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अजहरुद्दीन के भविष्य पर चर्चा करेंगे सीओए और बीसीसीआइ

99 टेस्ट में 24 शतक के साथ छह हजार से ज्यादा रन बनाने वाले अजहर पर वर्ष 2000 में मैच फिक्सिंग के गंभीर आरोप लगे थे।

By Pradeep SehgalEdited By: Published: Sun, 06 Aug 2017 11:06 AM (IST)Updated: Sun, 06 Aug 2017 11:06 AM (IST)
अजहरुद्दीन के भविष्य पर चर्चा करेंगे सीओए और बीसीसीआइ
अजहरुद्दीन के भविष्य पर चर्चा करेंगे सीओए और बीसीसीआइ

नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। फिक्सिंग मामले में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) से आजीवन प्रतिबंध झेलने के बाद हैदराबाद हाई कोर्ट से बरी हुए पूर्व भारतीय कप्तान व पूर्व सांसद मुहम्मद अजहरुद्दीन एक बार फिर चर्चा में हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विनोद राय की अध्यक्षता वाली प्रशासकों की समिति (सीओए) और बीसीसीआइ के पदाधिकारी नौ अगस्त को दिल्ली में होने वाली बैठक में उनके भविष्य पर चर्चा करेंगे। इस में राय के अलावा डायना इडुल्जी, कार्यवाहक अध्यक्ष सीके खन्ना, कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी और कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी और सीईओ राहुल जौहरी भी भाग लेंगे।

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दैनिक जागरण के पास मौजूद कागजात के मुताबिक इस के एजेंडे में सबसे पहला प्वाइंट कानूनी मुद्दों पर चर्चा करना है। इसमें सबसे ऊपर भाजपा सांसद सुब्रामण्यम स्वामी की आइपीएल के मीडिया अधिकारों की ई-नीलामी पर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका और अजहरुद्दीन के प्रतिनिधित्व का मामला है। स्वामी ने याचिका में कहा है कि आइपीएल के लिए हजारों करोड़ के मीडिया अधिकार मामले में नीलामी प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए। उनकी याचिका पर बोर्ड को नोटिस जारी हुआ है।

बीसीसीआइ के एक पदाधिकारी ने कहा कि हमें की ईमेल मिला है। निश्चित तौर पर हम सीओए के समक्ष इस पर अपना पक्ष रखेंगे। जहां तक मुझे मालूम है कि इसमें अजहरुद्दीन पर से आधिकारिक तौर पर प्रतिबंध हटाने और अन्य पूर्व क्रिकेटरों की तर्ज पर एकमुश्त भुगतान देने पर चर्चा होनी है। हमारा मानना है कि फिक्सिंग के मामले में बीसीसीआइ की आम सभा ने उन पर प्रतिबंध लगाया था और इस मामले को आम सभा पर ही छोड़ा जाना चाहिए था।

99 टेस्ट में 24 शतक के साथ छह हजार से ज्यादा रन बनाने वाले अजहर पर वर्ष 2000 में मैच फिक्सिंग के गंभीर आरोप लगे थे। उस समय दक्षिण अफ्रीका के कप्तान हेंसी क्रोनिए पर भी फिक्सिंग के ही आरोप लगे थे जो सही साबित हुए थे। हालांकि, सुबूतों के अभाव में अजहर को आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने 2011 -12 में बरी कर दिया था।

बीसीसीआइ ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में न जाने का फैसला किया था। हालांकि, इसके बावजूद अजहर को बोर्ड से पूर्व क्रिकेटरों को मिलने वाले एकमुश्त भुगतान, पेंशन जैसे फायदे नहीं मिल रहे हैं। यही नहीं उन्होंने हैदराबाद क्रिकेट संघ के अध्यक्ष पद के लिए भी नामांकन किया था, जिसे रद्द कर दिया गया था। इसके खिलाफ अजहर कोर्ट गए थे। दिलचस्प है कि बीसीसीआइ ने आधिकारिक तौर पर कभी अजहर से प्रतिबंध हटाने की घोषणा नहीं की।

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