चैंपियंस ट्रॉफी को भंवर में फंसाने में जुटी बीसीसीआइ, अब किया ये काम
बीसीसीआइ के एक अधिकारी ने कहा कि हम पहले ही कह चुके हैं कि अगर आइसीसी राजस्व के बिग थ्री मॉडल को नहीं मानता तो हम चैंपियंस ट्रॉफी से हटने से भी नहीं चूकेंगे।
अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आइसीसी) में अपने दबदबे और राजस्व को किसी भी कीमत पर कम नहीं होने देना चाहता। यही कारण है कि उसने एक जून से इंग्लैंड में होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी के लिए क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था को अंतिम तारीख (25 अप्रैल) गुजर जाने के बावजूद टीम इंडिया के 15 सदस्यों के नाम तक नहीं भेजे हैं।
बीसीसीआइ के एक अधिकारी ने कहा कि हम पहले ही कह चुके हैं कि अगर आइसीसी राजस्व के बिग थ्री मॉडल को नहीं मानता तो हम चैंपियंस ट्रॉफी से हटने से भी नहीं चूकेंगे। यही नहीं हमने पिछली विशेष आम सभा (एसजीएम) में तय किया था कि कार्यवाहक सचिव होने के नाते अब बीसीसीआइ चयनसमिति की बैठक अमिताभ चौधरी बुलाएंगे और चयनित नामों को संस्तुति के लिए कार्यवाहक अध्यक्ष सीके खन्ना को भेजा जाएगा। अमिताभ और कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी बुधवार को दुबई में होने वाली आइसीसी की बैठक में गए हैं। बैठक के निर्णयों और इन दोनों के बाद ही तय होगा कि टीम का चयन कब किया जाएगा।
बीसीसीआइ बना रही दबाव
बोर्ड के अधिकारी से जब यह पूछा गया कि आइसीसी इससे नाराज नहीं होगी तो उन्होंने कहा कि क्या उसमें इतना दम है कि वह भारतीय टीम को चैंपियंस ट्रॉफी से बाहर कर सके? या हम बाद में अपनी टीम की घोषणा करें तो वह स्वीकार न करें? खास बात ये है कि अभी तक बीसीसीआइ ने चैंपियंस ट्रॉफी के लिए होने वाली चयनसमिति की बैठक का नोटिस तक जारी नहीं किया है, जबकि बाकी सभी देश अपनी टीम की घोषणा करके उसे आइसीसी को भेज चुके हैं।
नियमों के मुताबिक आइसीसी के सभी टूर्नामेंट से पहले उसमें भाग लेने वाले देशों को कटऑफ डेट से पूर्व अपनी 15 सदस्यीय टीम के नाम भेजने होते हैं। इसके बाद इसमें कोई भी बदलाव के लिए आइसीसी से अनुमति लेनी होती है, लेकिन इस बार बोर्ड राजस्व मामले को लेकर आइसीसी से लड़ाई लड़ रहा है।
तकरार का कारण
आइसीसी और बीसीसीआइ में तकरार का सबसे बड़ा कारण राजस्व में हिस्सेदारी को लेकर है। जब एन श्रीनिवासन आइसीसी अध्यक्ष थे तो वह बिग थ्री मॉडल लेकर आए थे। इसके तहत भारत, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया को आइसीसी के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा मिलना था, लेकिन शशांक मनोहर के आइसीसी चेयरमैन बनने के बाद इसमें बदलाव का निर्णय लिया गया। बीसीसीआइ का कहना है कि इससे उसको मिलने वाला राजस्व आधा हो जाएगा। वहीं, सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति बीच का रास्ता निकालने के पक्ष में है।
यह भी पढ़ें: लगातार तीन जीत के बाद जोश से भरी सुपरजाइंट के सामने होगी नाइटराइडर्स की चुनौती