंगा।'

मदनलाल ने कहा- मैं जानता था कि भारत को सहवाग जैसे खिलाड़ी की आवश्यकता है और इसलिए मैंने अपनी पसंद को स्वीकारने के लिए साथी चयनकर्ताओं को किसी तरह राजी किया। हर चयनकर्ता किसी न किसी खिलाड़ी को टीम में चुने जाने के लिए जोर डालता है, वैसे इसके पीछे उस खिलाड़ी का प्रदर्शन और खासियत वजह होती है। मैंने भी ऐसा ही किया था।

मदनलाल ने यह भी उजागर किया कि उनके साथी चयनकर्ता चाहते थे कि सहवाग 2001 के दक्षिण अफ्रीकी दौरे के बीच में से भारत लौट जाए, क्योंकि त्रिकोणीय सीरीज के शुरुआती मैचों में उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था। लेकिन मैंने ऐसा होने नहीं दिया। मुझे विश्वास था कि वे टीम के मैच विजेता खिलाड़ी बन सकते हैं। उनकी बल्लेबाजी से अन्य खिलाड़ियों में भी आत्मविश्वास जागता है। सहवाग टीम के साथ बने रहे और उन्होंने ब्लोमफोंटेन में टेस्ट पदार्पण में 105 रन बनाए।

क्रिकेट की खबरों के लिए यहां क्लिक करें

खेल की खबरों के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.