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खेल के साथ धैर्य की भी होगी परीक्षा

भारतीय क्रिकेट इतिहास कहता है कि हम घर में जीतते हैं। खासतौर पर ऐसी पिचों पर, जो मैच के दौरान कभी न कभी स्पिनर्स की मददगार हों।

By ShivamEdited By: Published: Tue, 20 Sep 2016 07:13 PM (IST)Updated: Tue, 20 Sep 2016 07:16 PM (IST)
खेल के साथ धैर्य की भी होगी परीक्षा

(रवि शास्त्री का कॉलम)

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भारतीय क्रिकेट इतिहास कहता है कि हम घर में जीतते हैं। खासतौर पर ऐसी पिचों पर, जो मैच के दौरान कभी न कभी स्पिनर्स की मददगार हों। जहां स्पिनर्स से ही ज्यादा गेंदबाजी कराई जाए। स्पिनर्स और कलाई की जादूगरी वाली बल्लेबाजी को महान बनाने की परंपरा का यही तरीका रहा है। मेहमान आते हैं.. चले जाते हैं। जाते समय उनकी दिमागी हालत हिली हुई और उनकी 'स्पिरिट' बिखरी हुई होती है।

अब भारत को 13 टेस्ट घर में खेलने हैं। यह वैसे ही है, जैसे आपको किसी टेलीकॉम कंपनी से मुफ्त में कुछ मिल जाए। आपको फ्री टॉक टाइम या डाटा मिले और जेब पर भी बोझ न पड़े। यह ऐसी परीक्षा है, जहां आप ही अपने पेपर तैयार करते हैं और खुद को नंबर देते हैं।

इस मेगा सीजन की शुरुआत न्यूजीलैंड के साथ सीरीज से हो रही है। जाहिर है, वो अपने स्पिनर्स को आगे रखेंगे। उम्मीद है कि टीम के साथ आए तीनों यानी इश सोढी, मिशेल सेंटनर और मार्क क्रेग को। उन्हें हर वक्त इकॉनॉमिकल होना होगा यानी रनों पर काबू रखना होगा। इसी से उन्हें बल्लेबाजों के दिमाग के साथ खेलने को मौका मिलेगा। वे उनके धैर्य की परीक्षा ले पाएंगे। एक खराब सत्र से आपकी टीम पूरी तरह बिखर सकती है। लेकिन जब स्कोर कम हो, तो हर रन बेहद अहम होता है।

न्यूजीलैंड के पक्ष में एक बात है। उनकी बल्लेबाजी काफी गहराई लिए हुए है। वे जुझारू हैं। हर खिलाड़ी अपना श्रेष्ठतम देने की कोशिश करेगा। स्टीफन फ्लेमिंग और ब्रेंडन मैकुलम की यह परंपरा है, जो टीम ने जारी रखी है। यह भी ध्यान देने की बात है कि कुछ लोग आक्रामकता के साथ जवाब देने की कोशिश करेंगे। कई बार स्पिनर्स की लय बिगाड़ने की कोशिश के लिए आक्रामक होना जरूरी है। इससे कम से कम एक काम होता है कि फील्डर छितरा दिए जाते हैं। बल्ले का किनारा लेकर निकले कैच के लिए आसपास कम लोग होते हैं। फील्डर बल्लेबाज से दूर हों, आसपास से आ रही आवाजें यानी स्लेजिंग भी कम होती है।

दिलचस्प है कि कानपुर विपक्षी टीम को अपने मिशन के लिए मौका दे सकता है। शुरुआती दिनों में यहां कि पिच ज्यादा टर्न नहीं होती। मानसून अभी गया नहीं है। सीजन थोड़ा जल्दी शुरू हो रहा है। ऐसे में पिच उतनी सूखी हुई नहीं होगी, क्योंकि अभी सूरज की तपिश पूरी शिद्दत के साथ महसूस नहीं हो सकती। यह मुकाबला धैर्य का मुकाबला साबित हो सकता है। विराट कोहली की टीम जरूरत से ज्यादा आक्रामक रुख नहीं अपना सकती। न्यूजीलैंड के पास बहुत अच्छे तेज गेंदबाज हैं, जो सुबह के माहौल का फायदा उठा सकते हैं। जब आप पांच स्पेशलिस्ट बल्लेबाजों के साथ मुकाबले में उतरते हैं, तो चाहते हैं कि हर कोई अपने काम को बखूबी अंजाम दे। ओपनर का रोल बेहद अहम होगा। ऐसे में लोकेश राहुल का हालिया समय में खुद को लगातार बेहतर करना भारत के पक्ष में जा सकता है। मेजबान टीम को स्पिनर्स के खिलाफ अपनी छवि को भी सुधारने की जरूरत है। फुटवर्क, धैर्य और ढीले हाथ से खेलना स्पिनर्स के खिलाफ अहम होता है। आज का जमाना अंग्रेजी में कहा जाए, तो स्लैम बैंग यानी मारामारी वाला है। ऐसे में यह नियम बड़ी आसानी से भूले जा सकते हैं। स्ट्राइक बदलना यानी लगातार एक-दो रन लेना चौकों और छक्कों पर निर्भर रहने से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है। पहली पारी सबसे अहम होगी। भारतीय माहौल में यह भी एक सुनहरा नियम है। .तो तैयार हो जाइए नए सीजन की शुरुआत के लिए।

(टीसीएम)

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