...और मेरे बारे में सच हुई सचिन भाई की भविष्यवाणी
सचिन भाई की शख्सियत को अल्फाजों में बयां करना मुश्किल है। उनके जैसा नेक दिल और मददगार इंसान दूसरा शायद ही कोई होगा। उन्होंने भारतीय क्रिकेट को अपने 24 साल दिए हैं। शुरू से ही उनका जलवा इस कदर था कि बच्चा, युवा और बूढ़ा हर कोई उनके खेल का दीवाना था। उन्हें कई बार दबावों से गुजरना पड़ा
(अजय रातरा)
सचिन भाई की शख्सियत को अल्फाजों में बयां करना मुश्किल है। उनके जैसा नेक दिल और मददगार इंसान दूसरा शायद ही कोई होगा। उन्होंने भारतीय क्रिकेट को अपने 24 साल दिए हैं। शुरू से ही उनका जलवा इस कदर था कि बच्चा, युवा और बूढ़ा हर कोई उनके खेल का दीवाना था। उन्हें कई बार दबावों से गुजरना पड़ा। उनके अलावा कोई और होता तो वह इस दबाव के आगे घुटने टेक देता, लेकिन उन्होंने इसका बखूबी सामना किया और मिसाल बने। उन्होंने मेरे बारे में भी एक भविष्यवाणी की थी जो सौ प्रतिशत सच हुई थी।
उन्होंने युवाओं का हमेशा आगे बढ़कर मार्गदर्शन किया। विश्व का दिग्गज बल्लेबाज होने के बावजूद हम जैसे खिलाड़ियों को कभी यह महसूस ही नहीं होने दिया कि वह बहुत बड़े बल्लेबाज हैं। मैं खुद को खुशकिस्मत समझता हूं कि मुझे उनके साथ खेलने और ड्रेसिंग रूम साझा करने का मौका मिला। सचिन के साथ गुजारे वह लम्हे मेरी जिंदगी की अनमोल धरोहर हैं। जिन्हें मैं ताउम्र अपने दिल में संजो कर रखूंगा।
वो पहली मुलाकात:
2001 में मुंबई कैंप में मेरी सचिन से पहली मुलाकात हुई थी। उनसे यह मुलाकात मेरे लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं थी। ऐसा लग रहा था मानो मुझे सारी कायनात मिल गई हो। हालांकि उस साल मेरा टीम में चयन नहीं हुआ, लेकिन पहली बार क्रिकेट के भगवान के दर्शन कर मैं निहाल हो गया। कैंप के दौरान सचिन ने मुझे जो टिप्स दिए वे मेरे लिए वरदान साबित हुए। उन्होंने मुझसे कहा कि तुम बहुत अच्छा कर रहे हो, देखना तुम्हारी मेहनत जल्द ही रंग लाएगी। उनकी यह भविष्यवाणी सच साबित हुई और इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज के लिए मेरा चयन हो गया। 19 जनवरी, 2002 का दिन मेरे लिए दोहरी खुशी लेकर आया। मुझे वनडे में पदार्पण का मौका भी मिल गया और मेरी सचिन के साथ ड्रेसिंग रूम साझा करने की हसरत भी पूरी हो गई। चार माह बाद ही अप्रैल में वेस्टइंडीज दौरे पर जाने वाली टीम में टेस्ट पदार्पण का मौका भी मिला।
जरा भी नहीं बदले:
विश्व क्रिकेट में काफी बदलाव आए, लेकिन इन बदलावों के बाद भी सचिन अपनी प्रतिभा के बल पर सबको चकाचौंध करते आ रहे हैं। उनमें कोई परिवर्तन नहीं आया। इतनी कामयाबी और उपलब्धियां हासिल करने के बाद भी उनके पैर जमीन पर हैं। तेंदुलकर की जगह अगर कोई दूसरा होता तो इतनी शोहरत हासिल करने के बाद उसका मिजाज सातवें आसमान पर होता। भगवान से यही प्रार्थना है कि विदाई रणजी मैच की तरह ही वह अपने 200वें टेस्ट में वही क्लास दिखाकर अपना बल्ला रखें। गुड लक सचिन भाई, वी मिस यू..
(पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज अजय रातरा की राजीव शर्मा से बातचीत पर आधारित)
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