आठ संघों पर बीसीसीआइ एजीएम में भाग लेने पर रोक लगी, 38 में से अब 30 ही राज्य संघ ले सकेंगे हिस्सा
38 में से आठ राज्य इकाइयों के मुंबई में 23 अक्टूबर को होने वाली वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में भाग लेने पर रोक लगा दी गई है।
नई दिल्ली, जेएनएन। सीसीआइ की 38 में से आठ राज्य इकाइयों के मुंबई में 23 अक्टूबर को होने वाली वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में भाग लेने पर रोक लगा दी गई है, क्योंकि उन्होंने संविधान में संशोधन का अनुपालन नहीं किया।
बीसीसीआइ के निर्वाचन अधिकारी एन गोपालस्वामी द्वारा अंतिम मतदाता सूची जारी करने के बाद एजीएम में भाग लेने वालों पर स्थिति स्पष्ट हो गई। एजीएम के दौरान अगर पदाधकारियों के लिए चुनाव होता है तो मणिपुर, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, हरियाणा, महाराष्ट्र, रेलवे, सेना और भारतीय विश्वविद्यालयों के संघ के पास मतदान का अधिकार नहीं होगा। तीन सरकारी संस्थानों को इसलिए प्रतिबंधित किया गया क्योंकि वह खिलाडि़यों का संघ बनाने में नाकाम रहे।
भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली एजीएम में बंगाल क्रिकेट संघ के प्रतिनिधि होंगे, जिसके वह अध्यक्ष हैं। भारत के एक अन्य पूर्व कप्तान मुहम्मद अजहरुद्दीन हैदराबाद क्रिकेट संघ का प्रतिनिधित्व करेंगे। रजत शर्मा (दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ), जय शाह (सौराष्ट्र किकेट संघ), अरुण सिंह धूमल (हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ) और बृजेश पटेल (कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ) अपने राज्य का प्रतिनिधित्व करेंगे। एजीएम में भाग लेने से रोके जाने वाले ज्यादातर राज्यों के द्वारा इस फैसले को अदालत में चुनौती देने की संभावना है, जिससे एजीएम अधर में पड़ सकता है।
इससे पहले बुधवार को प्रशासकों की समिति ने तमिलनाडु क्रिकेट संघ (टीएनसीए), महाराष्ट्र क्रिकेट संघ (एमसीए) और हरियाणा क्रिकेट संघ (एचसीए) को एजीएम में भाग लेने से रोक दिया था। टीएनसीए का प्रतिनिधित्व सचिव एसएस रामास्वामी को करना था, जबकि हरियाणा की नुमाइंदगी मृणाल ओझा कर रहे थे। महाराष्ट्र को एजीएम से हटा दिया गया क्योंकि चैरिटी आयुक्त ने क्रिकेट संघ के संशोधित संविधान में विसंगतियां पाई थी।
एमसीए अब भी बीसीसीआइ के पूर्व सचिव अजय शिर्के के नियंत्रण में है जिसका प्रतिनिधित्व रियाज बागबान को करना था। टीएनसीए ने बीसीसीआइ के पूर्व अध्यक्ष एन श्रीनिवासन की बेटी रूपा गुरुनाथ को हाल ही में पहली महिला अध्यक्ष के रूप में निर्विरोध चुना गया। आरोप है कि टीएनसीए के 21 अनुच्छेद ऐसे हैं जिनमें लोढ़ा समिति की सिफारिशों का अनुपालन नहीं किया गया है जिसमें उम्र सीमा और दो कार्यकाल के बीच बाहर रहने के लिए तय अनिवार्य अवधि (कूलिंग ऑफ पीरियड) का अनुपालन नहीं किया जाना शामिल है। हरियाणा और महाराष्ट्र को भी इसी तर्ज पर रोका गया है।
