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बीसीसीआइ में बच्चों की तरह लड़ रहे अधिकारी, देखिए कैसे-कैसे ईमेल हुए जारी

दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआइ के बचे तीन पदाधिकारियों में से दो में आर-पार की लड़ाई छिड़ गई है।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Tue, 24 Oct 2017 08:03 PM (IST)Updated: Wed, 25 Oct 2017 10:02 AM (IST)
बीसीसीआइ में बच्चों की तरह लड़ रहे अधिकारी, देखिए कैसे-कैसे ईमेल हुए जारी
बीसीसीआइ में बच्चों की तरह लड़ रहे अधिकारी, देखिए कैसे-कैसे ईमेल हुए जारी

अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआइ के बचे तीन पदाधिकारियों में से दो में आर-पार की लड़ाई छिड़ गई है। सबसे पहले कार्यवाहक अध्यक्ष सीके खन्ना ने 18 अक्टूबर को अमिताभ और अन्य पदाधिकारियों को ईमेल लिखकर कहा था कि पिछले कुछ महीनों से उनकी बिना सहमति के कई फैसले लिए गए जो संविधान का उल्लंघन है। इसके बाद चौधरी ने उनको जवाब दिया। खन्ना ने मंगलवार को फिर से ईमेल लिखकर अमिताभ को लताड़ लगाई। इस मेल में उन्होंने चौधरी पर विशेष समिति की बैठक के मिनट्स को गलत तरीके से पेश करने का आरोप भी लगाया। 

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18 अक्टूबर को खन्ना द्वारा लिखे गए ईमेल के मुख्य अंश

डियर ऑल, बीसीसीआइ कार्यालय द्वारा संपर्क अधिकारियों और पिछले कुछ महीनों में बिना मेरी अनुमति के लिए गए निर्णयों के संबध में मैं यह पत्र जारी कर रहा हूं। मैंने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया था कि मेरी साथ चर्चा के बिना नियुक्ति नहीं की जाए। भारत-न्यूजीलैंड सीरीज के लिए संपर्क अधिकारी बिना मुझसे बात किए गए नियुक्त किए गए। यह नियुक्ति बीसीसीआइ के नियमों के अनुरूप नहीं हैै। हम सभी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति के नेतृत्व में काम करना है। उनके फैसले पर मेरी अनुमति की जरूरत नहीं है लेकिन इसके अलावा कोई भी फैसला बीसीसीआइ अध्यक्ष के नियंत्रण के तहत किया जाना है। अगर सीओए कोई निर्णय लेता है तो तुरंत मुझे सूचित किया जाए ताकि तुरंत उसका पालन किया जा सके। इसके अलावा किसी भी पदाधिकारी का कोई फैसला किसी भी कर्मचारी द्वारा तभी लागू किया जाएगा जब मैंने मंजूरी दी हो। इसके बाद यह सीओए पर होगा कि वह इसे स्वीकृत या अस्वीकृत करें। 

