बीसीसीआइ ने लिया बड़ा फैसला, मुंबई से छीनी पूर्ण सदस्यता
बीसीसीआइ की कमेटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन ने मुंबई से बीसीसीआइ की पूर्ण सदस्यता छीन ली।
By Sanjay SavernEdited By: Published: Sun, 19 Mar 2017 08:40 PM (IST)Updated: Sun, 19 Mar 2017 09:16 PM (IST)
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) द्वारा भारतीय क्रिकेट बोर्ड के नए संविधान को अंतिम रूप दिए जाने के बाद एक समय भारतीय क्रिकेट की सत्ता का केंद्र रहे मुंबई ने मतदान का अपना स्थायी दर्जा गंवा दिया है।
इसी तरह लोढ़ा समिति की सिफारिशों के आधार पर मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम सहित पूर्वोत्तर के सभी राज्यों को पूर्ण सदस्यता और मतदान के अधिकार प्रदान किए गए हैं। उत्तराखंड और तेलंगाना को भी अब पूर्ण सदस्य बना दिया गया है। बिहार को भी उसका मतदान का अधिकार वापस मिल गया है, लेकिन यह तभी काम करना शुरू करेगा जब इसके सभी लंबित मामले खत्म हो जाएंगे।
सीओए ने संघों का नया ज्ञापन (एमओए) और बीसीसीआइ के नियम और दिशा-निर्देश अपलोड कर दिए हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि एक राज्य से सिर्फ एक ही पूर्ण सदस्य हो सकता है। इसके अनुसार 41 बार का रणजी चैंपियन अब बड़ौदा और सौराष्ट्र के साथ बीसीसीआइ का एसोसिएट सदस्य बन गया है। मुख्य राज्य गुजरात की ये दोनों टीमें अब एसोसिएट सदस्य हैं और ये प्रतिवर्ष बारी-बारी से मतदान करेंगे। मुंबई क्रिकेट संघ के प्रतिनिधियों को हालांकि संस्था की आम वार्षिक बैठकों में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी, लेकिन वे मत नहीं डाल सकते हैं। हैदराबाद क्रिकेट संघ के साथ सबसे ज्यादा भ्रष्ट संघ के रूप में जाने जाने वाले दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) की ओर साफ इशारा करते हुए एमओए में यह भी स्पष्ट किया गया है कि किसी भी संघ के पास प्रॉक्सी सिस्टम नहीं होगा।
सीओए ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित सिफारिशों का सख्ती से पालन किया है। इसके अनुसार बीसीसीआइ की आम वार्षिक बैठक (एजीएम) प्रत्येक वर्ष 30 सितंबर तक कराई जाएगी और शीर्ष परिषद का प्रत्येक तीन वर्ष में चुनाव होगा। शीर्ष परिषद मुख्य रूप से बीसीसीआइ में संचालन के मामलों के लिए जिम्मेदार होगी। इसमें नौ सदस्य होंगे जिसमें पांच चयनित सदस्य (अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, संयुक्त सचिव और कोषाध्यक्ष) होंगे, जबकि चार अन्य सदस्यों को नामांकित किया जाएगा। सीइओ बीसीसीआइ के रोजमर्रा केमामले देखेगा, जिसमें छह पूर्णकालिक मैनेजर उसकी मदद करेंगे। राष्ट्रीय चयन समिति का मानदंड वही रहेगा, जिसमें चेयरमैन अपना निर्णायक मत डालेगा। कप्तान बैठकों में हिस्सा ले सकेंगे, लेकिन मतदान नहीं कर सकेंगे।
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