ठोस रणनीति नहीं होने का भुगता खामियाजा : गावस्कर
निचले क्रम के बल्लेबाजों को आउट करने के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं होने का खामियाजा भारत पिछले कुछ सालों से भुगतता आ रहा है और ब्रिस्बेन में भी हालात जुदा नहीं रहे। उन्होंने मिशेल जॉनसन और मिशेल स्ट्रार्क को अर्धशतक बनाने का मौका दिया और खुद परेशान हुए। भारतीय
(गावस्कर का कॉलम)
निचले क्रम के बल्लेबाजों को आउट करने के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं होने का खामियाजा भारत पिछले कुछ सालों से भुगतता आ रहा है और ब्रिस्बेन में भी हालात जुदा नहीं रहे। उन्होंने मिशेल जॉनसन और मिशेल स्ट्रार्क को अर्धशतक बनाने का मौका दिया और खुद परेशान हुए। भारतीय गेंदबाजों ने दिन की जैसी शानदार शुरुआत की थी वे उसे लंबे वक्त तक कायम नहीं रख सके। जॉनसन को यह दिखाने के चक्कर में कि वे भी शॉर्ट गेंद फेंकने में किसी से कम नहीं हैं, इस बायें हाथ के बल्लेबाज को रन बनाने का भरपूर मौका दे डाला। जॉनसन एक शतक और दो बार 90 रन की पारी खेल चुके हैं, ऐसे में बल्ले के साथ उन्हें कमजोर समझना विपक्ष की बड़ी भूल रही। भारतीय गेंदबाजों ने उन्हें आउट करने के बजाए, उन्हें परेशान करना ज्यादा बेहतर समझा और अंत में खुद ही मूर्खों की कतार में खड़े नजर आए।
वहीं दूसरी तरफ स्टीवन स्मिथ ने शांति से बल्लेबाजी की और अपने इस साल को यादगार बना डाला। वह पहली बार टेस्ट में टीम की कप्तानी कर रहे थे और टीम की स्थिति अच्छी नहीं थी, लेकिन इसका उनकी बल्लेबाजी या उनके मनोबल पर कोई असर नहीं पड़ा और उन्होंने शानदार बल्लेबाजी की। दूसरे छोर पर जॉनसन तेजी से रन बना रहे थे ऐसे में उन्होंने खुद को शांत रखा और एक-दो रन लेकर छोर बदलते रहे। अंत में स्टार्क औ हेजलवुड ने भारतीय गेंदबाजी की धार की पोल खोलकर रख दी।
वैसे स्थिति अभी इतनी बिगड़ी नहीं है। पिच अभी भी अच्छा खेल रही है और इसपर अभी भी बड़ा स्कोर खड़ा किया जा सकता है। भारतीय टीम दूसरी पारी में यहां बड़ा स्कोर बनाने की कोशिश करे, साथ ही यह उम्मीद भी करे कि चौथी पारी में पिच के क्रैक उभर आएं।