IND vs AUS: जब ऑस्ट्रेलिया में इतने बड़े विवाद के बाद भी सीरीज हार गया था भारत
किस्मत थोड़ा साथ देती तो इस सीरीज का परिणाम भारत के पक्ष में रह सकता था, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया ने शुरुआती दो टेस्ट तो मामूली अंतर से जीते।
नई दिल्ली, उमेश राजपूत। भारतीय क्रिकेट टीम का तीसरा ऑस्ट्रेलिया दौरा 1977-78 में हुआ। यह तीन दशक में उसका तीसरा ऑस्ट्रेलिया दौरा था। ऑस्ट्रेलिया के पिछले दो दौरों पर हम नौ में से आठ टेस्ट हारे थे, जबकि एक ड्रॉ बारिश की वजह से नसीब हुआ था। इसके बावजूद 1977-78 में बिशन सिंह बेदी की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया गई भारतीय टीम के लिए पांच टेस्ट की इस सीरीज को जीतने का यह सुनहरा मौका था।
इसकी वजह कैरी पैकर की विश्व सीरीज क्रिकेट का अस्तित्व में आना था। पैकर ने ऑस्ट्रेलिया सहित दुनिया के कई दिग्गज खिलाडि़यों को अच्छी रकम का लालच देकर अपने साथ मिला लिया था। इनमें इयान और ग्रेग चैपल के अलावा डेनिस लिली, रॉड मार्श, गैरी गिलमोर, डग वॉल्टर, एलन टर्नर और कैरी ओ कीफ जैसे कई अनुभवी ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी शामिल थे।
संन्यास ले चुके खिलाड़ी को बनाया कप्तान
दिग्गज खिलाडि़यों की गैरमौजूदगी में ऑस्ट्रेलिया की लगभग अनुभवहीन टीम इस सीरीज में खेली, जिसकी कप्तानी बॉब सिंपसन को सौंपी गई। सिंपसन भारत के खिलाफ 10 साल पहले खेली गई सीरीज के बाद संन्यास ले चुके थे और ऐसे में वह ऑस्ट्रेलियाई बोर्ड के आग्रह पर एक दशक बाद फिर मैदान पर लौटे।
इसके बावजूद ऑस्ट्रेलियाई टीम ने इस सीरीज को 3-2 से अपने नाम किया। भारत के लिए यह राहत की बात रही कि उसने इस दौरे पर ऑस्ट्रेलियाई सरजमीं पर अपनी पहली टेस्ट जीत हासिल करने के साथ दो मुकाबले जीते।
सीरीज जीतने का था मौका
किस्मत थोड़ा साथ देती तो इस सीरीज का परिणाम भारत के पक्ष में रह सकता था, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया ने शुरुआती दो टेस्ट तो मामूली अंतर से जीते। ऑस्ट्रेलिया ने ब्रिसबेन का पहला टेस्ट 16 रन से और पर्थ का दूसरा टेस्ट दो विकेट से जीता। मेलबर्न का तीसरा टेस्ट भारत ने 222 रन से अपने नाम किया।
सिडनी में चौथा टेस्ट भारत ने पारी और दो रन से जीता। शुरुआती चार टेस्ट के बाद सीरीज 2-2 की बराबरी पर थी। एडिलेड में खेला गया पांचवां टेस्ट भारतीय टीम 493 रन के विशाल लक्ष्य के सामने सिर्फ 47 रन से गंवा बैठी और उसका सीरीज जीतने का सपना चकनाचूर हो गया।
दोनों कप्तानों का जलवा
ऑस्ट्रेलियाई कप्तान सिंपसन के लिए यह दौरा शानदार वापसी वाला साबित हुआ। इस सीरीज में उन्होंने 53.90 की औसत से 593 रन बनाए और वह दोनों टीमों की ओर से सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे। वहीं, भारतीय कप्तान बेदी ने दोनों टीमों की ओर से सर्वाधिक 31 विकेट झटके। दिलचस्प बात यह रही कि यह सीरीज बतौर बल्लेबाज सिंपसन के और बतौर गेंदबाज बेदी के करियर की सर्वश्रेष्ठ सीरीज साबित हुई।
ये भी चमके
इस सीरीज में कुल सात बल्लेबाजों ने 300 से ज्यादा रन बनाए। भारत के लिए सबसे ज्यादा रन गुंडप्पा विश्वनाथ (473) ने बनाए, जबकि सुनील गावस्कर (450) और मोहिंदर अमरनाथ (445) भी ज्यादा पीछे नहीं रहे। इनके अलावा दिलीप वेंगसरकर (320) और सैयद किरमानी (305) ने भी उम्दा प्रदर्शन किया। ऑस्ट्रेलिया के लिए सिंपसन के अलावा पीटर टूहे (409) ही 300 से ज्यादा रन बना सके।
गेंदबाजी में बेदी के अलावा भागवत चंद्रशेखर (28) ने भी अच्छा प्रदर्शन किया। ऑस्ट्रेलिया की ओर से वायने क्लार्क (28) ने सबसे ज्यादा विकेट लिए, जबकि जैफ थॉमसन ने 22 विकेट लिए।
गावस्कर की शतकीय हैट्रिक
यह गावस्कर का पहला ऑस्ट्रेलिया दौरा था और वह इस सीरीज में तीन शतक जड़ने वाले अकेले बल्लेबाज रहे। उन्होंने ये तीनों शतक शुरुआती तीन टेस्ट में जड़े। संयोग से तीनों शतक दूसरी पारी में बने।