मोहाली में अहम साबित होते वीरू
[वीवीएस लक्ष्मण का कॉलम] दूसरे टेस्ट के बाद से मैदान के बाहर काफी नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिला है। इसकी शुरुआत वीरेंद्र सहवाग को भारतीय टीम से बाहर करने से हुई। चयनकर्ताओं का यह निर्णय काफी साहसिक है क्योंकि वह चाहते थे कि दक्षिण अफ्रीका दौरे से पहले किसी युवा ओपनर को कम से कम दो मैच खेलने का मौका मिले। मेरा मानना है कि वीरू अब भी भारतीय क्रिकेट को बहुत कुछ दे सकते हैं और मैं उन्हें मोहाली में खेलते देखना चाहता था।
[वीवीएस लक्ष्मण का कॉलम] दूसरे टेस्ट के बाद से मैदान के बाहर काफी नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिला है। इसकी शुरुआत वीरेंद्र सहवाग को भारतीय टीम से बाहर करने से हुई। चयनकर्ताओं का यह निर्णय काफी साहसिक है क्योंकि वह चाहते थे कि दक्षिण अफ्रीका दौरे से पहले किसी युवा ओपनर को कम से कम दो मैच खेलने का मौका मिले। मेरा मानना है कि वीरू अब भी भारतीय क्रिकेट को बहुत कुछ दे सकते हैं और मैं उन्हें मोहाली में खेलते देखना चाहता था।
वीर को बल्ले पर गेंद आना पसंद है और मोहाली में ऐसा होता है। रिकॉर्ड दर्शाते हैं कि वीरू ने मोहाली में छह मैच खेले हैं और 58.63 की औसत से 645 रन बनाए हैं। उन्होंने यहां दो शतक जड़े हैं, जिसमें 173 रनों की पारी भी शामिल है। मुझे लगता है कि सहवाग को फॉर्म में आने के लिए एक अच्छी पारी की जरूरत है, जैसे माही ने इंग्लैंड के खिलाफ नागपुर में खेली थी। इसके बाद से धौनी ने कप्तान और बल्लेबाज के तौर पर पीछे मुड़कर नहीं देखा। मुझे लगता है कि मोहाली में वीरू अपनी फॉर्म पा सकते थे, लेकिन अब पता नहीं यह कब होगा। यह जानना दिलचस्प होगा की क्या मुख्य चयनकर्ता संदीप पाटिल ने वीरू से बात की थी, क्या पाटिल ने उन्हें बताया था कि टीम उनसे क्या चाहती है और उन्हें टीम में वापसी के लिए क्या करना होगा। सहवाग अभी 34 साल के हैं और अगले एक साल में दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड के खिलाफ होने वाली सीरीज में काफी अहम साबित हो सकते हैं। मुझे विश्वास है कि वीरू जरूर टीम में वापसी करेंगे। पिछले दो दिनों में ऑस्ट्रेलियाई खेमे में ज्यादा ड्रामा देखने को मिला। शेन वॉटसन, जेम्स पैंटिंसन, उस्मान ख्वाजा और मिशेल जॉनसन को तीसरे टेस्ट से बाहर कर दिया गया। कारण जाने बिना मेरा इस मामले में टिप्पणी करना सही नहीं होगा। अगर सिर्फ प्रजेंटेशन प्रस्तुत नहीं करने पर ही इन खिलाडि़यों पर कार्रवाई की गई तो मेरे लिए यह चौंकाने वाला है।
हर सफल टीम के मूल्य होते हैं और ऑस्ट्रेलिया इस फैसले के बाद खिलाडि़यों को संदेश देना चाहता है कि अनुशासनहीनता अस्वीकार्य है। मुझे लगता है कि टीम मूल्य को देखते हुए उनका यह फैसला सराहनीय है, लेकिन मेरी समस्या इसके समय को लेकर है। वॉटसन, पैटिंसन और जॉनसन मोहाली की परिस्थितियों में अच्छा कर सकते थे लेकिन कप्तान क्लार्क और आर्थर जानते है कि टीम के लिए क्या सही है। अंत में सीरीज जीतना अभी बाकी है और अगर भारतीय टीम हैदराबाद और चेन्नई की तरह प्रदर्शन करे तो ऐसा कोई कारण नहीं है कि मोहाली में अंतर 3-0 और दिल्ली में 4-0 हो। [360 कार्पोरेट रिलेशंस]
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