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बुरी हालत में जिंबॉब्वे के खिलाड़ी, खाना खिलाने तक के पैसे नहीं!

एक तरफ है भारतीय टीम, जिसके पास ना तो सफलताओं की कमी है और ना ही पैसों की, भारतीय क्रिकेट आज उन्हीं पैसों और सफलताओं के दम पर इतना मजबूत है कि वह विश्व क्रिकेट में अपनी धाक जमाकर बैठा है..वहीं ठीक उससे उलट हैं उस टीम के हालात जिसके खिलाफ, जिसके घर में भारत अपने जीत के अभियान को जारी रखे है। जी हां, हम बात क

By Edited By: Published: Fri, 02 Aug 2013 09:40 AM (IST)Updated: Fri, 02 Aug 2013 03:09 PM (IST)
बुरी हालत में जिंबॉब्वे के खिलाड़ी, खाना खिलाने तक के पैसे नहीं!

बुलावायो। एक तरफ है भारतीय टीम, जिसके पास ना तो सफलताओं की कमी है और ना ही पैसों की, भारतीय क्रिकेट आज उन्हीं पैसों और सफलताओं के दम पर इतना मजबूत है कि वह विश्व क्रिकेट में अपनी धाक जमाकर बैठा है..वहीं ठीक उससे उलट हैं उस टीम के हालात जिसके खिलाफ, जिसके घर में भारत अपने जीत के अभियान को जारी रखे है। जी हां, हम बात कर रहे हैं जिंबॉब्वे की। खबरों के मुताबिक इस टीम और उसके बोर्ड की हालत इतनी नाजुक हो चुकी है कि अब दो वक्त का खाना भी उन्हें ठीक से नसीब नहीं हो रहा।

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खबरों के मुताबिक बुलावायो में मेजबान टीम के खिलाड़ी अपने ही घर में तीन बार तो बिना भोजन किए ही मैदान पर उतर गए और अभ्यास करने पहुंचे। यह तो पहले से सभी को पता है कि जिंबॉब्वे क्रिकेट बोर्ड की हालत पस्त है लेकिन शायद ही किसी को अंदाजा था कि उनके पास अपनी टीम को खाना खिलाने तक के पैसे नहीं हैं। खबरों के मुताबिक जिंबॉब्वे के पूर्व खिलाड़ी और मौजूदा समय में टीम के बैटिंग कोच ग्रांट फ्लावर ने भी इस बात को माना है। उनके मुताबिक जिंबॉब्वे क्रिकेट काफी खराब दौर से गुजर रहा है, वह काफी संघर्ष कर रहे हैं और यह भी नहीं पता कि कब यह हालात ठीक होंगे।

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दोनों टीम के खिलाड़ियों की व्यक्तिगत स्थिति में भी जमीन आसमान का अंतर है। टीम के मौजूदा कप्तानों को ही ले लीजिए। एक तरफ हैं विराट कोहली (ए ग्रेड में) जिनकी सालाना फीस लगभग दो लाख डॉलर है जबकि दूसरी तरफ जिंबॉब्वे के कप्तान ब्रैंडन टेलर को सालाना महज 6 हजार डॉलर ही नसीब होते हैं। टीम इंडिया के हर खिलाड़ी को हर वनडे मैच के लिए एक हजार डॉलर मिलते हैं जबकि भत्ता भी दिया जाता है। वहीं दूसरी ओर है जिंबॉब्वे क्रिकेट जो पहले से कर्ज के बोझ में डूबा हुआ है।

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