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बीसीसीआइ की यौन उत्पीड़न नीति के अंतर्गत आएंगे क्रिकेटर व बोर्ड के पदाधिकारी

बीसीसीआइ की यौन उत्पीड़न नीति पदाधिकारियों शीर्ष परिषद और आइपीएल संचालन परिषद के सदस्यों के अलावा सीनियर से अंडर-16 स्तर के क्रिकेटरों पर भी लागू होगी। बीसीसीआइ के अनुसार यौन उत्पीड़न की शिकायतों की जांच के लिए चार सदस्यीय आंतरिक समिति का गठन किया जाएगा।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Mon, 20 Sep 2021 10:08 PM (IST)Updated: Mon, 20 Sep 2021 10:08 PM (IST)
बीसीसीआइ की यौन उत्पीड़न नीति के अंतर्गत आएंगे क्रिकेटर व बोर्ड के पदाधिकारी
बीसीसीआइ ने यौन उत्पीड़न नीति लागू की (एपी फोटो)

जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) ने सोमवार को समग्र यौन उत्पीड़न रोकथाम (पोश) को स्वीकृति दी जिसके दायरे में भारतीय क्रिकेटर भी आएंगे। अब तक बीसीसीआइ की यौन उत्पीड़न के मामलों से निपटने के लिए किसी तरह की विशिष्ट नीति नहीं थी। यह नीति पदाधिकारियों, शीर्ष परिषद और आइपीएल संचालन परिषद के सदस्यों के अलावा सीनियर से अंडर-16 स्तर के क्रिकेटरों पर भी लागू होगी।

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बीसीसीआइ के अनुसार, यौन उत्पीड़न की शिकायतों की जांच के लिए चार सदस्यीय आंतरिक समिति का गठन किया जाएगा। शीर्ष परिषद की बैठक के दौरान इसके सदस्यों पर फैसला नहीं किया गया। नीति के अनुसार, आंतरिक समिति की अध्यक्ष महिला होनी चाहिए जो अपने कार्यस्थल पर सीनियर स्तर पर नियुक्त हो। आंतरिक समिति के दो सदस्यों का चयन कर्मचारियों के बीच से किया जाएगा, इसमें उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी जो महिलाओं के अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध हों या उन्हें सामाजिक कार्य का अनुभव हो या कानूनी जानकारी हो।

आंतरिक समिति का एक सदस्य गैर सरकारी संगठन या ऐसे संघ से चुना जाना चाहिए जो महिलाओं के अधिकारियों के लिए काम करते हों या यौन उत्पीड़न से जुड़े मुद्दों की जानकारी रखते हो (बाहरी सदस्य)। आंतरिक समिति के कम से कम आधे सदस्य महिलाएं होनी चाहिए। शिकायकर्ता को घटना के तीन महीने के अंदर शिकायत दर्ज करानी होगी और आंतरिक समिति आरोपी को आरोपों का जवाब देने के लिए सात कार्य दिवस का समय देगी।

आंतरिक समिति को अपनी जांच पूरी करने के लिए शिकायत के दिन से 90 दिन का समय मिलेगा और वह अपनी सिफारिश बीसीसीआइ को सौंपेगी जो 60 दिन में कार्रवाई करेगा। शिकायतकर्ता या आरोपी अगर बीसीसीआइ के फैसले से संतुष्ट नहीं होते हैं तो अदालत की शरण में जा सकते हैं।


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