'हिंदी में नहीं तो इंग्लिश में तो सुनते BCCI के अधिकारी', बोर्ड क्यों नहीं देता इन सवालों के जवाब
यौन उत्पीड़न के बारे में एडफैक्टर्स के जितेंद्र झा ने मुझसे संपर्क किया और मुझे अपने झांसे में लेने की कोशिश की।
नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार (कैब) के सचिव आदित्य वर्मा प्रशासकों की समिति (सीओए) पर लगातार सवालों की बारिश करते रहे हैं, लेकिन अब तक उन्हें कोई भी स्पष्ट जवाब नहीं मिल पाया है। फिर वर्मा ने सीओए प्रमुख विनोद राय को 13 पन्नों का एक ईमेल भेजकर जवाब मांगा है।
वर्मा ने लिखा कि मुझे सीओए से किसी तरह का जवाब नहीं मिला है और मैंने अंग्रेजी और हिंदी में बात करने की कोशिश की, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ है। मुझे जो कहना है वह बहुत गंभीर मामला है और उसने सीओए की स्थिति को अस्थिर बना दिया है क्योंकि आपके फैसलों ने सीओए के कामकाज के बारे में गंभीर सवाल उठाए हैं।
सीओए को है गलतफहमी
वर्मा ने सीओए के अधिकारों और उनकी शक्तियों पर सवाल उठाते हुए लिखा कि ऐसा लगता है जैसे सीओए ने मान लिया है कि उसके पास असीमित शक्तियां हैं। आप लोगों का जवाब नहीं देना चाहते हैं। आप यह जाने बगैर फैसले लेते हैं कि आप उन निर्णयों को लेने के लिए अधिकृत हैं या नहीं। मुझे लगता है कि आप यह जानते हैं कि असीमित शक्ति उन लोगों के दिमाग को भ्रष्ट कर देती हैं जो यह मानते हैं कि उनके पास सभी अधिकार हैं। हालांकि मुझे यह जानने की उत्सुकता है कि इस पत्र को पढ़ने के बाद आपका कौन सा कृपापात्र मुझसे संपर्क करेगा। मुझे आपको याद दिलाना चाहिए कि पहली बार दामोदरन थे जिन्होंने मेरे परिवार से संपर्क किया था और इसके बाद यौन उत्पीड़न के बारे में एडफैक्टर्स के जितेंद्र झा ने मुझसे संपर्क किया और मुझे अपने झांसे में लेने की कोशिश की। मैं समझ सकता हूं कि झा ने बीसीसीआइ द्वारा उनकी कंपनी का भुगतान करने के बाद से प्रयास किया होगा लेकिन बीसीसीआइ की ओर से दामोदरन मुझसे संपर्क कर रहे थे, यह जानकर आश्चर्य हुआ।
पुडुचेरी की टीम को लेकर भी खड़े किए सवाल
घरेलू क्रिकेट में पुडुचेरी की टीम को लेकर भी वर्मा ने तीखे सवाल खड़े किए। उन्होंने लिखा कि मैं हैरान था जब तक मुझे पता चला कि पुडुचेरी टीम के साथ क्या हो रहा था। कुछ नियम हैं जिससे टूर्नामेंट आयोजित होते हैं। इन नियमों में सबसे अहम पात्रता के नियम हैं क्योंकि इससे पता चलता है कि बीसीसीआइ के टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए कौन पात्र हैं। आमतौर पर 31 अगस्त की तारीख आखिरी है और इस तारीख तक सत्र की रूप रेखा तैयार की जाती है।
बीसीसीआइ ने 31 अगस्त से एक सितंबर तक किसी विशेष आयु वर्ग के खिलाड़ियों के लिए जन्मतिथि की कटौती और मेहमान खिलाड़ियों की योग्यता आदि जैसे बहुत अहम और पारदर्शी नियमों को संचारित किया है। मुङो हैरानी हुई कि विजय हजारे ट्रॉफी के पहले मुकाबले में खेलने वाली पुडुचेरी टीम में से एक भी खिलाड़ी का जन्म पुडुचेरी में नहीं हुआ। लगा कि वह मुंबई की बी टीम थी जिसके बारे में मीडिया में रिपोर्ट भी आई थी। बताया गया कि सीओए ने पुडुचेरी को विशेष अनुमति दी थी। यह कैसे हुआ, अस्पष्ट था।
अधिकारों का दुरुपयोग किया
साथ ही वर्मा ने लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआइ के प्रबंधन और कामकाजों पर निगरानी रखने के लिए सीओए का गठन किया था। सीओए को नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार नहीं दिया गया है। आपने अपने द्वारा निहित शक्ति का दुरुपयोग किया है। 12 अक्टूबर को आपकी शक्ति का सबसे ज्यादा दुरुपयोग तब हुआ जब सबा करीम ने सीओए के निर्देशों के तहत सभी संघों को लिखा कि स्थानीय और मेहमान खिलाड़ी के लिए बीसीसीआइ द्वारा निर्धारित योग्यता मानदंड बदल दिए गए हैं जिसके मुताबिक स्थानीय खिलाड़ी माने जाने वाले एक साल के नियम से सरकारी कर्मचारी को छूट दी गई थी।
आपके पास नियमों में इस तरह के बदलाव करने का अधिकार नहीं होने के बावजूद आपने इस नियम में छूट देने और कर्मचारियों को इसको लागू का निर्देश दिया। वर्तमान मामले में आपने एक ऐसे खिलाड़ी को अनुचित लाभ देने की मांग की है जो एक आइपीएस अधिकारी राजीव सिंह का पुत्र है। अधिकारी का भाई झारखंड राज्य क्रिकेट संघ का सदस्य है। यह स्पष्ट रूप से भ्रष्टाचार का मामला है। लोढ़ा समिति की सिफारिशों का उद्देश्य व्यवहार वाद खत्म करना था।
आपने अभी भी बीसीसीआइ में यौन उत्पीड़न के मामले पर अपना जवाब नहीं दिया है। साथ ही सीओए ने अभी तक मयंक पारिख के हितों के टकराव के मामले पर भी कोई कार्रवाई नहीं की है जबकि सीओए ने डॉ. श्रीधर पर दबाव डालकर उन्हें नौकरी छोड़ने पर मजबूर करने में कोई देरी नहीं की। इसके एक एक महीने बाद उनकी मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हो गई।