धौनी के साए में छुप गए कार्तिक,14 साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में खेल पाए सिर्फ 121 अंतरराष्ट्रीय मैच
दिनेश कार्तिक हमेशा ही भारतीय टीम में अपनी जगह को लेकर मशक्कत करते रहे।
अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। श्रीलंका के प्रेमदासा स्टेडियम में त्रिकोणीय सीरीज के फाइनल में आठ गेंद पर 29 रनों की पारी खेलकर पूरे भारत को नागिन डांस कराने वाले विकेटकीपर दिनेश कार्तिक इस समय क्रिकेट प्रशंसकों के हीरो बन गए हैं लेकिन पिछले 14 साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में वे कभी भी इस तरह प्रशंसकों के दिल में जगह नहीं बना पाए। उनका पूरा अंतरराष्ट्रीय करियर भारतीय टीम के पूर्व विकेटकीपर कप्तान महेंद्र सिंह धौनी के साये में छुपकर रह गया। धौनी और कार्तिक दोनों ही विकेटकीपर हैं और कप्तान रहते हुए धौनी के शानदार प्रदर्शन के कारण कार्तिक स्थायी तौर पर टीम इंडिया के सदस्य नहीं बन सके। यही कारण रहा कि वह पहले कभी इस तरह का प्रदर्शन नहीं कर सके।
धौनी से पहले शुरू हुआ कार्तिक का अंतरराष्ट्रीय करियर : सोशल मीडिया में इस समय कार्तिक की धूम मची हुई है। धौनी त्रिकोणीय सीरीज के दौरान आराम कर रहे थे इसलिए घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन करने वाले कार्तिक को मौका दिया गया। उन्हें दक्षिण अफ्रीका दौरे के समय भी टीम में चुना गया। इससे पहले विराट ने उन्हें चौथे नंबर पर भी फिट करने की कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली। कार्तिक ने अंतरराष्ट्रीय करियर का आगाज पांच सितंबर 2004 को इंग्लैंड के खिलाफ किया था लेकिन उसके कुछ ही दिनों बाद धोनी ने ऐसा धमाका किया कि बाकी विकेटकीपर चयनकर्ताओं के रडार से बाहर हो गए। धौनी और कार्तिक का अंतरराष्ट्रीय करियर लगभग एक साथ शुरू हुआ। 32 वर्षीय कार्तिक ने भारत के लिए पहला टेस्ट व वनडे 2004 और पहला टी-20 2006 में खेला जबकि 36 वर्षीय धौनी ने पहला वनडे 2004 में, पहला टेस्ट 2005 में और पहला टी-20 2006 में खेला। इस दौरान जहां कार्तिक कुल 121 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल सके जबकि चार साल पहले ही टेस्ट से संन्यास लेने वाले धौनी ने अब तक कुल 497 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले। कार्तिक को इस दौरान टीम इंडिया में जगह तब मिली जब धौनी अनुपस्थित रहे या टीम को विदेशी दौरों पर दूसरे विकेटकीपर की जरूरत हुई। धौनी के टेस्ट से संन्यास लेने पर बीसीसीआइ ने कार्तिक पर दांव लगाने की जगह रिद्धिमान साहा को मौका दिया।
धौनी के कप्तान होने से भी पड़ा फर्क : जब कार्तिक का करियर परवान चढ़ रहा था तब धौनी टीम इंडिया के कप्तान बन चुके थे। दोनों ही विकेटकीपर थे इसलिए दोनों के बीच प्रतिद्वंद्विता भी थी। यही कारण था कि जब धौनी का खराब समय आया तब भी कार्तिक को टीम इंडिया की स्थायी सीट नहीं मिल पाई। हालांकि कार्तिक की विकेटकीपिंग तकनीक धौनी से ज्यादा बेहतर थी लेकिन लगातार मौके मिलने और खुद में सुधार करके माही ने अपने आपको ऐसा डेवलप किया कि कार्तिक काफी पीछे छूट गए। कार्तिक को कई बार विशेषज्ञ बल्लेबाज के तौर पर भी चयनकर्ताओं ने टीम में चुना लेकिन तब वह कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर सके। कार्तिक ने घरेलू स्तर पर तमिलनाडु के लिए लगातार शानदार बल्लेबाजी की और खुद को एक विशेषज्ञ बल्लेबाज के स्तर पर उठाया लेकिन उनके नाम पर बैकअप बल्लेबाज की मुहर लग गई। वह कभी टेस्ट ओपनर के तौर पर तो कभी किसी दूसरे बल्लेबाज के चोटिल होने पर टीम इंडिया में वापस आए लेकिन प्रबंधन का भरोसा नहीं जीत सके। वह ज्यादातर मौकों पर बेंच पर ही बैठे नजर आए।
धौनी अब फिनिशर नहीं रहे हैं जबकि कार्तिक की कोलंबो में खेली गई पारी ने उन्हें नए फिनिशर के तौर पर पहचान दिलाई है। कार्तिक में दो-तीन साल का क्रिकेट बचा है। कोलंबो में खेली गई पारी उन्हें कुछ फायदा पहुंचा सकती है।