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मार्च में बना कप्तान तो जून में पिला रहा था पानी, ऐसी है इस खिलाड़ी की कहानी

रहाणे के अनुसार खेल के तकनीकी पहलुओं में बदलाव से अधिक जरुरी मानसिक तौर पर बदलाव करना है।

By Bharat SinghEdited By: Published: Sat, 15 Jul 2017 11:51 AM (IST)Updated: Sat, 15 Jul 2017 04:45 PM (IST)
मार्च में बना कप्तान तो जून में पिला रहा था पानी, ऐसी है इस खिलाड़ी की कहानी
मार्च में बना कप्तान तो जून में पिला रहा था पानी, ऐसी है इस खिलाड़ी की कहानी

नई दिल्ली, पीटीआइ। अजिंक्य रहाणे टीम इंडिया के लिए ऐसे खिलाड़ी हैं जो लगातार टेस्ट मैचों से लेकर, वनडे मैचों और टी 20 फॉर्मेट में अपनी उपयोगिता साबित करते जा रहे हैं। शांत स्वभाव के रहाणे मैदान पर जिस धैर्य के साथ खेलते हैं, वह उन्हें टीम इंडिया के भावी कप्तान के रूप में भी दिखा रहा है। ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि रहाणे को जब पिछले साल धर्मशाला टेस्ट में कप्तानी का मौका मिला, उन्होंने टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। 

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हालांकि, रहाणे का सफर इतना आसान नहीं रहा है। वह मार्च में भारत के टेस्ट कप्तान बने और दो महीने बाद ही जून में 12वें खिलाड़ी बन गए। इन दोनों भूमिकाओं को निभाना कभी आसान नहीं होता, लेकिन अजिंक्य रहाणे टीम को समर्पित खिलाड़ी हैं जिनका मानना है कि जब कोई भारत की जर्सी पहनता है तो उसे अपनी असुरक्षा और अहम् को दूर रखना पड़ता है। 

धर्मशाला में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चौथे टेस्ट में रहाणे भारत के कप्तान थे और भारत ने यह टेस्ट जीतकर टेस्ट सीरीज अपने नाम की थी। इसके बाद जून में इंग्लैंड में हुई आइसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में हालांकि उन्हें एक भी मैच खेलने को नहीं मिला और उन्हें 12वें खिलाड़ी की भूमिका निभानी पड़ी। 

रहाणे ने कहा, 'अगर मैं टेस्ट टीम में उपकप्तान हूं तो इसका मतलब यह नहीं कि मैं वनडे मैचों में 12वें खिलाड़ी की अपनी भूमिका नहीं निभाऊंगा। जब आप अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रहे होते हैं तो आपको वही करना होता है जो काम आपको सौंपा जाता है. जब मैं चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान ड्रिंक्स लेकर जा रहा था तो मुझे अहम् से जुडी कोई समस्या नहीं थी। मैं ऐसा ही इंसान हूं।' 

हालांकि, इसके तुरंत ही बाद दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने वेस्टइंडीज में भारत की वनडे टीम में सफल वापसी करते हुए पांच मैचों में एक शतक और तीन अर्ध शतक की बदौलत 67.20 की औसत से 336 रन बनाए। उन्हें इस दौरे पर 'मैन ऑफ दी सीरीज' का पुरस्कार दिया गया। उन्होंने कहा, 'वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज मेरे लिए विशेष थी, जो मैंने निरंतरता दिखाई उसके कारण। यह सीरीज मेरे वनडे करियर के लिए महत्वपूर्ण थी और लगभग सभी मैचों में रन बनाना संतोषजनक अहसास है। मुझे अपनी बल्लेबाजी के विभिन्न पक्षों को दिखाने का मौका मिला।' 

रहाणे के अनुसार खेल के तकनीकी पहलुओं में बदलाव से अधिक जरुरी मानसिक तौर पर बदलाव करना है। रहाणे के अनुसार वेस्टइंडीज में खेली गई पारियां विशेष थी, क्योंकि वहां की पिच बल्लेबाजी के लिए पूरी तरह से अनुकूल नहीं थी और पोर्ट आफ स्पेन तथा एंटीगा की पिचों पर काफी परेशानी हो रही थी।

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