कमलेश नागरकोटी और शिवम मावी पर खर्च हुए इतने करोड़ रुपये, दो साल में हुए फिट
अधिकारी ने कहा कि उनके रिहैबिलिटेशन और चोट से उबरने के लिए हुए मोटा मोटी खर्चे पर भरोसा किया जाए तो बीसीसआइ-एनसीए ने कम से कम 1.5 करोड़ रुपए उन पर खर्चे हैं। बिलकुल सही राशि बताना मुश्किल होगा लेकिन यह एक करोड़ रुपए से ज्यादा ही है
नई दिल्ली, प्रेट्र। भारतीय युवा गेंदबाज कमलेश नागरकोटी और शिवम मावी इन दिनों आइपीएल 2020 में खेलते नजर आ रहे हैं। इन दोनों खिलाड़ियों को इंजरी से उबारने में नेशनल क्रिकेट अकादमी (एनसीए) ने अहम भूमिका निभाई थी और दो साल में उन्हें पूरी तरह से फिट कर दिया जिससे कि वो फिर से बेहतरीन तरीके से गेंदबाजी कर सकें। 2018 अंडर 19 वर्ल्ड कप के दौरान इन दोनों ने काफी शानदार गेंदबाजी की थी और ये क्रिकेट की दुनिया में खलबली मचाने को तैयार थे, लेकिन उससे पहले ही उन्हें इंजरी ने परेशान कर दिया।
इसके बाद एनसीए ने उन्हें इंजरी से उबारने में बड़ी भूमिका निभाई और ठीक होने के बाद दोनों गेंदबाजों ने प्रतिस्पर्धी क्रिकेट में खेलना शुरू कर दिया है। 20 वर्ष के कमलेश नागरकोट 30 महीने के बाद आइपीएल खेल रहे हैं तो वहीं 21 साल के शिवम मावी इस सीजन में केकेआर के लिए खेलते नजर आ रहे हैं।
बीसीसीआइ के एक वरिष्ठ सूत्र ने पीटीआइ से कहा कि वर्ल्ड कप के बाद कमलेश को पीठ में स्ट्रेस फ्रैक्चर हो गया और उनके टखने पर भी स्ट्रेस का असर पड़ा। बीसीसीआइ ने ब्रिटेन में उन्हें ले जाकर कई विशेषज्ञों से उनकी चोट पर सलाह ली। वह करीब डेढ़ साल तक एनसीए में रहे। अधिकारी ने कहा कि वहीं दूसरी ओर शिवम आठ महीने तक एनसीए में रहा, पहले उन्हें एसीएल (एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट) चोट लगी और फिर स्ट्रेस का असर हुआ। हालांकि वह कमलेश की तुलना में जल्दी उबर गए, लेकिन वह पिछले घरेलू सत्र के बाद फिर चोटिल हो गए।
अधिकारी ने कहा कि उनके रिहैबिलिटेशन और चोट से उबरने के लिए हुए मोटा मोटी खर्चे पर भरोसा किया जाए, तो बीसीसआइ-एनसीए ने कम से कम 1.5 करोड़ रुपए उन पर खर्चे हैं। सूत्र ने कहा कि बिलकुल सही राशि बताना मुश्किल होगा, लेकिन यह एक करोड़ रुपए से ज्यादा ही है और यह करीब 1.5 करोड़ रुपए के करीब हो सकती है। एनसीए में मेडिकल चेक-अप, आउटसोर्स फिजियोथेरेपी सत्र, सभी का ध्यान ऐसे रखा जाता है जैसे बीसीसीआइ केंद्रीय अनुबंधित खिलाड़ियों के लिए करता है। एनसीए प्रमुख राहुल द्रविड़ और मुख्य फिजियो आशीष कौशिक को इसका श्रेय जाता है।