टीम इंडिया बाद में अपनाए बल्लेबाजी का विकल्प : मांजरेकर
ब्रिस्बेन में एक और सपाट पिच। भारत के लिए एक और सबक। भारतीय गेंदबाजी में धार नहीं है, इसलिए 50 ओवर में 309 और 308 रन का स्कोर नाकाफी साबित हो रहा है। ज्यादा चिंता की बात यह है कि ऑस्ट्रेलिया ने दोनों मैचों में 300 प्लस का स्कोर सिर्फ
संजय मांजरेकर का कॉलम
ब्रिस्बेन में एक और सपाट पिच। भारत के लिए एक और सबक। भारतीय गेंदबाजी में धार नहीं है, इसलिए 50 ओवर में 309 और 308 रन का स्कोर नाकाफी साबित हो रहा है।
ज्यादा चिंता की बात यह है कि ऑस्ट्रेलिया ने दोनों मैचों में 300 प्लस का स्कोर सिर्फ पांच व तीन विकेट गंवाकर हासिल कर लिया। ऐसे में सवाल उठता है कि सपाट विकेट पर मैच जीतने के लिए भारत को आखिर क्या करना चाहिए?
ऐसे में तीन चीजें की जा सकती हैं। कमजोर गेंदबाजी की भरपाई करने के लिए उन्हें ऐसा स्कोर खड़ा करना चाहिए, जो विपक्षी टीम की पहुंच से दूर हो। एक और चीज, कमजोर गेंदबाजी वाली टीम के पास साहसी और अलग सोच रखने वाला कप्तान होना चाहिए।
धौनी स्वभाव से ऐसे कप्तान हैं, जो इंतजार करना पसंद करते हैं। वह कभी-कभी गैर परंपरागत फील्ड सजाकर विपक्षी टीम पर दबाव बनाने की कोशिश करते हैं। धौनी को कुछ हद तक ब्रैंडन मॅक्कुलम जैसा होने की जरूरत है।
मॅक्कुलम अन्य कप्तानों की तुलना में ज्यादा खिलाड़ियों को एक रन रोकने के लिए खड़ा करते हैं और फिर विपक्षी टीम पर आक्रमण करते हैं। जब ऐसा होता है, तो बल्लेबाज कुछ अलग ढंग से करने की कोशिश में जुट जाते हैं और उनके गलती कर विकेट गंवाने की संभावना बढ़ जाती है। अगर गेंदबाज शानदार गेंदबाजी कर विकेट लेने में सक्षम नहीं है, तो उसके लिए ऐसी फील्ड लगाई जाए, जिससे विकेट मिले।
आखिर में मुझे लगता है कि सपाट विकेट पर भारत के पास बाद में बल्लेबाजी करने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं है। टीम के मजबूत पक्ष बल्लेबाजी को ज्यादा दबावभरी स्थिति में आजमाया जाए।
रोहित शर्मा दो मैचों में दो शतक बना चुके हैं, लेकिन भारत को दोनों में ही शिकस्त मिली, ये पारियां भला किस काम की हैं? बाद में बल्लेबाजी करने से रोहित के पास मैच विनिंग पारी खेलने का मौका होगा।