Move to Jagran APP

हमेशा संरक्षित रहेगी सचिन की विरासत: हनीफ मोहम्मद

(हनीफ मोहम्मद) मैं नहीं बल्कि सचिन तेंदुलकर लिटिल मास्टर टाइटल के असली हकदार हैं। और यह खिलाड़ी वास्तव में जीनियस है।

By Edited By: Published: Mon, 18 Nov 2013 08:00 PM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2013 08:04 PM (IST)
हमेशा संरक्षित रहेगी सचिन की विरासत: हनीफ मोहम्मद

लिटिल मास्टर की उपाधि से नवाजे गए पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान हनीफ मोहम्मद ने सचिन के रिटायरमेंट पर दुख जताते हुए उन्हें असली लिटिल मास्टर कहा हैं। उन्होंने कहा कि मैं नहीं बल्कि सचिन तेंदुलकर लिटिल मास्टर टाइटल के असली हकदार हैं। यह खिलाड़ी वास्तव में जीनियस है।

loksabha election banner

मेरे लिए सचिन का शानदार करियर अस्त होते देखना वास्तव में भावनात्मक क्षण था लेकिन मुझे नहीं लगता कि वास्तव में उनकी इस उपलब्धि तक कोई पहुंच पाएगा। यह एक युग के अंत की ओर संकेत करता है। लेकिन इस 'लिटिल जीनियस' ने जो उपलब्धि हासिल की है वह युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बना रहेगा।

कोई अन्य खिलाड़ी नहीं था जिसका खेल मैंने आकर्षण और रुचि के साथ देखा। मेरे विचार से भारतीय क्रिकेट को उनका एहसानमंद होना चाहिए। प्रतिभावान युवा खिलाड़ियों जैसे विराट कोहली, रोहित शर्मा और शिखर धवन को प्रेरणा देने के लिए भारत को सचिन तेंदुलकर का धन्यवाद करना चाहिए। क्योंकि यह वही व्यक्ति है जिसने भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। आज भारतीय क्रिकेट में जो युवा प्रतिभा है वह सचिन की दृढ़ता, एकाग्रता, आत्मविश्वास और महानता की प्रेरणा की वजह से है।

खेल के प्रति लगाव और प्रतिबद्धता की वजह से उन्होंने क्रिकेट के क्षेत्र में राज किया है। क्रिकेट ही नहीं बल्कि अपने व्यवहार कुशलता की वजह से भी सही मायनों में वह युवा पीढ़ी के रोल मॉडल हैं।

मुंबई में सचिन के विदाई टेस्ट मैच में उनको मिलने वाले प्यार, सम्मान और प्रशंसा की बारिश होते देखी तो मैं अपने आंखों से आंसू नहीं रोक सका। आंसू, क्योंकि यह अंतिम अवसर था जब हम आखिरी बार उनकी आकर्षक बल्लेबाजी देख रहे थे। मैंने महसूस किया कि उन्होंने उन लोगों के लिए रिटायर होने का फैसला किया जिन्हें लग रहा था कि उन्हें युवा खिलाड़ियों के लिए भारतीय टीम से चले जाना चाहिए। ईमानदारी से कहूं तो वह अभी तीन या चार वर्ष तक खेल सकते थे।

पढ़ें: क्रिकेट से जुड़ी खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

मुझे लिटिल मास्टर से तीन बार मिलने का अवसर मिला। आखिरी बार मैं और मेरा परिवार उनसे तब मिला जब राजसिंह डुंगरपुर ने मुंबई में क्रिकेट क्लब आफ इंडिया रजत जयंती समारोह के लिए बुलाया था।

मैं उस समय टेलीविजन शो में गया था लेकिन वहां मैं स्तब्ध रह गया था क्योंकि लोग भारतीय टीम में सचिन तेंदुलकर के भविष्य को लेकर सवाल खड़े कर रहे थे। वे उनकी फिटनेस, फार्म और संन्यास को लेकर सवाल कर रहे थे।