22 अक्टूबर को चौधरी द्वारा लिखा ईमेल

डियर मि. खन्ना, दिवाली बीत जाने के बाद की शुभकामनाएं, इस अवसर पर मैं इस विषय पर लिखना नहीं चाहता लेकिन आपके ईमेल के बाद मुझे ऐसा करना पड़ रहा है। पिछले कुछ महीनों से आपके द्वारा कई ईमेल प्राप्त हो रही हैं। बढिय़ा शब्दों के प्रयोग और अच्छी तरह से लिखी गई ईमेल के लिए बधाई देता हूं। इसमें से ज्यादातर पास, सहायक कर्मचारियों की नियुक्तियों जैसे कि प्रबंधकों, टीमों के फिजियो, पर्यवेक्षक के संबंध में थीं। बीसीसीआइ के ठोस हितों के मुद्दों से निपटने के लिए कोई भी संचार प्राप्त नहीं हुआ, जैसे कि विभिन्न हिस्सों में हो रही बारिश के बाद भी चल रहीं विभिन्न राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं, टैक्स के मुद्दे, कोच्चि टस्कर्स के साथ वार्ता, पाकिस्तान द्वारा उठाए गए मुद्दे। कुछ दिनों पहले बीसीसीआइ के एक अधिकारी ने टेक कंपनी एप्पल के लिए 13 अक्टूबर के भारत-ऑस्ट्रेलिया टी-20 मैच के लिए 20 पास मांगे थे। कंपनी की ब्रांड प्रोफाइल और बीसीसीआइ के साथ कंपनी की भविष्य की साझेदारी की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए मैंने 10 पास सचिव और 10 पास अध्यक्ष कोटे से देने का सुझाव दिया, लेकिन आपके मना करने पर मैंने सभी 20 पास सचिव कोटे से एप्पल को दे दिए। आपका भेजा गया ईमेल हमारे लिए सबक है। मुझे आश्चर्य है कि आपसे पहले के पूर्ववर्तियों ग्रांट गोवन, महाराजकुमार ऑफ विजियनग्राम, एम. चिन्नास्वामी, माधवराव सिंधिया, जगमोहन डालमिया, शरद पवार और शशांक मनोहर को कभी ऐसी कवायद करने की जरूरत क्यों नहीं पड़ी? इसके अलावा आप लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने में रुचि नहीं रखते हैं जो चिंता का विषय होना चाहिए। 

25 अक्टूबर को खन्ना द्वारा जारी जवाबी ईमेल के अंश

डियर अमिताभ, मैं आपकी शुभकामनाओं को स्वीकार करता हूं लेकिन आपके जैसे कद के व्यक्ति द्वारा इस तरह की भाषा के प्रयोग की उम्मीद नहीं की जा सकती। हालांकि अपने कार्यालय की गरिमा को ध्यान में रखते हुए इस तरह की अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल नहीं करूंगा। ऐसा लगता है कि बीसीसीआइ के अध्यक्ष के कार्यालय को कमजोर करने के लिए आप एक टाइपोग्राफिकल त्रुटि पर निर्भर हैं। बीसीसीआइ के नियम 13 (ए) के अनुसार बीसीसीआइ की वर्किंग कमेटी और पदाधिकारियों के फैसले के अनुमोदन के लिए अध्यक्ष ही सर्वोच्च है। यदि आप महसूस करते हैं कि फिजियो, ट्रेनर, पर्यवेक्षक और अन्य सहायक स्टाफ आदि की नियुक्ति महत्वपूर्ण नहीं है, तो आपको मेरे निर्देशों का पालन करने में कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए। पूर्व में ऐसा ही होता रहा है। कोच्चि टस्कर्स मामले के लिए गठित समिति का मैं हिस्सा नहीं था। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के संबंध में मेरे ऊपर उठाए गए आपके सवाल गलत हैं। आप झूठे तरीके से यह पेश करते रहे कि सुधारों के पक्ष में आप ही अकेले हैं बाकी इसके खिलाफ हैं। आपने विशेष समिति की बैठक के मिनट को गलत तरीके से पेश करने का प्रयास किया। हम सभी सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने के लिए संजीदा हैं। मुझे खुशी है कि आपने एप्पल को पास देने का मुद्दा उठाया। आप इस कंपनी के साथ संभावित साझेदारी को देख रहे हैं लेकिन वर्तमान में ओप्पो और वीवो हमारे साझेदारी हैं। मैं व्यक्तिगत रूप से हमारे भागीदारों के प्रतिस्पर्धियों को उपकृत करने का कोई कारण नहीं देखता हूं। सीईओ राहुल जोहरी ने अपने मेल में उल्लेख किया है ओर इसको मैं यहां लिखता हूं कि एप्पल को कुछ भी मुफ्त में देना उचित नहीं होगा।

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