#METOO पर BCCI सीईओ राहुल जौहरी के खिलाफ आए सात राज्य संघ
वहीं गुजरात क्रिकेट संघ ने भी सीओए को कठघरे में खड़ा करते हुए सीओए से मांग की है
अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। बीसीसीआइ के सीईओ राहुल जौहरी के खिलाफ बोर्ड के सात राज्य क्रिकेट संघों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) को ईमेल कर कार्रवाई करने को कहा है। तमिलनाडु के अलावा गुजरात, गोवा, हरियाणा, सौराष्ट्र, मध्यप्रदेश और कर्नाटक ने अलग-अलग ईमेल करके जौहरी की जांच और निलंबन की मांग की है। दैनिक जागरण के पास भी सातों ईमेल मौजूद हैं।
तमिलनाडु क्रिकेट संघ के संयुक्त सचिव आरएल पलानी ने लिखा है कि जौहरी पर मीटू मामले में सीओए ने नरम रवैया अपनाते हुए इस मामले को दबाने की कोशिश की है। जौहरी पर कई गंभीर आरोप लगे हैं, जिससे पूरा देश स्तब्ध है। सीओए ने जौहरी को इस मामले में जवाब देने के लिए नोटिस भेजा था। जवाब देने का एक सप्ताह का समय निकल चुका है, लेकिन अभी तक कोई ऐसी रिपोर्ट सामने नहीं आई है कि राहुल ने जवाब दे दिया है या नहीं दिया। अब एक नई रिपोर्ट में जौहरी द्वारा किया गया एक और कृत्य सामने आया है।
सीओए और अधिकारियों को यह समझना होगा कि बीसीसीआइ के सीईओ पर तीन आरोप लगने से बोर्ड की छवि खराब हुई है। बीसीसीआइ खुद इस बात से दुखी है कि जौहरी को सीईओ का पद देने से पहले उनके बारे में पूरी जानकारी क्यों नहीं निकाली गई। अगर बीसीसीआइ को जौहरी के आचरण की पहले से जानकारी थी तो जौहरी को इस पद पर बैठाना कहीं भी उचित नहीं था। ऐसे में जौहरी का अभी तक अपने पद पर बने रहना बोर्ड के लिए अच्छा नहीं है।
एक मामला यह भी सामने आया है कि बीसीसीआइ ने अपने एक सदस्य पर लगा यौन शोषण का एक मामला दबा दिया था। इसके लिए खुद बीसीसीआइ, सीओए और अधिकारी दोषी हैं। ऐसे में सभी को इन बिंदुओं पर जवाब देने की जरूरत है। क्या यह सही है कि किसी बोर्ड की महिला अधिकारी ने एक बड़े अधिकारी पर यौन शोषण का आरोप लगाया है? क्या उस महिला अधिकारी पर माफी का पत्र लिखने के लिए दबाव बनाया गया? अगर यह सही है तो बोर्ड अधिकारियों ने इस पर क्या कदम उठाए? हम इस पर जवाब चाहते हैं।
इन मुद्दों पर जवाब नहीं देने से हमसे जुड़े लोगों की नजरों में बोर्ड की गंदी छवि बनेगी। इसी के साथ हम जौहरी को तुरंत निलंबित करने की मांग करते हैं। इस मामले में तीन सदस्यों की समिति बनाई जाए जिसमें राज्य संघ, बीसीसीआइ और सीओए का एक-एक सदस्य हो। हम यह भी बताना चाहते हैं कि अब जौहरी बीसीसीआइ की किसी सुविधा की पात्रता के लायक नहीं हैं।
वहीं गुजरात क्रिकेट संघ ने भी सीओए को कठघरे में खड़ा करते हुए सीओए से मांग की है कि जौहरी पर लगे यौन शोषण के आरोपों के मामले में मुहम्मद शमी और अकरम सैफी जैसी तत्परता क्यों नहीं दिखाई गई। सीओए ने मुहम्मद शमी का केंद्रीय अनुबंध रद कर दिया था। साथ ही इसकी जांच के लिए एक समिति भी बनाई थी। ऐसे में जौहरी के मामले में सीओए इतनी ढिलाई क्यों बरती जा रही है।
जौहरी को दिया गया एक सप्ताह का समय बीत चुका है। यह नहीं पता लगा है कि उन्होंने जवाब दे भी दिया है या नहीं। जौहरी को आइसीसी और एसीसी में बीसीसीआइ का प्रतिनित्ध करने से रोक देना चाहिए। कुछ इसी तरह की मांग गोवा, हरियाणा, सौराष्ट्र, मप्र और कर्नाटक क्रिकेट संघ ने भी की हैं।
बीसीसीआइ की एक महिला कर्मचारी ने दिया इस्तीफा
बीसीसीआइ में काम करने वाली एक और महिला कर्मचारी ने 12 अक्टूबर को इस्तीफा दे दिया है। हालांकि उन्होंने किन कारणों से इस्तीफा दिया है यह पता नहीं चला है। इससे पहले बोर्ड की ही एक महिला कर्मचारी ने उसके एक बड़े अधिकारी पर आरोप लगाए थे। हालांकि सीओए ने तब उस पर कार्रवाई करने की जगह सुलह का रास्ता अपनाया था।
सुप्रीम कोर्ट में बीसीसीआइ मामले के मुख्य याचिकाकर्ता और क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार के सचिव आदित्य वर्मा ने सीओए सदस्य और पूर्व महिला क्रिकेटर डायना इडुलजी को पत्र लिखकर कहा है कि आपके होते हुए बोर्ड की महिलाओं के साथ इस तरह का व्यवहार नहीं होना चाहिए। उन्होंने मयंक पारीख और जौहरी पर लगे आरोपों पर भी सीओए के रवैये पर सवाल उठाए हैं।