बहुत अच्छा है भारतीय टीम का माहौल: गावस्कर
श्रीलंकाई टीम के खिलाफ भारत ने औपचारिकताएं पूरी कर पहली बार विदेशी धरती पर क्लीन स्वीप की।
(गावस्कर का कॉलम)
कमजोर श्रीलंकाई टीम के खिलाफ भारत ने औपचारिकताएं पूरी कर पहली बार विदेशी धरती पर क्लीन स्वीप की। इससे पहले उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ 1968 में तीन टेस्ट मैचों में जीत हासिल की थी, लेकिन वह चार मैचों की सीरीज थी और कीवी टीम ने भी एक मैच जीता था।
अगर कुलदीप यादव ने पहली पारी में विकेट हासिल किए, तो दूसरी पारी में अश्विन कैसे पीछे रहते। उन्होंने श्रीलंका की बल्लेबाजी को ध्वस्त करने में अहम भूमिका निभाई। मुहम्मद शमी ने भी अपनी तेज गति से उनका भरपूर साथ दिया। उन्होंने न सिर्फ गेंद को दोनों तरफ स्विंग कराया, बल्कि बाउंसर का भी अच्छी तरह इस्तेमाल किया।
श्रीलंका टीम ने ऐसी सपाट पिच पर बहुत साधारण प्रदर्शन किया, जिस पर गेंदबाजों के लिए कुछ नहीं था। इससे उनकेबल्लेबाजों के संयम पर सवाल खड़े होते हैं। करुणारत्ने को छोड़कर किसी भी बल्लेबाज को यह समझ नहीं आ रहा था कि वे टेस्ट मैच की पारी को कैसे आगे बढ़ाएं। वे आसानी से अश्विन और आक्रामक शमी के जाल में फंसते जा रहे थे। कप्तान दिनेश चांदीमल और पूर्व कप्तान एंजलो मैथ्यूज ने ही थोड़ा संघर्ष दिखाया बाकी तो ताश के पत्तों की तरह बिखर गए।
यह सीरीज शिखर धवन व चेतेश्वर पुजारा की बल्लेबाजी और शमी, अश्विन और जडेजा की गेंदबाजी के लिए याद रखी जाएगी। दो नए खिलाडिय़ों हार्दिक पांड्या और कुलदीप यादव ने साबित किया कि आखिर क्यों उन्हें भविष्य का सितारा माना जा रहा है। निश्चित तौर पर आगामी विदेश दौरों पर चुनौतियां मुश्किल होंगी। लेकिन अगर टीम का जीत का क्रम बरकरार रहता है, तो अगले विदेशी दौरों पर भी चीजें सही होंगी। सबसे अहम बात यह है कि टीम का माहौल अच्छा है और सभी एक-दूसरे के साथ खड़े दिखते हैं। यह कप्तान विराट कोहली की सकारात्मकता और सभी खिलाडिय़ों को समान रूप से देखने की वजह से हुआ है।
आगे के लिए चयनकर्ताओं को ओपनर और तेज गेंदबाज चुनने के लिए काफी सिर खपाना होगा। हालांकि यह अच्छी बात है। दुनिया की नंबर एक टीम के सामने श्रीलंका टीम कहीं भी नहीं ठहरी। भारत को हराने के लिए बहुत ही अच्छी टीम की जरूरत होगी।