बीसीसीआइ की एसजीएम होना मुश्किल, चार राज्य संघों ने किया विरोध
चारों राज्य संघों का कहना है कि एसजीएम के लिए बीसीसीआइ को दस दिन पहले नोटिस देना होता है, जबकि इस मामले में ऐसा नहीं हुआ।
नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लेकर बनी भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) की आठ सदस्यीय समिति की रिपोर्ट पर चर्चा और सुप्रीम कोर्ट से रियायत मांगने के लिए मंगलवार को दिल्ली में होने वाली विशेष आम सभा (एसजीएम) खटाई में पड़ गई है, क्योंकि हरियाणा, केरल, तमिलनाडु और सौराष्ट्र क्रिकेट संघ ने इसको लेकर ने विरोध जताया है।
चारों राज्य संघों का कहना है कि एसजीएम के लिए बीसीसीआइ को दस दिन पहले नोटिस देना होता है, जबकि इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। कम समय के नोटिस पर भी एसजीएम आयोजित होती है, लेकिन उसमें बोर्ड के सभी राज्य संघों की सहमति होनी चाहिए जबकि इसका चार राज्य संघ विरोध कर रहे हैं।
बीसीसीआइ के मुंबई सूत्रों के अनुसार इसके बाद बोर्ड के कार्यवाहक अध्यक्ष सीके खन्ना ने कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी को बैठक किसी और दिन बुलाने का पत्र लिखा है। इसके बाद एसजीएम रद्द होना तय है। हालांकि सोमवार की शाम तक ही बाकी राज्य संघों को आयोजक होटल बदलने का ईमेल गया था। सभी संघों के अधिकारियों के टिकट बुक भी हो गए थे। ऐसे में उम्मीद है कि कुछ राज्य संघों के अधिकारी यहां पहुंचे भीं, लेकिन खन्ना सहित शीर्ष अधिकारी नियम के विरुद्ध नहीं जाना चाहेंगे।
बोर्ड के एक और वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ये ठीक बात है कि पूर्व बीसीसीआइ अध्यक्ष एन श्रीनिवासन और उनके कुछ सहयोगी नहीं चाहते कि बीसीसीआइ यह बैठक करे, लेकिन वे जो तर्क दे रहे हैं वो सही नहीं है। हम कोई संविधान संशोधन करने नहीं जा रहे हैं। हमने एक समिति बनाई थी जिसने अपनी रिपोर्ट कार्यवाहक अध्यक्ष सीकेखन्ना को सौंपी है। उस पर ही एसजीएम में चर्चा होनी है। इसके बाद हम सुप्रीम कोर्ट से कहेंगे कि चार बिंदुओं को छोड़कर लोढ़ा समिति की बाकी सिफारिशों को मानने को तैयार हैं, लेकिन जिन लोगों को कुछ नहीं मानना है वे इसका विरोध कर रहे हैं।
मालूम हो कि श्रीनिवासन एंड कंपनी चाहती है कि लोढ़ा समिति की सिफारिशों को बिल्कुल नहीं माना जाए, जबकि बोर्ड का एक धड़ा कुछ सिफारिशों को मानकर बाकी में राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट से अपील करना चाहता है। उधर बोर्ड में लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विनोद राय की अध्यक्षता वाली प्रशासकों की समिति ने भी अपनी स्टेटस रिपोर्ट तैयार कर ली है जिसे वे 14 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखेंगे। सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में बीसीसीआइ के पदाधिकारियों पर तो सवाल उठाए ही गए हैं। साथ ही बोर्ड के एक सीनियर अधिकारी के रवैये पर भी अंगुली उठाई गई है। एसजीएम के नहीं होने की स्थिती में बीसीसीआइ और भी गंभीर समस्या में फंसेगी।