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दक्षिण अफ्रीका में अभ्यास मैच नहीं होने से भारत की मुश्किलें बढ़ीं

अभ्यास मैच नहीं खेलने का खमियाजा भारतीय टीम को भुगतना पड़ा।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Mon, 08 Jan 2018 09:21 PM (IST)Updated: Mon, 08 Jan 2018 09:21 PM (IST)
दक्षिण अफ्रीका में अभ्यास मैच नहीं होने से भारत की मुश्किलें बढ़ीं
दक्षिण अफ्रीका में अभ्यास मैच नहीं होने से भारत की मुश्किलें बढ़ीं

 (गावस्कर का कॉलम) 

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केपटाउन के न्यूलैंड्स क्रिकेट ग्राउंड में भारतीय गेंदबाजों ने नई गेंद से जितनी अच्छी गेंदबाजी की, वैसा ही शायद ही कभी देखने को मिलता है। यह सही है कि पिच के कवर होने से परिस्थितियां उनके पक्ष में थीं। तीसरे पूरे दिन बारिश होने का मतलब यह हुआ कि घास अपनी जगह से नहीं हटी थी। आसमान में बादल होने की वजह से गेंद को स्विंग कराने में भी मदद मिली, जिससे प्रोटियास बल्लेबाज मुश्किल में पड़े। सिर्फ क्लासी एबी डिविलियर्स ही ऐसे समय में सहज दिख रहे थे।

भारत की कैचिंग भी शानदार थी और कोहली की फील्डिंग पोजीशन भी बिल्कुल सटीक रही। लंच के बाद सूरज निकलने से पिच थोड़ी सूखी, लेकिन इससे दक्षिण अफ्रीका के लंबे निचले क्रम के लिए और मुश्किलें बढ़ गईं। शिखर धवन को दक्षिण अफ्रीका में भी शॉर्ट पिच गेंद से उतनी ही दिक्कत हुई, जितनी ऑस्ट्रेलिया में हुई थी। इस बार भी वह आधे-अधूरे पुल शॉट लगाते हुए आउट हुए। पुजारा भी उम्मीद से ज्यादा उछली गेंद पर क्विंटन डि कॉक को कैच दे बैठे। उछालभरी पिच पर अगर बल्लेबाज अपने बैकफुट या क्रीज का इस्तेमाल नहीं करेगा तो उसे मुश्किलें होंगी ही।

इसी वजह से अभ्यास मैच होने चाहिए, क्योंकि इससे बल्लेबाजों को उछालभरी पिचों से तालमेल बैठाने में मदद मिलती है। तेज गेंदबाजों के लिए बहुत ज्यादा अभ्यास मैच की जरूरत नहीं है, क्योंकि अगर वे 18 गज से गेंद कर रहे हैं तो उन्हें लंबे कद वाले स्थानीय गेंदबाजों जैसा ही अनुभव होगा। मुहम्मद शमी तेज गति से गेंदबाजी करते हुए अपनी लय में वापस लौटे। बुमराह और भुवनेश्वर की कसी हुई लाइन से की गई गेंदबाजी से प्रोटियास बल्लेबाजों के लिए बचने के लिए कोई मौका नहीं बचा। मैच में बने रहने के लिए भारत को हार्दिक पांड्या का शुक्रिया अदा करना चाहिए। यह युवा खिलाड़ी हर मैच के साथ बेहतर होता जा रहा है।

खास बात यह है कि वह परिस्थितियों को समझ रहे हैं और उसके अनुसार खेल रहे हैं। उनके धैर्य में हुए बदलाव के पीछे राहुल द्रविड़ का असर भी साफ दिखता है। जब वह युवा द्रविड़ के साथ थे, तो उनका पूरा खेल ही बदल गया। हालांकि, दूसरी पारी में वह कुछ खास नहीं कर पाए और मददगार पिच पर भी भारतीय बल्लेबाजी की कलई एक बार फिर खुल गई। तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में पहला मैच गंवाने का मतलब हुआ कि हारने वाली टीम को अगले मैच में बराबरी के लिए खेलना होगा। आधुनिक समय में जब मेहमान टीम को कोई अभ्यास मैच खेलने का मौका नहीं मिलता तो मतलब यह हुआ कि उनके लिए काम और भी मुश्किल हो जाएगा। 

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