टीम इंडिया में लंबा वक्त गुजारेंगे मनीष और बुमराह
भारत ने आखिरी मैच जीतकर न सिर्फ खुद को बड़ी शर्मिदगी से बचाया बल्कि दो ऐसे युवा क्रिकेटर भी पाए जो आगे चलकर दोबारा से उसे इस प्रारूप में शीर्ष पर पहुंचाने में मददगार साबित हो सकते हैं। यकीनन केवल एक प्रदर्शन किसी भी खिलाड़ी के स्तर का सही आकलन
(सुनील गावस्कर का कॉलम)
भारत ने आखिरी मैच जीतकर न सिर्फ खुद को बड़ी शर्मिदगी से बचाया बल्कि दो ऐसे युवा क्रिकेटर भी पाए जो आगे चलकर दोबारा से उसे इस प्रारूप में शीर्ष पर पहुंचाने में मददगार साबित हो सकते हैं। यकीनन केवल एक प्रदर्शन किसी भी खिलाड़ी के स्तर का सही आकलन नहीं किया जा सकता, लेकिन फिर भी इनके प्रदर्शन को देखकर लगता है कि ये यहां लंबा वक्त गुजारने वाले हैं। यदि सभी नहीं तो ज्यादातर सफलता की कहानियों में भाग्य का अहम रोल रहा है। यदि भाग्य जसप्रीत बुमराह के साथ नहीं होता तो शायद उन्हें सीधे सिडनी के लिए सीधे टिकट नहीं मिला होता और वे आखिरी वनडे में भाग नहीं ले पाते।
हवाई थकाने के बावजूद इस युवा खिलाड़ी ने अहम मौके पर प्रदर्शन कर सभी को प्रभावित किया। उनका एक्शन ऐसा नहीं है जो कोचिंग की किताबों में सिखाया जाता है। लेकिन शायद यह उनका एक्शन ही है जिस कारण ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज उनकी गेंदों की गति, उछाल और मूवमेंट को पकड़ने में विफल रहे। स्टीवन स्मिथ भी उनकी उछाल से हैरान रह गए और मिडविकेट पर खड़े क्षेत्ररक्षक को आसान से कैच थमाकर इस युवा गेंदबाज के पहले अंतरराष्ट्रीय शिकार बने। उन्होंने अपनी गति में विविधता पैदाकर ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को परेशान किया, लेकिन जिस गेंद पर बल्लेबाज सबसे ज्यादा परेशान हुए वह बुमराह की यॉर्कर गेंद थी।
डेथ ओवरों में बुमराह की शानदार गेंदबाजी के बावजूद भारत के समक्ष रनों का पहाड़ था और उसे तेजतर्रार शुरुआत की जरूरत थी, जो धवन और रोहित ने दिलाई। जब निरंतर प्रदर्शन कर रहे कोहली सस्ते में आउट हुए तब खेल बराबरी पर था। ए्रेसे वक्त में भारत को मनीष पांडे के रूप में एक और स्टार मिला, जिन्होंने शानदार शतकीय पारी खेलते हुए टीम को जीत दिलाई।
इंडियन प्रीमियर लीग में शतक लगाने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज बनने के बाद मनीष ने समय समय पर अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन वह टीम इंडिया में जगह बनाने में सफल नहीं हो सके। और जब उन्हें मौका मिला तो उन्होंने शानदार तरीके से इस मौके को भुनाया। बेहद ही दबाव भरे माहौल में भी उन्होंने खुद को शांत रखते हुए अपना संयम बनाए रखा और टीम को जीत दिलाते हुए अपने चरित्र के मजबूत पक्ष से सभी को अवगत कराया। टेंपरामेंट ही वह चीज है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंतर पैदा करती है। अब प्रशंसक यही उम्मीद कर रहे हैं कि वे बुमराह व मनीष को टीम इंडिया में लंबे समय तक देख सकेंगे।
(पीएमजी)