विकेटकीपर के लिए बल्लेबाजी करना भी जरूरी
गुजरात के खिलाफ, जिस दिन ऋषभ पंत ने अच्छी बल्लेबाजी की, उस दिन दिल्ली की टीम में चार विकेटकीपर खेल रहे थे। पंत के अलावा डिकॉक, सैमसन, बिलिंग्स भी अंतिम एकादश में थे। यह फैसला इसलिए सही लगता है क्योंकि इनकी असली क्षमता बल्लेबाजी है। सिर्फ विकेटकीपर होना? ठीक वैसे
(शास्त्री का कॉलम)
गुजरात के खिलाफ, जिस दिन ऋषभ पंत ने अच्छी बल्लेबाजी की, उस दिन दिल्ली की टीम में चार विकेटकीपर खेल रहे थे। पंत के अलावा डिकॉक, सैमसन, बिलिंग्स भी अंतिम एकादश में थे। यह फैसला इसलिए सही लगता है क्योंकि इनकी असली क्षमता बल्लेबाजी है। सिर्फ विकेटकीपर होना? ठीक वैसे ही है, जैसे बिना पर के पंछी, जो कभी उड़ नहीं सकता।
लंबे समय से यह लगभग सभी टीमों में देखा जा रहा है। बल्लेबाज विकेटकीपर की भूमिका भी निभा रहे हैं। अब यह सोच पुरानी हो गई है कि विकेटकीपर बनने के लिए पैदाइशी योग्यता चाहिए। इसके पीछे सीधा सा कारण है, बिना रन और विकेट के लिए आप स्कोर शीट पर अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा सकते।
कभी कभार ही ऐसा होता है, जब विशेषज्ञ विकेटकीपर की कमी बुरी तरह से खलती है। जैसा कि बेंगलूर के साथ कोलकाता के खिलाफ मैच में हुआ। चहल के साधारण ओवर में लोकेश राहुल चूक गए। जिस गुगली पर बंड़े अंतर से आंद्रे रसेल चूके, राहुल लेग स्टंप पर जाकर उसे नहीं पकड़ सके। इन्हीं गलतियों की वजह से कोलकाता की टीम असंभव स्थिति में पहुंचकर भी मैच जीत गई।
जैसे-जैसे पिच टूट रही है और स्पिनर्स उपयोगी साबित होते जा रहे हैं। स्टंप के पीछे खड़े होना आसान नहीं रह गया है। स्पिनर के हाथों पर करीबी नजर रखनी पड़ती है। गेंद नीची तो नहीं रह रही। स्पिनर की हथेली की स्थिति कैसी है। यह काम जितना आसान लगता है, उतना आसान है नहीं।
मैंने पहले भी बताया था कि कैसे कुछ विकेटकीपर धीमे हो गए हैं। जब सेकेंड के 100वें हिस्से में रन आउट करना पड़ता है, तब आपको स्टंप के पीछे पूरे जोश के साथ खड़ा होना होता है। गैर नियमित विकेटकीपर आमतौर पर मुश्किल में दिखने लगते हैं।
इसी वजह से यह खबर आपको खुशी देगी कि केकेआर ने लीग के बाकी मैचों में रॉबिन उथप्पा की मदद के लिए मार्क बाउचर को बुलाया है। केकेआर की मुख्य क्षमता स्पिनर हैं, इसलिए उथप्पा का अच्छा प्रदर्शन जरूरी है। अगर वह भारतीय टीम में वापसी करना चाहते हैं, तो सबसे बेहतर विकल्प विकेटकीपर-बल्लेबाज का ही है।
धौनी से पहले करीब पांच साल तक कम से कम सात विकेटकीपर टीम में जगह बनाने के दरवाजे पर थे। धौनी के टेस्ट से संन्यास लेने के बाद अब इनमें से कई अपने लिए संभावनाएं खोज रहे होंगे। अधिकतर खुद को आइपीएल के जरिए साबित करना चाहते हैं और इनमें उथप्पा दौड़ में सबसे आगे हैं।