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तो इस वजह से चयन के बावजूद सचिन नहीं जा सके थे पाक दौरे पर

(ज्ञानेंद्र पांडे) सचिन तेंदुलकर सही मायने में क्रिकेट के भगवान हैं। उनका 24 साल का लंबा और शानदार करियर इसे साबित करता है। न सिर्फ खेल, बल्कि अपने व्यवहार से भी उन्होंने जताया है कि महानायक कैसा होता है। आप किसी भी खिलाड़ी से पूछ कर देख लें, वह आपको बता देगा कि अपने खेल में दो दशक से ज्यादा समय तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्र

By Edited By: Published: Sat, 26 Oct 2013 07:16 PM (IST)Updated: Sat, 26 Oct 2013 07:22 PM (IST)
तो इस वजह से चयन के बावजूद सचिन नहीं जा सके थे पाक दौरे पर

(ज्ञानेंद्र पांडे) सचिन तेंदुलकर सही मायने में क्रिकेट के भगवान हैं। उनका 24 साल का लंबा और शानदार करियर इसे साबित करता है। न सिर्फ खेल, बल्कि अपने व्यवहार से भी उन्होंने जताया है कि महानायक कैसा होता है। आप किसी भी खिलाड़ी से पूछ कर देख लें, वह आपको बता देगा कि अपने खेल में दो दशक से ज्यादा समय तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करना कितना कठिन होता है। इस मुकाम को हासिल करने के बावजूद उनकी लगन और मेहनत में कोई कमी नहीं आई है। वह आज भी अपनी बैटिंग और फिटनेस पर कड़ी मेहनत करते हैं।

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1986 में मैं पहली बार सचिन तेंदुलकर से मिला था। भारत की अंडर-19 टीम के पाकिस्तान दौरे के लिए सलेक्शन कैंप लगा हुआ था। सलेक्टर वहां मौजूद थे। तब तेंदुलकर महज 13 साल के आसपास थे। उन्हें जब बैटिंग करने बुलाया गया तब मैंने भी उन्हें तीन ओवर फेंके। जब वह 39 रन पर नाबाद खेल रहे थे तब सलेक्टरों ने उन्हें वापस बुला लिया। उन्होंने मेरी गेंदों पर भी तीन-चार चौके मारे थे साथ ही अन्य गेंदबाजों को भी पूरे आत्मविश्वास के साथ खेला था। उसी समय उनकी प्रतिभा से सभी सलेक्टर और साथी क्रिकेटर प्रभावित थे। हालांकि अपनी स्कूली परीक्षा के कारण वह चयन होने के बावजूद पाकिस्तान का दौरा नहीं कर सके। इसके कारण वह बहुत मायूस भी हुए थे। लेकिन यही सचिन तीन साल बाद सीनियर टीम में शामिल हुए और उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ ही अपने करियर की शुरुआत की। आगे की कहानी हम सभी जानते हैं।

मुझे एक किस्सा और याद आता है। 1996-97 में इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू वनडे सीरीज में वह कप्तान थे। मुझे अचानक बीसीसीआइ की तरफ से कॉल किया गया और चयन की सूचना दी गई। मैं गुवाहाटी में टीम के साथ जुड़ा। सचिन होटल में अपने कमरे में थे। मैं वहां गया। उन्होंने मुझे देखते ही कहा टीम आपका स्वागत करती है। मैं साधारण कैप में था ऐसे में उन्होंने मुझसे पूछा, क्या ज्ञानू टीम इंडिया की कैप पहनोगे। उनका यह व्यवहार दिखाता है कि उनके दिल में दूसरे खिलाड़ी के लिए हमेशा ही सम्मान रहा करता था।

बतौर क्रिकेटर और कोच मैं एक बात पूरे विश्वास से कह सकता हूं कि अगर कोई जूनियर क्रिकेटर सचिन की मेहनत, अनुशासन और खेल के जज्बे का सिर्फ 20 प्रतिशत तक ही हासिल कर ले, तो उसे चमकने से कोई नहीं रोक सकता। सचिन को अपने विकेट की कीमत अच्छी तरह पता है। सचिन यूं ही पैदा नहीं होते, 'तेंदुलकर' अपनी मेहनत और लगन से बनते हैं। यह बात जूनियर क्रिकेटरों को समझनी होगी। भारत और भारतीय क्रिकेट को सचिन पर नाज है।

(उत्तर प्रदेश के पूर्व कप्तान और कोच ज्ञानेंद्र पांडे की भाष्कर सिंह से बातचीत पर आधारित)

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