स्पिन का जादू चलाने उतरेगा भारत
जिस तरह से दक्षिण अफ्रीका को पहले टेस्ट में हार मिली, उसके बाद दूसरे टेस्ट में वह दबाव के साथ उतरेगी। 0-1 से पिछडऩे के बाद वापसी करना हमेशा ही मुश्किल होता है, लेकिन यदि कोई टीम वापसी करने का मादा रखती है तो वह है दक्षिण अफ्रीकी टीम।
(अकरम का कॉलम)
जिस तरह से दक्षिण अफ्रीका को पहले टेस्ट में हार मिली, उसके बाद दूसरे टेस्ट में वह दबाव के साथ उतरेगी। 0-1 से पिछडऩे के बाद वापसी करना हमेशा ही मुश्किल होता है, लेकिन यदि कोई टीम वापसी करने का मादा रखती है तो वह है दक्षिण अफ्रीकी टीम।
मोहाली की हार ने उन्हें परेशान किया होगा और अब वह सोच रहे होंगे कि भारतीय स्पिन का तोड़ कैसे निकाला जाए। भारतीय स्पिन तिकड़ी की खतरनाक घुमती गेंदों का खौफ अफ्रीकी बल्लेबाजों के जेहन से अभी खत्म नहीं हुआ होगा। दक्षिण अफ्रीका के पास स्पिन के भी सीमित विकल्प हैं। मुझे नहीं लगता कि इमरान ताहिर के अलावा उनके पास कोई ऐसा दूसरा स्पिनर भी है जो भारतीय बल्लेबाजों को सोचने पर मजबूर कर सकता है। बेंगलुरु का विकेट सामान्य तौर पर बल्लेबाजों के अनुकूल होता है, जहां थोड़ी उछाल भी देखने को मिलती है। भारतीय थिंक टैंक चाहेगा कि पिच सूखी हो, जहां उसके स्पिनर अपना जादू चला सके। रविचंद्रन अश्विन, रवींद्र जडेजा और अमित मिश्रा की स्पिन तिकड़ी अच्छी फॉर्म में है और इसमें कोई संदेह नहीं कि मेजबान टीम चिन्नास्वामी स्टेडियम की पिच पर एक बार फिर मेहमान टीम की स्पिन परीक्षा लेने के इरादे से उतरेगा। हालांकि यहां की पिच के मोहाली की तुलना में बल्लेबाजी के लिए बेहतर होने की उम्मीद है।
भारतीय टीम के पास मनोवैज्ञानिक बढ़त है। चोटिल डेल स्टेन के नहीं खेलने से घरेलू टीम बढ़त बनाती दिख रही है। पुरानी गेंद को रिवर्स कराने की कला स्टेन बखूबी जानते हैं, लेकिन उनके बाद मुझे नहीं मालूम कौन सा अफ्रीकी गेंदबाज पुरानी गेंद को रिवर्स स्विंग करा पाएगा। भारतीय बल्लेबाजों को इस बात का फायदा उठाने से चूकना नहीं चाहिए और स्ट्रोक खेलने से पहले गेंद के पुरानी होने का इंतजार करना चाहिए।
भारत के लिए यदि चिंता कोई विषय है तो वह है शिखर धवन। धवन को क्रीज पर थोड़ा वक्त बिताने की जरूरत है। अपने शॉट चयन को लेकर उन्हें सतर्क होना होगा और ज्यादा से ज्यादा सीधा खेलने की कोशिश करनी होगी। यदि मैं कप्तान होता तो मैं उनका समर्थन करता और टीम में बनाए रखता, क्योंकि जब वह फॉर्म में होते हैं तो विपक्षी टीम के लिए सबसे बड़ी परेशानी बन जाते हैं।
कुल मिलाकर सीरीज में भारतीय टीम अभी ड्राइवर की सीट पर है। लेकिन अभी यह सीरीज की शुरुआत है। इसमें कोई शक नहीं कि वे प्रबल दावेदार हैं, लेकिन पहले टेस्ट की तरह यहां भी सबकुछ पिच पर निर्भर करेगा।