शशांक मनोहर के प्रस्तावों को लेकर बीसीसीआइ में दो फाड़: रिपोर्ट
बीसीसीआइ के नए अध्यक्ष शशांक मनोहर के प्रस्तावों को लेकर बोर्ड में एक राय नहीं बन पा रही है। मनोहर ने इस महीने की शुरुआत में अध्यक्ष बनते ही सुधार संबंधी कुछ प्रस्ताव सामने रखे थे जिनमें लोकपाल की नियुक्ती भी शामिल है।
नई दिल्ली। बीसीसीआइ के नए अध्यक्ष शशांक मनोहर के प्रस्तावों को लेकर बोर्ड में एक राय नहीं बन पा रही है। मनोहर ने इस महीने की शुरुआत में अध्यक्ष बनते ही सुधार संबंधी कुछ प्रस्ताव सामने रखे थे जिनमें लोकपाल की नियुक्ती भी शामिल है।
बीसीसीआइ की 9 नवंबर को होने वाली वार्षिक साधारण सभा (एजीएम) में हितों के टकराव और अनुशासनहीनता या नियमों के उल्लंघन के मामलों की देखरेख के लिए लोकपाल की नियुक्ति पर मुहर लगनी है। लेकिन 'न्यू इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार बोर्ड की छवि सुधारने संबंधी अध्यक्ष मनोहर के प्रस्तावों को लेकर बीसीसीआइ में एक राय नहीं है। एक सदस्य ने नाम उजागर नहीं किए जाने की शर्त पर बताया कि कुछ मामलों में अभी और विचार-विमर्श किया जाना चाहिए। इन मामलों में अभी पूरी तरह स्पष्टता नहीं है। बीसीसीआइ के कुछ सदस्य इन प्रस्तावों को स्वीकारने में हिचकिचा रहे हैं।
एक सदस्य ने कहा- हितों के टकराव संबंधी मामले के निराकरण के लिए स्वतंत्र पर्यवेक्षक की नियुक्ति करना अच्छा कदम है, लेकिन इसके कई सकारात्मक और नकारात्मक बाते हैं। हम नहीं जानते कि यह लोकपाल कौन होगा और इसकी तटस्थता पर कौन नजर रखेगा। इसके चलते सदस्यों की राय जुदा हो सकती है।
वैसे कई सदस्य बोर्ड अध्यक्ष द्वारा छवि सुधारने के लिए किए जा रहे कार्यों के समर्थक है। एक सदस्य ने कहा- बीसीसीआई की कार्यप्रणाली को पारदर्शी किया जा रहा है और सुप्रीम कोर्ट को इसमें कोई खामी नजर नहीं आई है। कोर्ट ने हितों के टकराव के मामले पर आपत्ति उठाई थी और इस वजह से बोर्ड कड़े कदम उठाने जा रहा है। कई सदस्य उप-समितियों में 20 के करीब सदस्यों को शामिल करने के खिलाफ है।