अपनी गलतियों से नहीं सीख रहे भारतीय तेज गेंदबाज
दिल्ली के खिलाफ मिली जीत से पुणे टीम फिर से सेमीफाइनल की दौड़ में शामिल हो गई है। हालांकि यहां तक पहुंचने की राह अभी भी बहुत मुश्किल है। लेकिन कम से कम इस जीत से उनके पास एक मौका तो रहा। क्वालीफाई करने के लिए उन्हें बाकी बचे मैचों
(गावस्कर का कॉलम)
दिल्ली के खिलाफ मिली जीत से पुणे टीम फिर से सेमीफाइनल की दौड़ में शामिल हो गई है। हालांकि यहां तक पहुंचने की राह अभी भी बहुत मुश्किल है। लेकिन कम से कम इस जीत से उनके पास एक मौका तो रहा। क्वालीफाई करने के लिए उन्हें बाकी बचे मैचों में से अगर सारे नहीं तो अधिकतर मैच जीतने पड़ेंगे और कुछ मैच तो बहुत ही कठिन हैं। अब उन्हें अपने सारे मैच दूसरी फ्रेंचाइजी के घरेलू मैदान में खेलने होंगे। इसका मतलब यह हुआ कि अपनी पसंद की पिच बनाने के लिए क्यूरेटर से नहीं कह पाएंगे। उनका मजबूत पक्ष लक्ष्य का पीछा करना ही है। कप्तान धौनी के रूप में उनके पास एक ऐसा खिलाड़ी है, जो मैच का पासा पलट सकता है। मुहम्मद शमी के खिलाफ उन्होंने ऐसा कर के भी दिखाया।
यह देखना निराशानजक है कि भारतीय तेज गेंदबाज अपनी गलतियों से सबक नहीं सीख रहे हैं और बार-बार एक ही लैंथ पर गेंदबाजी कर रहे हैं। यॉर्कर डालने की कोशिश करने वाले भुवनेश्वर कुमार और पूरे दिल से कोशिश करने वाले अशोक डिंडा को छोड़ दिया जाए तो कोई भी भारतीय गेंदबाज बल्ले की जड़ में गेंद फेंकने की कोशिश नहीं कर रहा है। यह सही है कि यॉर्कर कभी-कभी फुलटॉस बन जाती है, लेकिन उस पर भी शॉट मारना उतना आसान नहीं होता, जितना गुडलैंथ गेंद पर होता है। पुणे टीम का मुकाबला अब बेंगलूर से होगा। वह भी अपने भाग्य को बदलने के इंतजार में है। पुणे की तरह उनके पास भी अच्छे गेंदबाजी विकल्प नहीं हैं। इसी वजह से टूर्नामेंट की सबसे धमाकेदार बल्लेबाजी लाइन अप होने के बावजूद वे अंक तालिका में निचले पायदान पर हैं। मई का महीना शुरू हो चुका है, ऐसे में स्पिनरों को पिच से अधिक मदद मिलेगी और अब उनकी भूमिका अहम हो जाएगी। दुर्भाग्य से छक्का पडऩे के डर से अधिकतर स्पिनर्स तेज गति से गेंद करा रहे हैं और जिस लैंथ पर वे गेंद फेंक रहे हैं, पावर हिटर्स उसी के इंतजार में रहते हैं। एंगल को बदलकर बल्लेबाजों के पांव पर गेंद डालने की कोशिश ही नहीं की गई है।
पंजाब टीम भी खुद को अंक तालिका में आगे देखना चाहती है, लेकिन उन्हें किसी खिलाड़ी से प्रेरणादायी प्रदर्शन की जरूरत है। बड़ा सवाल यह है कि ऐसा करने वाला कौन होगा?