रोक लगने वाले संघ और उनके प्रतिनिधि
-उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ, राजीव शुक्ला
-तमिलनाडु राज्य क्रिकेट संघ, एस एस रामास्वामी
-हरियाणा क्रिकेट संघ, मृणाल ओझा
-महाराष्ट्र क्रिकेट संघ, रियाज बागबान
-मणिपुर क्रिकेट संघ, -
-रेलवे, हरविंदर सिंह
-सेना, संजय वर्मा
-भारतीय विश्वविघालय, राजीव नय्यर
मतदान में भाग लेने वाले राज्य संघ और उनके प्रतिनिधि
1. आंध्र प्रदेश क्रिकेट संघ, शरथ चंद्र रेड्डी
2. अरुणाचल प्रदेश क्रिकेट संघ, नबम विवेक
3. असम क्रिकेट संघ, देवाजीत साइकिया
4. बड़ौदा क्रिकेट संघ, प्रणव अमीन
5. बिहार क्रिकेट संघ, राकेश कुमार तिवारी
6. छत्तीसगढ़ राज्य क्रिकेट संघ, प्रभतेज सिंह भाटिया
7. बंगाल क्रिकेट संघ, सौरव गांगुली
8. मिजोरम क्रिकेट संघ, एम खैरुल जमाल मजूमदार
9. पुडुचेरी क्रिकेट संघ, पी दामोदरन
10. उत्तराखंड क्रिकेट संघ, महिम वर्मा
11. दिल्ली एंव जिला क्रिकेट संघ, रजत शर्मा
12. गोवा क्रिकेट संघ, सूरज लोटलीकर
13. गुजरात क्रिकेट संघ, जय शाह
14. हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ, अरुण सिंह धूमल
15. हैदराबाद क्रिकेट संघ, मुहम्मद अजहरुद्दीन
16. जम्मू एवं कश्मीर क्रिकेट संघ, आबिद सलाम
17. झारखंड राज्य क्रिकेट संघ, नफीस अख्तर
18. कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ, बृजेश पटेल
19. केरल क्रिकेट संघ, जयेश ज्यॉर्ज
20. मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ, राजू सिंह चौहान
21. मेघालय क्रिकेट संघ, एल खारकोनगोर
22. मुंबई क्रिकेट संघ, संजय मधुकर नायक
23. नगालैंड क्रिकेट संघ, हयूनिलो अनिलो खिंग
24. ओडिशा क्रिकेट संघ, संजय बहरा
25. पंजाब क्रिकेट संघ, राकेश राठौर
26. राजस्थान क्रिकेट संघ, वैभव गहलोत
27. सिक्किम क्रिकेट संघ, लोबजांग जी तेनजिंग
28. सौराष्ट्र क्रिकेट संघ, जयदेव शाह
29. त्रिपुरा क्रिकेट संघ, मानिक साहा
30. विदर्भ क्रिकेट संघ, आनंद मनोहर देशपांडे
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वहीं बीसीसीआइ के पूर्व प्रमुख कानूनी सलाहकार ऊषा नाथ बनर्जी ने तीन राज्य संघों को बोर्ड की सालाना आम बैठक (एजीएम) में भाग लेने से रोकने के प्रशासकों की समिति (सीओए) के फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे 'पूरी तरह मनमाना और गलत' करार दिया।
बनर्जी ने हालांकि कहा कि अगर किसी राज्य ने बदलावों का अनुपालन नहीं किया है तो उसे पहले साल के लिए वित्तीय अनुदान और अन्य लाभों से वंचित किया जा सकता है, लेकिन एजीएम में भाग लेने से नहीं रोका जा सकता है।
बनर्जी ने कहा, 'एक बार जब राज्य संघ पूर्ण सदस्य के तौर पर मान्यता प्राप्त कर लेता है, तब एजीएम में भाग लेना और मतदान करना उसका कानूनी और संवैधानिक अधिकार है। उसके इस अधिकार को व्यक्तियों का समूह तब तक वापस नहीं ले सकता जब तक वह मनमाना और गैर कानूनी ना हो। बीसीसीआइ की आम सभा भी उसे नहीं रोक सकती।'