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भारतीय टीम के दबदबे का श्रेय पुजारा और साहा को

अगले सप्ताह अंतिम टेस्ट के रूप में एक जबर्दस्त मुकाबले का इंतजार है।

By ShivamEdited By: Published: Tue, 21 Mar 2017 08:29 PM (IST)Updated: Tue, 21 Mar 2017 08:31 PM (IST)
भारतीय टीम के दबदबे का श्रेय पुजारा और साहा को
भारतीय टीम के दबदबे का श्रेय पुजारा और साहा को

(रवि शास्त्री का कॉलम) 

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रांची में भारतीय टीम बहुत अच्छा खेली, हालांकि इसकी चिंता नहीं करनी चाहिए कि अंत में मैच ड्रॉ रहा। मेजबान टीम ने धीरे-धीरे मैच पर से मेहमानों की पकड़ दूर की और फिर उन्हें पिछले पायदान पर धकेल दिया। अगले सप्ताह हमें अंतिम टेस्ट के रूप में एक जबर्दस्त मुकाबले का इंतजार है।

ऑस्ट्रेलिया निराशा होगा कि दो शतक और 450 रन भी उसके लिए काफी साबित नहीं हुए। कोहली समेत चार विकेट जल्दी लेने के बावजूद वे भारत को परेशानी में नहीं डाल सके। उसके दो स्टार स्पिनरों को विकेट लेने के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ा। भारतीय बल्लेबाजों ने तीन दिनों तक अच्छी बल्लेबाजी करके उन्हें क्षेत्ररक्षण करने के लिए मजबूर किए रखा।

भारत को उबारने का काम टीम के दो सबसे शांत रहने वाले सदस्यों पुजारा और साहा ने किया। उन दोनों में कुछ भी आकर्षक नहीं है। दोनों का दृष्टिकोण पुराने जमाने का है जो स्टंप के सामने स्ट्रोक खेलते हैं और विकेट को बचाए रखते हैं। भारतीय टीम अपना दबदबा बना सकी, लेकिन इसके लिए इन दोनों को श्रेय जाता है। पुजारा का क्रीज पर होना किसी बटालियन की तरह है। आप उनके रक्षात्मक घेरे को असानी से नहीं तोड़ सकते हैं। कोई चालाकी या आक्रामकता उन्हें विचलित नहीं कर सके। साहा दुबले-पतले, गैर आकर्षक और काफी चालाक हैं। ये दोनों ढहती हुई पारी को बेहतर तरीके से संभालते हैं।

रवींद्र जडेजा ने भी अपने कद को काफी ऊंचा किया है। अब वह गेंद के साथ एक मैच विजेता हैं। सटीकता को खोए बगैर उन्होंने अपने को और अधिक योग्य बनाते हुए अपनी गेंदबाजी में विविधता और बारीकी को शामिल किया है। इसी तरह वह चौथे दिन शाम को अपने बल्ले से ऑस्ट्रेलिया के लिए निराशा की वजह बने।

दोनों प्रतिस्पर्धी टीमों के बीच पिछले तीन टेस्ट मैचों में जबर्दस्त टक्कर हुई, जिसमें डीआरएस का ड्रामा भी कम नहीं था। यह सब कुछ फिर से नहीं किया जा सकता है। हम अच्छे, बुरे और खराब नाटक के गवाह रहे। जब तक कि यह खेल भावना को खत्म नहीं करता, तब तक यह इस दिलचस्प ड्रामे में कुछ मसाला जोड़ने का काम करता है।

एक और टेस्ट के साथ भारत आत्मविश्वास के साथ इस जबर्दस्त सत्र का अंत करे। अब सिर्फ यही बाकी है कि इस सत्र का अंत कोहली एक ऐसे बल्लेबाज के रूप में करें, जैसा कि उन्हें हम सब जानते हैं।

(टीसीएम)


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