दस वर्ष पहले की बात है। यह बात मुझे अच्छी तरह याद है जब मैंने कहा था यह खिलाड़ी अनमोल रत्न है, इसे बर्बाद मत करिए। भारत की यह खुदकिश्मती है कि वह भारतीय टीम का हिस्सा है, उसे तब तक खेलने दीजिए जब तक वह खेलना चाहता है। यह मेरे लिए गर्व की बात है कि मैं गलत नहीं था, क्योंकि सचिन ने नए रिकार्ड कायम किए। बल्लेबाजी में नए आयाम पैदा किए। मेरे विचार से भविष्य में ऐसा खिलाड़ी शायद ही हो।

पढ़ें:खेल से जुड़ी अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

मैं खुदकिश्मत हूं कि ब्रैडमैन के युग में खेला और सचिन की महानता को देखा। मुझसे पूछा जाता है कि सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज कौन है। ब्रैडमैन का टेस्ट औसत जहा 99 था वहीं तेंदुलकर ने 100 अंतरराष्ट्रीय शतक बनाए। निश्चित रूप से ब्रैडमैन महान खिलाड़ी थे, लेकिन दोनों में तुलना गलत है। मेरे विचार से दोनों में कोई तुलना नहीं। क्योंकि अगर आप अधिक मैच खेलते हैं तो निश्चित तौर पर आपका औसत कम हो जाता है।

इसमें कोई संदेह नहीं कि ब्रैडमैन में क्लास और क्षमता दोनों थी लेकिन तेंदुलकर में सामंजस्य, समर्पण और रन बनाने की क्षमता पिछले 25 वर्षो से जारी थी। उन्होंने दिखाया कि कठिन परिश्रम और शौक से किस तरह किसी तरह के फार्मेट में निरंतरता लाई जा सकती है।

आज के पाकिस्तान क्रिकेट में बल्लेबाजी की समस्या और हल करने की बात करें तो खिलाड़ियों को यही सलाह है कि वे सचिन तेंदुलकर के वीडियों को देखें। उन्हें पता चल जाएगा कि इस खेल में कुछ भी असंभव नहीं है।

क्रिकेट के इस बदलते दौर में उन्होंने किस तरह तकनीक और ट्रेंड में बदलाव किया है। बल्लेबाजी में तकनीक का अपना स्थान है। लेकिन मानसिक क्षमता और कुछ कर गुजरने की क्षमता बहुत महत्वपूर्ण है। तेंदुलकर में यह सब खूबियां सदैव से रही हैं।

आखिरी टेस्ट मैच में सचिन के अर्धशतक जड़ने के बाद उनके संन्यास लेने के फैसले पर मुझे दुख हुआ। मेरे विचार से अगर कोई 'लिटिल मास्टर' टाइटल का वास्तव में हकदार है, तो यह खिलाड़ी है।

मैं सचिन तेंदुलकर को 200वां टेस्ट मैच खेलने के लिए धन्यवाद देता हूं। इसके साथ ही मैं उनके सफलता में योगदान देने वाले परिवार के सभी सदस्यों को बधाई देता हूं। मुझे इसमें कोई शक नहीं है कि क्रिकेट की बात होने पर तेंदुलकर का नाम सदैव आगे ही लिया जाएगा। तेंदुलकर ने 24 वर्षो तक क्रिकेट खेला लेकिन उनकी विरासत को हमेशा संरक्षित रखा जाएगा।

मेरे लिए वह बहुत ही अच्छा पल था जब जनवरी 2006 में भारतीय क्रिकेट टीम पाकिस्तान आई और क्रिकेट क्लब की ओर से आरिफ अब्बासी ने उन्हें लंच के लिए आमंत्रित किया था। यहां भारतीय क्रिकेट बोर्ड की ओर से तेंदुलकर ने मुझे स्मारिका सौंपी थी।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.